देश में सुशासन का दूसरा दौर अब चल रहा है। इसकी रजामंदी देश की जनता ने दी। भाजपा को और ज्य़ादा वोट देकर। एक अकेली पार्टी को विशाल बहुमत। इसके बाद 39 राजनीतिक दलों के साथ तालमेल। विभिन्न दलों के नेता नरेंद्र मोदी यानी पूरे देश की जनता का प्रतिनिधित्व। उम्मीदें ही उम्मीदें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सिर पर ताज। इस ताज में कांंटे भी कम नहीं। काम को संभालने के लिए 57 मंत्रियों का सहयोग। देश की आंतरिक समस्याओं के साथ ही क्षेत्रीय और वैश्विक भागीदारी की जिम्मेदारी। केंद्रीय मंत्रिमंडल में एक कैरियर डिप्लोमेट एस जयशंकर और कोई भी सीट न जीत पाने वाले रामदास अठावले भी साथ। पुराने मंत्रिमंडल से 22 लोगों की छुट्टी। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह केंद्रीय मंत्रिमंडल में।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति में जो संभावित बदलाव है उसका पता आमंत्रित विदेशी अतिथियों को देख कर लगता है। इस बार सार्क पर नहीं बल्कि वे ऑफ बंगाल इनीशिएटिव फार मल्टी सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन (बिमस्टेक) पर ज्य़ादा जोर। दक्षिण एशिया में पड़ोसी देशों से ताल्लुकात और घने करने की नीति। यानी सोवियत संघ और चीन के प्रभाव वाले दक्षिण एशियाई देशों में अब भारत भी खास। यानी देश में और विदेश में कई नए आयाम गढऩे का इस बार इरादा है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का। दृढ़ संकल्प, इरादे के साथ वे चुनौतियों का करते रहे हैं मुकाबला। देश में छोटे किसान, दलित और आदिवासी भी उनके प्रति टकटकी लगाए हैं। देश के व्यापारी और बाजार को खासी उम्मीदें हैं। भारत के सभी क्षेत्रों में विकास और समुद्धि आएगी।
नरेंद्र दमोदर दास मोदी ने गुरूवार (30 मई) को एक बार फिर से देश के प्रधानमंत्री पद को संभाल लिया। राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में हुए इस भव्य शपथ ग्रहण समारोह में विदेशी मेहमानों सहित 8,000 के करीब लोग मौजूद थे। प्रधानमंत्री की इस मंत्रिपरिषद में 25 कैबिनेट, नौ राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार और 24 राज्यमंत्री लिए गए हंै। मंत्रिमंडल में 21 नए चेहरेे हैं जबकि पिछले मंत्रिमंडल में रहे 22 मंत्रियों को बाहर कर दिया गया है।
इस मंत्रिमंडल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा जो प्रमुख चेहरे हैं उनमें दूसरे नंबर पर हैं राजनाथ सिंह । राजनाथ लखनऊ से जीत कर आए हैं। वह सरकार के पहले कार्यकाल में गृहमंत्री थे। तीसरे नंबर पर शपथ लेने वाले थे पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह। अमित शाह गांधीनगर से जीते हैं। इनके बाद नितिन गड़करी ने शपथ ली। पिछली सरकार में वे केंद्रीय सड़क परिवहन एंव राजमार्ग मंत्री थे। वरिष्ठ मंत्रियों में बंगलूरू उत्तर से जीत कर आए डीवी सदानंद गौड़ा है। पिछली सरकार में वे सांख्यिकी और कार्यक्रम मंत्री थे। पिछली सरकार में रक्षामंत्री रही निर्मला सीतारमण को एक बार फिर से मंत्रिमंडल में लिया गया है। वह राज्यसभा की सांसद हैं। लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के प्रमुख रामविलास पासवान पिछली सरकार में उपभोक्ता मामलों के मंत्री थे। हालांकि इस बार उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा लेकिन फिर भी उन्हें मंत्रिमंडल में ले लिया गया है। उन्हें राज्यसभा में भेजा जाएगा।
