छवि को हो रहे नुक्सान की ‘भरपाई’ की कोशिश में भाजपा

शाह का उत्तेजक नारों को लेकर ब्यान और नड्डा का गिरिराज को तलब करना इसका सबूत

लगता है कि भाजपा में ऊटपटांग बयानबाजी से हो रहे नुक्सान और आम जनता में खराब हो रही छवि से चिंतित भाजपा में ”डैमेज कंट्रोल” की कोशिश शुरू हो गयी है।  गृह मंत्री अमित शाह के उत्तेजक नारों को भाजपा की हार का एक कारण बताने के बाद अब पार्टी प्रमुख जेपी नड्डा ने पार्टी के वरिष्ठ नेता गिरिराज सिंह को तलब कर  उनके विवादित बयानों पर उनकी ”क्लास” लगाई है।
भाजपा दिल्ली में अपने बहुत बुरे प्रदर्शन के बाद काफी चिंतित और परेशान है। उसके इनपुट्स और तमाम मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि पार्टी नेताओं के उत्तेजक नारों और बयानों से उसे बहुत नुक्सान पहुँच रहा है। पार्टी के अपने सर्वेक्षण बता रहे कि उसकी आक्रमक चुनाव प्रचार वाली छवि उसे लाभ देने की जगह नुक्सान देने लगी है और लोग चाह रहे हैं कि जिस पार्टी को उन्होंने कुछ महीने पहले ही दोबारा बड़े बहुमत के साथ सत्ता सौंपी है, वो देश की विकराल समस्यायों को लेकर समाधान के रास्ते खोजे।
”तहलका” की जानकारी के मुताबिक देश में नागरिकता क़ानून से लेकर हाल में बहुत सी ऐसी चीजें हुई हैं जिन्होंने मोदी सरकार को चिंता में डाल दिया है। सरकार को यह बिलकुल भी उम्मीद नहीं थी कि सीएए आदि के खिलाफ आंदोलन इतना लम्बा खिंच जाएगा। सरकार मान रहे है कि इस आंदोलन से उसकी छवि को नुक्सान पहुंचा है।
उधर नए भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा पार्टी के भीतर बेलगाम हो रहे नेताओं पर शिकंजा कसने की तैयारी में हैं। माना आ रहा है कि बहुत से नेता पार्टी लाइन से बहुत आगे जाकर आक्रमक ब्यान दे रहे हैं जिससे पार्टी को नुकसान हो रहा है। नड्डा चाहते हैं कि पार्टी के नेता ब्यान देते हुए समझदारी दिखाएँ और बहुत संतुलित होकर बोलें। वो पार्टी की सोच जरूर रखें, लेकिन बहुत समझदारी के साथ ताकि उसका लाभ मिले और नुक्सान न हो।
गिरिराज सिंह जैसे नेता अपने विवादित बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में रहते हैं। उनके ब्यान कई बार तो बहुत ही विवादित होते हैं। पिछले काफी समय से लोगों के बीच अब सरकार को लेकर सोच बदल रही है। उनका कहना है कि सरकार को बेरोजगारी, महंगाई, किसान, इकॉनमी जैसे मुद्दों पर फोकस करना चाहिए अन्यथा जनता की स्पोर्ट की कोइ गारंटी नहीं रहेगी। वैसे भी  भाजपा लगातार राज्यों के चुनाव हार रही है। इससे भाजपा नेतृत्व में चिंता है। उसे इसी साल बिहार के भी चुनाव झेलने हैं।
दिल्ली चुनाव के वक्त गिरिराज सिंह के शाहीन बाग को लेकर ”यह शाहीन बाग़ अब सिर्फ आंदोलन नहीं रह गया है यहां सुसाइड बॉम्बर का जत्था बनाया जा रहा है” जैसे ब्यान पर लोगों ने नकारात्मक प्रतिक्रिया दिखाई थी। उनके अलावा दिल्ली के सांसद
प्रवेश वर्मा ने भी बहुत से विवादित बयान दिए। इसके अलावा उन्होंने ”देवबंद आतंकवाद की गंगोत्री है और हाफिज सईद समेत बड़े-बड़े आतंकवादी यहीं से निकलते हैं” वाले ब्यान पर भी काफी विवाद हुआ है।
यह माना जा रहा था कि अपनी युवा ब्रिगेड को पार्टी ही आगे कर रही है ताकि दिल्ली चुनाव में ध्रुवीकरण किया जा सके। प्रवेश वर्मा के अलावा भाजपा के युवा तुर्क माने जाने वाले अनुराग ठाकुर के एक ब्यान पर भी खूब विवाद हुआ।
भाजपा इस बात से बहुत चिंतित है कि जिन नरेंद्र मोदी और अमित शाह को ”चुनाव जिताने की गारंटी देने वाला नेता” पार्टी के कार्यकर्ता मानते थे, वे राज्यों के चुनावों में अपना करिश्मा नहीं दिखा पा रहे और पार्टी को वोट नहीं दिला पा रहे। बहुत से राज्य हाल के महीनों में भाजपा के हाथ से खिसक गए हैं जिससे आने वाले महीनों में उसकी राज्य सभा नफरी भी प्रभावित होगी। ऐसा होने से उसे अपने महत्वाकांक्षी बिलों को पास करवाने में दिक्कत पेश आएगी।
हालांकि भाजपा नेतृत्व की कवायद का अब उसे क्या लाभ मिलेगा, यह तो वक्त ही बताएगा क्योंकि भाजपा को अब मुद्दों पर आना पड़ेगा। यदि, भाजपा सिर्फ नेताओं की क्लास लगाकर ही शांत होकर बैठ जाती है, तो शायद उसे आने वाले समय में और दिक्क्तें झेलनी पड़ें। बिहार विधानसभा के चुनाव आने वाले समय में भाजपा की सबसे परीक्षा होंगे।