चुनावों से पहले सीडब्ल्यूसी का विस्तार

इस वर्ष पाँच राज्यों- छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना, मध्य प्रदेश और मिजोरम में विधानसभा चुनावों के बाद अगले वर्ष 2024 की शुरुआत में लोकसभा चुनाव होने हैं। चुनावों को लेकर सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारियों में जुट गये हैं। इसी के मद्देनज़र कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की जयंती पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े ने कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) का विस्तार करते हुए अपनी नयी टीम का ऐलान कर दिया है। अक्टूबर 2022 में मल्लिकार्जुन खडग़े कांग्रेस अध्यक्ष बने थे और उस वक़्त की 23 सदस्यीय सीडब्ल्यूसी को उन्होंने भंग कर दिया था। अब उन्होंने सीडब्ल्यूसी में 84 सदस्यीय टीम का गठन किया है। इनमें 39 सदस्य, 18 स्थायी आमंत्रित सदस्य, 14 प्रभारी, 9 विशेष आमंत्रित सदस्य और 4 पदेन सदस्य शामिल हैं। सीडब्ल्यूसी के 39 सदस्यों में सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी, प्रियंका गाँधी वाड्रा, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और शशि थरूर को भी शामिल किया गया है।

किसी जानकार ने बताया कि कांग्रेस के बाग़ी नेताओं के ग्रुप जी-23 से कांग्रेस नेतृत्व ने एक बात ज़रूर समझी है कि किसी भी नेता को ख़ाली मत छोड़ो; ख़ाली दिमाग़ शैतान का घर होता है। सीडब्ल्यूसी की संख्या को बढ़ा दिया गया और लगभग सभी वरिष्ठ नेताओं को इसमें शामिल कर लिया गया है। दरअसल इतनी बड़ी संख्या में सीडब्ल्यूसी अब अघोषित मार्गदर्शन मंडल है। आप इस महत्त्वपूर्ण कमेटी के सदस्य हैं। आपको अपनी इच्छा के अनुसार यहीं से रिटायर होना है। कांग्रेस कार्य समिति के गठन के बाद अब जल्द ही चुनावी राज्यों को छोडक़र प्रभारियों और महासचिवों की ज़िम्मेदारियों में भी बदलाव किया जाएगा। इसके अंतर्गत कई प्रभारियों को उनके वर्तमान प्रदेश से हटाकर किसी दूसरे प्रदेश की ज़िम्मेदारी सौंपी जाएगी। साथ ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन किया जाएगा। इससे जिन लोगों के नाम सीडब्ल्यूसी में नहीं आये हैं, उनके लिए अभी उम्मीद बाक़ी है।

सीडब्ल्यूसी का गणित

आगामी विधानसभा-लोकसभा के चुनावों के मद्देनज़र कांग्रेस अध्यक्ष ने नयी कार्यसमिति बनाकर चुनावी रणनीति को धार देनी शुरू कर दी है। कांग्रेस के लिए राजस्थान के विधानसभा चुनाव बेहद अहम हैं, क्योंकि वहाँ लम्बे समय से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व सचिन पायलट में कलह चल रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए खडग़े ने टीम में राजस्थान की भागीदारी 4 से बढ़ाकर 7 कर दी है। संख्या बढ़ाने का मक़सद यह है कि यहाँ ज़मीनी स्तर लोगों तक पहुँच बनी रहे।

अगले चुनावी राज्य छत्तीसगढ़ की बात करें, तो खडग़े ने सीडब्ल्यूसी में केवल ताम्रध्वज साहू को तेइसवें नंबर पर जगह दी है। मध्य प्रदेश में भी विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र 39 सदस्यों की टीम में वहाँ से पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह को नौवें नंबर पर जगह दी गयी है। टीम में कमलेश्वर पटेल और मीनाक्षी नटराजन भी हैं। तेलंगाना से स्थायी आमंत्रित सदस्यों में पूर्व मंत्री दामोदर राजा नरसिम्हा को और विशेष आमंत्रित सदस्यों में पूर्व विधायक वामशी चंद रेड्डी को शामिल किया गया है।

कांग्रेस के बाग़ी नेताओं के पहले के ग्रुप जी-23 में कुल 23 नेता शामिल थे। किन्तु कांग्रेस अध्यक्ष खडग़े ने वृद्ध नेताओं, यंग जनरेशन, एससी / एसटी / ओबीसी और बाग़ी सुर दिखा चुके जी-23 ग्रुप के नेताओं को भी टीम में जगह दी है। खडग़े ने सफलतापूर्वक जी-23 ग्रुप के फैक्टर को काउंटर किया है। जी-23 ग्रुप के नेताओं में से $गुलाम नबी आज़ाद और कपिल सिब्बल कांग्रेस छोड़ चुके हैं।

संकल्प से शुरुआत

आगामी विधानसभा और लोकसभा के चुनावों को देखते हुए कांग्रेस पार्टी के छत्तीसगढ़ के रायपुर में इसी वर्ष फरवरी माह में हुए तीन दिवसीय महाधिवेशन में यह संकल्प लिया गया था कि संगठन और सीडब्ल्यूसी में सभी वर्गों दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को क़रीब 50 फ़ीसदी प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। अब इस पर अमल करते हुए सीडब्ल्यूसी के सभी तरह के 84 सदस्यों में से ओबीसी के 16, अनुसूचित जाति के 12, अनुसूचित जनजाति के 4 और अल्पसंख्यक वर्ग के 9 नेताओं को जगह दी गयी है। इसके अलावा सभी वर्ग की 15 महिलाओं को सीडब्ल्यूसी का सदस्य बनाया गया है। वहीं सामान्य वर्ग के 43 नेताओं को जगह दी गयी है।

कांग्रेस अध्यक्ष के कार्यालय के प्रभारी व सीडब्ल्यूसी सदस्य गुरदीप सिंह सप्पल ने बताया है कि 50 साल के आसपास के 21 नेताओं को सीडब्ल्यूसी में जगह दी गयी है, जो कुल सदस्यों के क़रीब 25 फ़ीसदी हैं। सीडब्ल्यूसी में आमंत्रित और पदेन सदस्यों सहित सभी की औसत आयु 62 वर्ष है। वहीं 39 सदस्यों की औसत आयु 66 वर्ष है। इन आँकड़ों में पाँच सदस्यों की सटीक उम्र सार्वजनिक न होने के कारण उन्हें इस औसत में शामिल नहीं किया गया है। सीडब्ल्यूसी को सन् 1920 में गठित किया गया था। कांग्रेस के नागपुर सेशन में इसका ऐलान किया गया था और इसकी अध्यक्षता सी. विजयराघवाचार्य ने की थी। इसके चुनाव दो बार हो चुके हैं।