अयोध्या में प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति में होगी रामलला की प्रतिमा में प्राण प्रतिष्ठा
अयोध्या में बन रहे भगवान राम के मंदिर का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। मंदिर निर्माण समिति ने इसकी कुछ तस्वीरें एवं वीडियो झलकियां भी सार्वजनिक की हैं। 22 जनवरी को मंदिर में स्थापित मूर्तियों में प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूजापाठ में भागीदारी करेंगे। इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं कई केंद्रीय मंत्रियों समेत उत्तर प्रदेश के मंत्री इस पूजापाठ में उपस्थित रहेंगे।
मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने बताते हैं कि तीन तल्ला भव्य राम मंदिर के भूतल का निर्माण इस वर्ष दिसंबर मे पूरा हो जाएगा। कहा जा रहा है कि राम मंदिर निर्माण का कार्य अति शीघ्रता से हो रहा है। अयोध्या में बन रहा ये राम मंदिर विश्व के भव्य आधुनिक मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में अत्याधुनिक उपकरण लगाये जा रहे हैं। भगवान राम की समुचित जीवन लीलाओं को इस मंदिर में दर्शाया जाएगा, जिसमें उनके अवरण दिवस से लेकर वनवास एवं अयोध्या लौटने तक की स्मृतियाँ जीवंत होंगी।
10 दिन चलेगा अनुष्ठान
राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दासजी महाराज बताते हैं कि भगवान राम के भव्य मंदिर में पूजा अनुष्ठान मकर संक्रांति अर्थात् 14 जनवरी के बाद से आरम्भ हो जाएगा। इस आधार पर 15 जनवरी से 24 जनवरी तक पूरे 10 दिनों तक चलेगा। 22 जनवरी को भगवान राम की प्रतिमा के अतिरिक्त अन्य प्रतिमाओं में प्राण प्रतिष्ठा होगी।
मंदिर प्रबंधन की ओर से प्रधानमंत्री कार्यालय को इस विधान के लिए पत्र भेजा गया था, जिसका उत्तर आ गया है। इसी पत्राचार में यह तय हुआ है कि मंदिर में पूजा अनुष्ठान का कार्यक्रम 15 से 24 जनवरी, 2024 तक होगा एवं 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में मूर्तियों में प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। अभी राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट औपचारिक रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अभिषेक समारोह के लिए आमंत्रित करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में रामलला की प्रतिमा भी मंदिर के गर्भगृह में स्थापित की जाएगी।
मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा बताते हैं कि इन दिनों एक उपकरण बन रहा है जिसे मंदिर के शिखर पर स्थापित किया जाना है। इस उपकरण के माध्यम से हर वर्ष राम नवमी के दिन गर्भगृह में क्षण भर के लिए भगवान के माथे पर सूर्य की किरणें पड़ा करेंगी। इस उपकरण को बेंगलूरु में वैज्ञानिकों के एक दल के दिशा-निर्देशन में निर्मित किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान, रुडक़ी एवं पुणे के एक भवन निर्माण संस्थान के एक संयुक्त दल द्वारा एक कम्प्यूटरीकृत कार्यक्रम बनाया गया है जो मंदिर की भव्यता में चार चांद लगा देगा।
किस तिथि को खुलेंगे कपाट?
मंदिर निर्माण समिति ने तीन माह पहले ही 24 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए खोलने की बात कही थी। अब तय हो चुका है कि अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर के कपाट 24 से 25 जनवरी तक आम श्रद्धालुओं के लिए खुल जाएँगे। इससे पूर्व होने वाले पूजा अनुष्ठान नियोजित समारोह के लिए मंदिर निर्माण समिति के महासचिव चंपत राय के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया गया है।
मंदिर निर्माण समिति की ओर से कहा गया है कि पूजा अनुष्ठान के समय लोगों का अयोध्या नगरी में भारी संख्या में आना तय है, जिसे सँभालने के लिए पुलिस प्रशासन के अतिरिक्त अर्धसैन्य बलों के जवान भी तैनात किये जाने की सम्भावना है। इसके अतिरिक्त श्रद्धालुओं की अत्यधिक संख्या मंदिर एवं पूजा अनुष्ठान से दूर करने के लिए अयोध्या में जगह-जगह बड़े पर्दे के टीवी लगाये जाने की सम्भावना है। इसके अतिरिक्त इस पूजा अनुष्ठान का सीधा प्रसारण टेलीविजन पर किया जाएगा। मंदिर प्रबंधन समिति ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे 10 दिनों का पूजा अनुष्ठान अपने घरों में रहकर ही देखें। जब मंदिर के कपाट सभी के लिए खोल दिये जाएँ तब श्रद्धालु मंदिर में आएँ।
मंदिर प्रबंधन समिति के एक पुजारी ने बताया कि पूजा अनुष्ठान का समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गणतंत्र दिवस के अनुरूप तय किया गया है। 26 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल क़िले की प्राचीर पर तिरंगा फहराकर देश की जनता को संबोधित करेंगे। इसके पूर्व ही मंदिर में पूजा अनुष्ठान एवं प्रतिमाओं में प्राण प्रतिष्ठा का कार्य पूरा किया जाएगा। मंदिर प्रबंधन समिति की ओर से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पूजा अनुष्ठान में 10,000 लोगों की आरंभिक सूची तैयार की गयी है। इस सूची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, कई केंद्रीय मंत्री, उत्तर प्रदेश के मंत्री, कुछ बड़े नेता, प्रतिष्ठित लोग एवं साधु-संतों के अतिरिक्त राम मंदिर आन्दोलन से जुड़े लोगों के नाम हैं।
