दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत ने किसानों के विरोध प्रदर्शन से संबंधित टूलकिट सोशल मीडिया पर साझा करने के आरोप में गिरफ्तार 22 वर्षीय जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि को मंगलवार को जमानत दे दी। दिल्ली पुलिस ने चार दिन की रिमांड मांगी थी। अतिरक्ति सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने रवि को एक लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की दो जमानत भरने पर यह राहत दी। साथ ही अदालत ने पुलिस द्वारा पेश किए गए साक्ष्य को भद्दी और गंदी करार दिया।
जमानत पर सुनवाई के दौरान दिशा रवि के वकील ने इस पर खासा जोर दिया कि दिशा का खालिस्तानी मूवमेंट से कोई लिंक नहीं है और उनपर देशद्रोह का मामला कायम नहीं किया जा सकता है। जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने जमानत का विरोध किया। पुलिस की ओर से कहा गया कि अगर दिशा रवि को जमानत मिलती है तो वो सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकती हैं। न्यायाधीश ने दिल्ली पुलिस के तर्क को महज अनुमान करार दिया।
अदालत ने कहा कि अभियुक्त का अतीत साफ-सुथरा है और कोई आपराधिक छवि नहीं है। जज ने कहा, डरावने और गढ़े गए सबूतों को ध्यान में रखते हुए मुझे लड़की को जमानत न देने के लिए कोई ठोस कारण नहीं मिला है। दिशा रवि को दिल्ली पुलिस के साइबर सेल की एक टीम बेंगलुरु से गिरफ्तार कर दिल्ली लाई। उसकी पुलिस रिमांड मंगलवार को ही समाप्त हुई थी।
इस बीच, मामले में ही दिशा रवि के सह आरोपी शांतनु मुलुक ने अग्रिम जमानत के लिए मंगलवार को दिल्ली की अदालत का दरवाजा खटखटाया।
मुलुक द्वारा दिए गए आवेदन पर बुधवार को अतिरक्ति सत्र जज धर्मेन्द्र राणा की अदालत में सुनवाई होने की संभावना है। बंबई उच्च न्यायालय ने मुलुक को 16 फरवरी को दस दिन के लिए ट्रांजिट जमानत दे दी थी।