पिछली सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्री रहे राज्य सभा के सांसद प्रकाश जावड़ेकर को इस बार भी मंत्रिमंडल में ले लिया गया है। पिछले कानून मंत्री रवि शंकरप्रसाद फिर से मंत्रिमंडल में पहुंचे हैं। पिछले रेल मंत्री व राज्यसभा सदस्य पीयूष गोयल को फिर से मंत्रिमंडल में लिया गया है। 2014 से 2017 तक वे बिजली, कोयला और नवीकरणीय ऊर्जा विभाग में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे। पूर्व विदेश सचिव एस जयशंकर को कैबिनेट में शामिल करने पर सभी को हैरानी है।
पिछले मंत्रिमंडल में कपड़ा मंत्री रही और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को हराने वाली स्मृति ईरानी को फिर से मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया है।
मंत्रिमंडल में कुछ चेहरे ऐसे हैं जिन्हें इस बार मंत्रिमंडल में शामिल नहंी किया गया है। इनमें सुषमा स्वराज, अरूण जेटली और मेनका गांधी हैं। इसके अलावा पांच और मंत्री हैं जिन्हें इस बार मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। जो पूर्व मंत्री बाहर रखे गए हैं उनमें शामिल हैं – सुरेश प्रभु, मेनका गांधी, अरूण जेटली, जुआल ओराम, राधा मोहन सिंह। इनके अलावा पिछली मंत्रिपरिषद में शामिल रहे राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) महेश शर्मा, मनोज सिन्हा, राज्यवर्धन सिंह राठौर और अल्फोंस कनंनथम को भी इस बार शपथ नहीं दिलाई गई।
अरूण जेटली ने तो खुद अपनी सेहत का हवाला देकर उन्हें कोई पद न देने की पेशकश की थी। ऐसा ही पिछली विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने किया। उन्होंने तो चुनाव भी नहीं लड़ा। हालांकि उन्हें मनाने की काफी कोशिश की गई पर उन्होंने अपनी सेहत का हवाला देकर अपनी असमर्थता जता दी।
मेनका गांधी की छुट्टी किया जाना सभी को चौंकाता है। असल में गांधी परिवार के दूसरे पक्ष की काट के लिए मेनका गांधी भाजपा के लिए बहुत अहम थी। अब उन्हें मेनका की ज़रूरत नहीं लगती इसलिए उन्हें दरकिनार कर दिया गया।
इनके अलावा डाक्टर रीता बहुगुणा जोशी को मंत्रिमंडल में दाखिला न मिलने पर सभी को हैरानी है। लगता है कि उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश में भाजपा ने अपने फायदे के लिए उनका जो इस्तेमाल करना था वह कर लिया और अब उनकी जडं़े उत्तराखंड में जम चुकी हैं, इस कारण रीता का भी अब वह महत्व नहीं रह गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास ये मंत्रालय हैं-
कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय,
लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली
परमाणु ऊर्जा
अंतरिक्ष एवं महत्वपूर्ण नीतियों के अलावा वे सभी मंत्रालय और विभाग जो किसी मंत्री को आवंटित नहीं किए गए हैं।
कैबिनेट मंत्री
1 राजनाथ सिंह रक्षा मंत्रालय
2 अमित शाह गृह मंत्रालय
3 नितिन गडकरी सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय
4 डीवी सदानंद गौड़ा रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय
5 निर्मला सीतारमण वित्त मंत्रालय तथा कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय
6 रामविलास पासवान उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति
7 नरेंद्र सिंह तोमर कृषि एवं कृषक कल्याण, ग्रामीण विकास, पंचायती राज मंत्रालय
8 रविशंकर प्रसाद कानून एवं न्याय, संचार, इलेक्ट्रोनिक्स एवं सूचना तकनीकी
9 हरसिमरत कौर बादल खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय
10 थावरचंद गहलोत सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय
11 एस जयशंकर विदेश मंत्रालय
12 रमेश पोखरियाल निशंक मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय
