झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सर्वोच्च न्यायालय से सोमवार को माइनिंग लीज और धनशोधन मामले में बड़ी राहत मिली है। सर्वोच्च अदालत ने सोरेन के खिलाफ हाईकोर्ट का फैसला रद्द कर दिया है। फैसले के बाद सोरेन ने प्रतिक्रिया करते हुए ट्वीट में लिखा – ‘सत्यमेव जयते!’
सर्वोच्च न्यायालय का यह फैसला सीम सोरेन और राज्य सरकार की उस अर्जी पर आया है जिसमें उन्होंने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी थी। सर्वोच्च अदालत ने सोमवार अपने फैसले में कहा कि झारखंड हाईकोर्ट में सोरेन के खिलाफ याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।
याद रहे शेल कंपनियों के जरिए धन शोधन के आरोप पर झारखंड उच्च न्यायालय में सुनवाई पर सर्वोच्च अदालत ने रोक लगा दी थी। अदालत ने हाईकोर्ट में याचिका के सुनवाई योग्य होने पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता या ईडी सोरेन के खिलाफ पहली नजर में केस स्थापित नहीं कर पाए।
अदालत ने ईडी पर भी बड़े सवाल उठाए और कहा कि ‘आपके पास सोरेन के खिलाफ इतने सबूत हैं तो कार्रवाई करिए। पीआईएल याचिकाकर्ता के कंधे पर बंदूक क्यों चला रहे हैं? यदि आपके पास इतने अधिक ठोस सबूत हैं तो आपको कोर्ट के आदेश की आवश्यकता क्यों है? पहली नजर में सामग्री होनी चाहिए।’
सर्वोच्च न्यायालय ने साथ ही ईडी की सील कवर रिपोर्ट लेने से इंकार कर दिया। अदालत ने कहा कि यदि आप जो कह रहे हैं उसके अनुसार चलेंगे तो यह एक खतरनाक मिसाल कायम करेगा। किसी पर भी आपराधिक मुकदमा चल सकता है। सुनवाई के दौरान जस्टिस यूयू ललित ने कहा – ‘आप सीलबंद लिफाफे में क्यों दाखिल कर रहे हैं? इसका मतलब यह नहीं है कि याचिकाकर्ता क्या कह रहा है, बल्कि जांच एजेंसी क्या कह रही हैं। याचिकाकर्ता वह बोझ अपने ऊपर नहीं ले रहा है। वह चाहता है कि जांच एजेंसी वह करे, जो वह हासिल करना चाहता है। हम फिलहाल सील कवर रिपोर्ट बाद में देखेंगे। पहले प्रथम दृष्टया मामला स्थापित करें। हम आपको रोक नहीं रहे हैं। अगर आपको जांच में कुछ मिल रहा है तो आप आगे बढ़ सकते हैं।’