राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को तीन तलाक पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार के लाए गए दूसरे अध्यादेश को अपनी मंजूरी दे दी। राष्ट्रपति से अध्यादेश को मंजूरी मिलने के बाद एक बार में तीन तलाक बोलकर वैवाहिक रिश्ता तोड़ लेना गैरकानूनी बन गया है।
राज्य सभा में भाजपा का बहुमत न होने से इसे राज्य सभा में सरकार पास नहीं करवा पाई थी। कांग्रेस ने भी कुछ रोज पहले अपने एक कार्यक्रम में कहा था कि लोक सभा चुनाव में सत्ता में आने पर वह तीन तलाक के इस क़ानून को ख़त्म कर देगी। अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद तीन तलाक अध्यादेश साल भर से कम अवधि में तीसरी बार लागू हो गया है।
पहला अध्यादेश पिछले साल सितंबर में जारी किया गया था, जो २२ जनवरी को समाप्त हो रहा है। कुछ दिन पहले केंद्रीय कैबिनेट ने तीन तलाक से जुड़े अध्यादेश को मंजूरी दी थी, जिसके तहत इस परंपरा को मुसलमान पुरूषों के लिए दंडनीय बनाया गया है। प्रस्तावित कानून के तहत, एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) गैरकानूनी होगा और ऐसा करने पर पति को तीन साल की सजा होगा।
गौरतलब है कि तीन तलाक अध्यादेश साल भर से कम अवधि में तीसरी बार लागू हो गया है। राष्ट्रपति से अध्यादेश को मंजूरी मिलने के बाद एक बार में तीन तलाक बोलकर वैवाहिक रिश्ता तोड़ लेना अवैध बन गया है। इस अपराध के लिए पति को तीन साल की जेल की सजा का प्रावधान रखा गया है।
पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई में पीएम आवास पर हुई इस बैठक में इस अध्यादेश को मंजूरी दी गई। इसके बाद इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा गया था। जिसे राष्ट्रपति ने मंजूर कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने भी तीन तलाक को लेकर एक फैसला सुनाया था जिसके बाद सरकार क़ानून लेकर आई थी।