13 अर्जुन मुंडा आदिवासी मामलों का मंत्रालय
14 स्मृति ईरानी महिला एवं बाल विकास तथा कपड़ा मंत्रालय
15 हर्षवर्धन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, विज्ञान एवं तकनीक, पृथ्वी विज्ञान
16 प्रकाश जावड़ेकर पर्यावरण, जलवायु, वन, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय
17 पीयूष गोयल रेलवे तथा वाणिज्य उद्योग
18 धर्मेंद्र प्रधान पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस, इस्पात
19 मुख्तार अब्बास नकवी अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय
20 प्रहलाद जोशी संसदीय कार्य, कोयला तथा खदान मामले
21 महेंद्रनाथ पांडेय कौशल विकास एवं उद्यमिता
22 अरविंद सावंत भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उपक्रम मंत्रालय
23 गिरिराज सिंह पशु संवर्धन, डेयरी एवं मत्स्य विभाग मंत्रालय
24 गजेंद्र सिंह शेखावत जल शक्ति मंत्रालय
राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
1 संतोष गंगवार श्रम एवं रोजगार मंत्रालय
2 राव इंद्रजीत सिंह सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन, योजना मंत्रालय
3 श्रीपद नाइक आयुष एवं रक्षा राज्य मंत्रालय
4 जीतेंद्र सिंह पूर्वोत्तर विकास, प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष मंत्रालय
5 किरेन रिजिजू खेल एवं युवा कल्याण, अल्पसंख्यक मामले
6 प्रहलाद पटेल संस्कृति तथा पर्यटन मंत्रालय
7 राजकुमार सिंह ऊर्जा, अक्षय ऊर्जा, कौशल विकास एवं उद्यमिता
8 हरदीप पुरी आवास एवं शहरी विकास, नागरिक उद्यन, वाणिज्य एवं उद्योग
9 मनसुख मांडविया जहाजरानी, रसायन एवं उवर्रक
राज्य मंत्री
1 फग्गन सिंह कुलस्ते इस्पात मंत्रालय
2 अश्विनी चौबे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
3 अर्जुन राम मेघवाल संसदीय कार्य, भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उपक्रम मंत्रालय
4 वीके सिंह सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय
5 कृष्णपाल गुर्जर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय
6 रावसाहेब दानवे उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली
7 जी किशनरेड्डी गृह राज्य मंत्रालय
8 पुरुषोत्तम रुपाला कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय
9 रामदास आठवले सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय
10 साध्वी निरंजन ज्योति ग्रामीण विकास मंत्रालय
11 बाबुल सुप्रियो पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय
12 संजीव बालियान पशु संवर्धन, डेयरी एवं मत्स्य मंत्रालय
13 संजय धोत्रे मानव संसाधन विकास, संचार, इलेक्ट्रोनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय
14 अनुराग ठाकुर वित्त, कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय
15 सुरेश अंगड़ी रेल मंत्रालय
16 नित्यानंद राय गृह मंत्रालय
17 रतन लाल कटारिया जल शक्ति, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय
18 वी मुरलीधरन विदेश मामले, संसदीय कार्य मंत्रालय
19 रेणुका सिंह सरुता आदिवासी मामलों का मंत्रालय
20 सोम प्रकाश वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
21 रामेश्वर तेली खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय
22 प्रताप चंद्र सारंगी एमएसएमई, पशु संवर्धन डेयरी एवं मत्स्य मंत्रालय
23 कैलाश चौधरी कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय
24 देबश्री चौधरी महिला एवं बाल विकास मंत्रालय
‘धर्मनिरपेक्षता एक ड्रामेबाजी’
