समय-समय की बात है और सत्ता-सत्ता की बात है। 2011 में कांग्रेस के शासन काल में दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को तीन भागों नॉर्थ दिल्ली, साउथ दिल्ली और ईस्ट दिल्ली में बांट दिया गया था। 134 की जगह 272 वार्डों में चुनाव कराये गये थे।
अब भाजपा की सरकार है 2022 में तीनों भागों को एक करके एक एमसीडी कर दी गर्इ है। संसद से बिल पास हो जाने के बाद अब लोगों की नजर इस बात पर टिकी है। कि दिल्ली एमसीडी के चुनाव कब होंगे?
बताते चलें एमसीडी का कार्यकाल 16 मई तक है। इस लिहाज से तो चुनाव अप्रैल माह और मध्य मई तक हो जाने चाहिये। फिलहाल चुनाव की तारीख को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। जानकारों का कहना है कि एमसीडी के चुनाव में योगी के राजतिलक की झलक को एमसीडी के चुनाव में देखी जा सकती है। इस लिहाज से तो साफ कहा जा सकता है कि चुनाव अप्रैल माह में अगर भाजपा चुनाव करवाती है। तो भाजपा को चुनाव में फायदा हो सकता है।
यदि चुनाव देर से होते है। तो आप पार्टी ने चुनाव में देरी को लेकर जो भाजपा पर आरोप लगाये है। उसका सीधा लाभ आप पार्टी को मिल सकता है। ऐसे में भाजपा असमंजस में है। कि चुनाव में देरी करें या न करें। लेकिन चुनाव में देरी को लेकर भाजपा का कहना है कि चुनाव कराना, चुनाव आयोग का काम है।
कांग्रेस के नेता अमरीश गौतम का कहना है कि चुनाव देरी से रहे है। इसमें भाजपा और आप पार्टी की मिली भगत है। उनका कहना है कि आज से 10 साल पहले कांग्रेस ने तीनों मे एमसीडी को इस लिये बांटा था। ताकि काम का बोझ कम हो लोगों को काम को लेकर हो रही दिक्कत को कम किया जा सकें। एक एमसीडी होने की वजह से काम करवाने में लोगों को दिक्कत होती थी। लेकिन मौजूदा सरकार ने फिर से तीनों जोनों को एक कर दिया है।अब फिर से जनता को एमसीडी के कामों को लेकर परेशानी होगी।