सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के दो उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को सर्वोच्च न्यायालय का जज बनाए जाने की सिफारिश के मामले में बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। कॉलेजियम के इस फैसले के विरोध में सुप्रीम कोर्ट के जज संजय कौल ने सीजेआई रंजन गोगोई को पत्र लिखा है।
गौरतलब है कि १९ नवंबर को कॉलेजियम ने राजस्थान और दिल्ली उच्च न्यायालयों के मुख्या न्यायाधीशों प्रदीप नंद्राजोग और राजेंद्र मेनन को सर्वोच्च न्यायालय का जज बनाने की सिफारिश की थी। हालाँकि जनवरी के पहले हफ्ते में अचानक इन दोनों की जगह कॉलेजियम ने कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दिनेश माहेश्वरी और दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना के नाम की सिफारिश की।
अब रिपोर्ट में बताया गया है कि जज संजय कौल ने राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नंद्राजोग को नजरअंदाज किए जाने के विरोध में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर आपत्ति जताई है। अपने पात्र में कौल ने कहा कि जिन नामों पर विचार किया गया है, उनमें मुख्या न्यायाधीश नंद्राजोग वरिष्ठतम जज हैं और उन्हें नजरअंदाज करने से एक गलत संकेत मिलता है।
रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय कॉलेजियम के उपरोक्त फैसले से जस्टिस कौल ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट के कुछ अन्य जज भी नाराज हैं। कहा जा रहा है कि ये जज नहीं चाहते कि कॉलेजियम के फैसले से कोइ गलत संकेत जाए।
कॉलेजियम के जजों की नियुक्ति पर फैसला बदलने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास भी इसके विरोध में पत्र भेजा गया है। राष्ट्रपति को दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज कैलाश गंभीर ने पत्र लिखा है। पत्र में जस्टिस गंभीर ने ३२ वरिष्ठ जजों की अनदेखी कर जस्टिस महेश्वरी और खन्ना को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त करने की सिफारिश को गलत बताया है। उन्होंने राष्ट्रपति से इस ”ऐतिहासिक भूल” को रोकने के लिए कहा है।