जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में रामनवमी के दिन हुई छात्रों के बीच हुई हिंसक झड़प में एबीवीपी और वामपंथी समर्थकों को काफी चोटें आयी है। जेएनयू सूत्रों की मानें तो रामनवमी के दिन हवन -पूजा के दौरान कावेरी हॉस्टल में जो झड़प हुई है। वो तो होनी थी। क्योंकि जब 10 मार्च को पांच राज्यों के चुनाव परिणाम घोषित हो रहे थे। तभी पंजाब छोड़ अन्य चार राज्यों में भाजपा को जीत मिल रही थी। उसी दौरान एबीवीपी और वाम दल समर्थकों के बीच चुनाव में बेईमानी को लेकर काफी बहस हो गयी थी। यानि एक ग्रुप दूसरे ग्रुप पर आरोप वाजी कर आने वाले चुनाव में सबक सिखाने की बात कर रहे थे।तभी से मामला गर्म हो रहा था। रामनवमी के दिन एक तरफ एबीवीपी के छात्र पूजा -हवन कर रहे थे। तो दूसरी तरफ वाम दल समर्थक नॉनवेज का सेवन कर रहे थे।इसी बात को लेकर कहा सुनी हो गई कि एक ओर पूजा पाठ हो रहा है। वही दूसरी ओर मीट का सेवन नहीं हो सकता है।
बताते चलें जेएनयू में 2019 से भी देश द्रोही जैसे नारे लगने के बाद यूनिवर्सिटी में अक्सर जरा सी बात पर हंगामा और हिंसक झड़प हो जाती है। जेएनयू के एक टीचर ने बताया कि आने वाले दिनों में अब त्योहार में अक्सर ऐसे ही मामले तूल पकड़ेगे।क्योंकि देश की सियासत में नये समीकरण पनप रहे है। ऐसे में देश भक्ति और देश विरोधी जैसे नारे सियासी लाभ हानि का कारण बन सकते है। क्योंकि देश की एक ही ऐसी यूनिवर्सिटी जेएनयू है। जहां पर वाम दल के अलावा दूसरे दल का छात्र नेता चुनकर नहीं आये है। ऐसे में वाम दल के किले में सेंध लगाने के लिये छात्र राजनीति होती रहती है।
छात्र रोहित कुमार का कहना है कि जेएनयू में अब पढ़ाई कम सियासत ज्यादा होती है। उनका कहना है कि गत तीन सालों से देश -दुनिया से छात्र कम ही पढ़ने आ रहे है। वजह अब सियासी दांव पेंच का केन्द्र जेएनयू बनता जा रहा है। जिससे जेएनयू की सांख पर सवालिया निशान लग रहे है।फिलहाल आने वाले दिनों में जेएनयू में ये मामला तूल पकड़ता है या शांत होता है। क्योंकि एबीवीपी और वाम दल के राष्ट्रीय नेता अगर इस मामले कुछ भी बयानवाजी करते है। तो मामला निश्चित तौर पर तूल पकड सकता है।