मंदिर के कपाट खुलने पर अयोध्या में अत्यधिक श्रद्धालुओं के आने की सम्भावना है। इसे ध्यान में रखते हुए मंदिर प्रबंधन समिति ने तय किया है कि रामलला के दर्शन के लिए प्रत्येक श्रद्धालु को 15 से 20 सेकेंड का समय दिया जाएगा। मंदिर के अन्य स्थलों एवं परिसर में स्थिति प्रदर्शनी को श्रद्धालु अधिक समय देख सकेंगे। इसके अतिरिक्त श्रद्धालुओं को मंदिर परिसर में स्वच्छता का ध्यान रखना होगा। अपने बटुए, मोबाइल फोन एवं अन्य सामान की सुरक्षा करना भी श्रद्धालुओं का उत्तरदायित्व होगा। वैसे तो मंदिर में एवं परिसर के चप्पे-चप्पे पर पुलिस एवं अर्ध सैन्य बलों के जवानों के अतिरिक्त सीसीटीवी कैमरों की पैनी दृष्टि होगी मगर श्रद्धालुओं को अपनी सुरक्षा का ध्यान रखते हुए सचेत रहने का सुझाव दिया गया है।
श्रद्धालुओं की आस
बीते वर्ष से उड़ती-उड़ती यह बात लोगों के मुँह से सुनी जा रही है कि जब अयोध्या में राम मंदिर बन जाएगा, तो पूरे देश से श्रद्धालुओं को मंदिर तक लाने के लिए नि:शुल्क बस सेवा आरम्भ हो सकती है। हालाँकि यह सूचना पूर्णतया पुष्ट नहीं है। मगर यदि ऐसा हुआ, तो इन बसों का प्रबंध उत्तर प्रदेश सरकार कर सकती है। भाजपा शासन वाली अन्य राज्यों की सरकारें भी बसों का प्रबंध कर सकती हैं।
भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय नेता मंदिर निर्माण पूरा होने एवं शीघ्र ही मंदिर के कपाट खुलने को लेकर अत्यधिक प्रसन्न हैं। भारतीय जनता पार्टी की सदस्या आरती कहती हैं कि राम मंदिर का निर्माण पूरे देश के लिए गर्व की बात है। हमारी संस्कृति एवं धरोहरों को पुनर्जीवित करने का जो कार्य भारतीय जनता पार्टी ने किया है, उसका सबसे अधिक श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जाता है। भारतीय जनता पार्टी एवं हिन्दू संगठनों ने जब राम मंदिर निर्माण के लिए एकजुट होकर अयोध्या को कूच किया था, तब न जाने कितने ही श्रद्धालु एक ईष्र्यालु सरकार के द्वारा पुलिस से मरवा दिये गये। मगर कहते हैं कि बलिदान व्यर्थ नहीं जाता। आज मंदिर के लिए बलिदान देने वाले उन श्रद्धालुओं का त्याग व्यर्थ नहीं गया।
भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता देवेंद्र कहते हैं कि राम मंदिर का निर्माण देश की उस संस्कृति का प्रतीक है, जो भारत को विश्वगुरु बनाती है। पूरे विश्व में भगवान राम की उपासना करने वाले हैं; मगर भगवान के जीवन दर्शन से कम ही श्रद्धालु परिचित हैं। अतएव राम जन्मभूमि पर राम मंदिर का निर्माण होना हमारी सनातन संस्कृति को पुनर्जीवित करने जैसा पुण्य का कार्य है, जिसके लिए देश के प्रत्येक श्रद्धालु ने दान दिया है।
कब सुलझा विवाद?
वर्ष 2019 में सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या का विवाद सदैव के लिए समाप्त कर दिया। न्यायालय की ओर से फ़ैसले में कहा गया कि अयोध्या राम जन्म भूमि पर मंदिर समिति का ही आधिपत्य रहेगा; मगर सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के लिए राम मंदिर प्रबंधन पाँच एकड़ भूमि का मस्जिद निर्माण के लिए देगा। केंद्र सरकार को इस व्यवस्था को लागू करने, मंदिर प्रबंधन समिति बनाने का आदेश भी सर्वोच्च न्यायालय ने दिया।
वर्तमान स्थिति
इधर, उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बन रहे रामलला के भव्य मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को भव्य बनाने की तैयारी शुरू हो गयी है। मंदिर की भव्यता के अनुरूप इसमें समाज के सभी वर्गों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किये जाने की तैयारी की गयी है। मंदिर ट्रस्ट की बैठक के दौरान प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम तक मंदिर के साथ-साथ अन्य आवश्यक निर्माण कार्यों को भी पूरा कराये जाने की तैयारी की गयी है। तय किया गया है कि कार्यक्रम में आने वाले सभी अतिथियों को प्राण प्रतिष्ठा का प्रसाद दिया जाएगा।
राम मंदिर निर्माण समिति की ओर से दावा किया गया है कि साल के अन्त तक प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर आवश्यक निर्माण कार्यों को पूरा करा लिया जाएगा। राम मंदिर निर्माण समिति की दो दिवसीय बैठक में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम तक के लिए आवश्यक निर्माण समय से पूरा करने पर बल दिया गया। साथ ही यह बताया गया कि गर्भ गृह में जहाँ भगवान राम लला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है, उसके फ़र्श से छत तक का निर्माण कार्य पूरा हो गया है।
मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि दूसरे दिन की बैठक में अयोध्या के प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष ने बैठक की। इसमें प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की तैयारी और व्यवस्था को लेकर गहन चर्चा की गयी। चंपत राय ने कहा कि जैसे-जैसे प्राण प्रतिष्ठा का समय निकट आ रहा है। इसके कार्यक्रम और व्यवस्था को लेकर नियमित बैठकें की जा रही हैं। सभी तैयारियों की पड़ताल तीव्र हो गयी है। मंदिर के सभी तलों का कार्य शीघ्र पूरा होगा।