लगातार तीसरी बार चीन के राष्ट्रपति बने शी जिनपिंग की सोमवार रात अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात हुई जिसमें काफी मुद्दों पर बातचीत हुई। इंडोनेशिया के बाली में जी 20 की बैठक में मुलाकात के दौरान बाइडेन ने जिनपिंग से बातचीत के दौरान ताइवान से लेकर तिब्बत, शिनजियांग और हांगकांग में मानवाधिकार तक के मुद्दे उठाए। कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इस दौरान जिनपिंग ने कहा कि स्वतंत्रता, लोकतंत्र और मानवाधिकार, इंसानियत के साझा लक्ष्य हैं और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी इन लक्ष्यों की ओर लगातार अग्रसर रहती है। लेकिन अमेरिका में अमेरिकी स्टाइल का लोकतंत्र है जबकि चीन में चीन के तरीके का लोकतंत्र है।
बाइडेन ने जिनपिंग से बहुप्रचारित बैठक के दौरान कहा कि चीन की ताइवान पर आक्रामक कार्रवाई ने शांति को खतरे में डाला है। बाइडन ने चीन के राष्ट्रपति से कहा कि दोनों देश साथ मिलकर जलवायु परिवर्तन, आर्थिक स्थिरता, स्वास्थ्य और फूड सिक्योरिटी पर काम करें। शिनजियांग तिब्बत हांगकांग में मानवाधिकार के मुद्दे को भी उठाया। उन्होंने कहा कि चीन ताइवान पर यथास्थिति बनाए रखे। एक तरफा बदलाव करने की कोशिश न करे।
इस बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति ने चीन में बंदी अमेरिकी नागरिकों का मुद्दा भी उठाया और रूस के परमाणु धमकी के मुद्दे पर चर्चा की। उन्होंने कहा – ‘हम ज़ोर शोर से प्रतियोगिता करेंगे लेकिन वो विवाद में न बदले इस बात का जरूर ध्यान रखेंगे।’
जिनपिंग ने यूक्रेन संकट पर कहा कि इन मुद्दों पर गौर करना होगा कि संघर्ष और युद्ध कोई विजेता नहीं पैदा करते और दूसरे किसी जटिल मुद्दे का कोई सरल समाधान नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा कि प्रमुख देशों के बीच टकराव से बचना चाहिए। चीन हमेशा से शांति का पक्षधर रहा है और शांति वार्ता को प्रोत्साहित करता रहेगा। बता दें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस सम्मेलन में हिस्सा नहीं ले रहे हैं।
चीनी राष्ट्रपति ने कहा – ‘हम रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता की बहाली का समर्थन करते हैं। साथ ही, हमें आशा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका, नाटो और यूरोपीय संघ रूस के साथ व्यापक वार्ता करेंगे।’