आप मानें या न मानें लेकिन सच यही है कि नई दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सटी में पहली महिला वाइस चांसलर नज्मा अख्तर नियुक्त हुई हैं। यह भी इत्तेफाक ही है कि जामिया मिलिया इस्लामिया को बने 99 साल हुए हैं और उन्हें यह मौका मिला। जामिया मिलिया इस्लामिया की 16वीं वाइसचांसलर हैं। इतना ही नहीं, देश के तमाम कंद्रीय विश्वविद्यालयों में नज्मा अख्तर अकेली और पहली महिला वाइस चांसलर हैं।
जामिया मिलिया इस्लामिया के वाइस चांसलर में एक से बढ़ कर एक प्रतिभाएं रही हैं। इनमें देश के उपराष्ट्रपति जाकिर हुसैन, युशीरूल हसन और दिल्ली में लेफ्टिमेंट गवर्नर रहे नजीबजंग आदि हैं। नज्मा के वाइस चांसलर बनने से पहले वहां तलत अहमद इस पद पर थे जो अब कश्मीर यूनिवर्सटी की कमान संभाल रहे हैं।
अमूमन मीडिया से दूर रहने वाली नज्मा अख्तर अच्छी खासी पढ़ी-लिखी हैं। उन्होंने इंग्लैंड में वारविक और नाटिंगम विश्वविद्यालयों से डिग्री हासिल की है और फ्रांस में पेरिस की आईआईईपी यूनेस्को और यूनीसेफ, डैनिडा जैसी अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसियों से बतौर सलाहकार जुड़ी रही हैं। वे अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सटी से गोल्डमेडलिस्ट हैं और कुरूक्षेत्र यूनिवर्सटी से उन्होंने शिक्षा में पीएचडी की डिग्री हासिल की।
उन्होंने तकरीबन 15 साल डिपार्टमेंट ऑफ एजूकेशनल एडमिनिस्ट्रेशन (एनआईपीए) में प्रशासन संभालने में निकाल दिए। उन्हें 130 देशों में शिक्षा अधिकारियों के लिए अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक प्रशासन का कोर्स तैयार किया। जिसमें बड़ी तादाद में लोग भाग लेते हैं। उन्होंने इलाहाबाद (प्रयागराज) में पहला राज्यस्तरीय प्रबंधनकूल (एसआईई) बनाया जहां देश के शिक्षा अधिकारी प्रशिक्षित किए जाते हैं। उन्होंने कई और महत्वपूर्ण शिक्षा संस्थानों के प्रबंधन पर नज़र रखी।
वे अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सटी में एकेडेमिक कार्यक्रमों की निदेशक रहीं। इग्नू में कई दूरस्थ शिक्षा शास्त्रियों की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विद्यालयों की क्षमता बढ़ाने में उन्होंने खासा सहयोग दिया।
ऐसी उम्मीद की जाती है कि जामिया मिलिया इस्लामिया की पहली महिला वाइस चांसलर नज्मा अख्तर इस विश्वविद्यालय को एक अंतरराष्ट्रीय पहचान दिला सकेंगी।