प्रधानमंत्री ने देश में अपनी दूसरी जीत पर आयोजित समारोह में धर्मनिरपेक्षता को ड्रामेबाजी बताया। आपने पिछले तीस साल से देखा होगा कि यह ड्रामेबाजी एक अर्से से चलती रही। यह फैशन ही बन गया था पवित्र गंगा में डुबकी लगाने सा यह हो गया था। भाजपा की अभूतपूर्व जीत पर उनके पहले उद्गार थे। वह टैग भी जाली ही था। इसे सेक्यूलिरिज्म कहते हैं। भाजपा के दीनदयाल मार्ग कार्यालय में मौजूद भीड़ ने उनकी बात पर तालियां बजाईं। इससे लगा कि बहुमत जो हासिल हुआ है उससे भारत की पहचान बदल देने का अधिकार भी है। भाजपा ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को भोपाल से चुनाव लड़ाया उसने नाथू राम गोडसे को ‘देशभक्त’ बताया। उसे भोपाल की जनता ने बहुमत दिया। अपने चुनाव प्रचार में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भारत में आए मुस्लिम घुसपैठियों को ‘दीमक’ बताया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि अपने 2014 से 2019 तक इस पूरे समुदाय (धर्मनिरपेक्ष लोग) को कुछ भी कहने से बचते हुए देखा होगा। अब एक भी राजनीतिक पार्टी में वह हिम्मत नहीं है कि वह देश को ‘धर्मनिरपेक्षता’ का बिल्ला लगा कर भ्रमित करे। उन्होंने कहा हर चुनाव में भ्रष्टाचार का बोलबाला होता है उस पर चुनाव लड़े जाते हैं। लेकिन यह पहला चुनाव था जब कोई राजनीतिक दल इस सरकार के पांच साल पर भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं लगा सका।
मंत्रिमंडल में अगड़ों के 32 मंत्री केवल एक मुस्लिम चेहरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना मंत्रिमंडल बनाते समय जातीय समीकरणों को पूरी तरह ध्यान में रखा है। उनकी कोशिश रही है कि समाज के सभी तबकों को पूर प्रतिनिधित्व मिल जाए। इसमें सभी जातियों को शामिल करने का प्रयास किया गया है। देखा जाए तो मंत्रिमंडल में अगड़ी जाति के लोगों का वर्चस्व है। मंत्रिमंडल में 32 मंत्री ऊंची जाति से हैं। इसमें नौ ब्राहमण हैं। नितिन गडकरी भी इसी श्रेणी में आते हैं। इसके अलावा मंत्रियों में तीन ठाकुर हैं। इसमें राजनाथ सिंह (लखनऊ), गजेंद्र सिंह शेखावत (जोधपुर) और नरेंद्र सिंह तोमर (मुरैना) शामिल हैं।
मंत्रिमंडल में अति पिछड़ा वर्ग को भी जगह दी गई है। इन में खुद प्रधानमंत्री मोदी भी आते हैं। इनके अलावा इसी वर्ग से धर्मेंद्र प्रधान को भी लिया गया है। दलित समुदाय से छह नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। जबकि चार आदिवासी चेहरे में मंत्रिमंडल में नजऱ आते हैं। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा भी इनमें शामिल है। सिखों में से अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल और भाजपा के हरदीप पुरी को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। मंत्रिमंडल में एकमात्र मुस्लिम चेहरा है मुख्तार अब्बास नकवी।
इन चुनावों में भाजपा की जीत में कई क्षेत्रीय पार्टियों के जातिगत समीकरण ध्वस्त हो गए थे और विभिन्न वर्गों के लोगों ने भाजपा का समर्थन किया था। यही कारण है कि भाजपा ने भी मंत्रिमंडल में लगभग सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है। भाजपा को ऊंची जाति की पार्टी माना जाता है। यह बात मंत्रिमंडल की बनावट से भी सत्य झलकती है। ऐसा करके उन्होंने अपने वोट बैंक को यह संदेश भी दिया है कि चाहे मंत्रिमंडल में दलितों को भी प्रतिनिधित्व दिया गया है पर दबदबा तो स्वर्ण जाति के लोगों का ही रहेगा। पिछले कार्यकाल के दौरान भाजपा ने आर्थिक रूप से पिछढ़े स्वर्णों को भी 10 फीसद आरक्षण देने का फैसला किया था।