आक्रोश में मध्य प्रदेश के आदिवासी

मध्य प्रदेश में विगत 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस की छुट्टी ख़त्म कर दी गयी, जिससे राज्य के आदिवासी समुदाय में काफ़ी आक्रोश देखने को मिला। वहीं मध्य प्रदेश सरकार में शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने विश्व आदिवासी दिवस के सम्बन्ध में विवादास्पद बयानबाज़ी कर इस मामले में आग में घी डालने का काम किया। राज्य के आदिवासी संगठनों के कार्यकर्ताओं एवं बुद्धिजीवियों ने कहा कि इससे भाजपा की सरकार को चुनाव में काफ़ी नुक़सान होगा; क्योंकि आदिवासी समुदाय में आक्रोश व्याप्त होने के कारण आदिवासी भाजपा को शायद ही वोट करेंगे।

दरअसल मणिपुर हिंसा सहित देश के अन्य आदिवासी क्षेत्रों में आदिवासियों पर हो रहे अत्याचारों को लेकर देश भर के तमाम आदिवासी समुदायों में पहले से ही ग़ुस्सा व्याप्त है, जिसके विरोध में विश्व आदिवासी दिवस के मौक़े पर मध्य प्रदेश सहित अन्य आदिवासी बहुल राज्यों- छत्तीसगढ़, झारखण्ड, राजस्थान, ओडि़शा, महाराष्ट्र इत्यादि राज्यों के आदिवासियों ने हिंसा के विरोध में रैली निकालकर प्रदर्शन किया। लेकिन मध्य प्रदेश सरकार द्वारा इस बार विश्व आदिवासी दिवस का राजकीय छुट्टी को समाप्त करने पर आदिवासियों का ग़ुस्सा और बढ़ गया। इस आक्रोश को ज़ाहिर करते हुए आदिवासियों ने मध्य प्रदेश के सभी आदिवासी विकासखंडों एवं ज़िला स्तर पर ज्ञापन सौंपा और रैली निकालकर मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी भी की।

विदित हो कि मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकर ने विश्व आदिवासी दिवस के मौक़े पर ऐच्छिक अवकाश को समाप्त कर दिया है। बताते चलें कि सन् 2019 में कमलनाथ सरकार द्वारा विश्व आदिवासी दिवस पर अनिवार्य अवकाश घोषित किया गया था; लेकिन उसके अगले साल कांग्रेस सरकार को गिराकर अस्तित्व में आयी भाजपा सरकार ने इसे अनिवार्य से ऐच्छिक अवकाश में तब्दील कर दिया। यह स्थिति सन् 2022 तक बनी रही। यह भी उल्लेखनीय है कि इस सम्बन्ध में राज्य के अनेक आदिवासी जनप्रतिनिधियों एवं बुद्धिजीवियों ने इस बार भी अवकाश घोषित करने की माँग की थी; लेकिन मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने उनकी माँग को नज़रअंदाज़ कर दिया।

वहीं शिवराज सिंह चौहान सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल इंदर सिंह परमार ने विश्व आदिवासी दिवस का विरोध करते हुए इसे विदेशी संस्कृति बता दिया। मंत्री के इस बयान से राज्य के आदिवासी समुदाय का आक्रोश और भडक़ गया और राज्य की सियासत गरमा गयी। कई जनप्रतिनिधियों ने इस बयान को आदिवासी विरोधी बताया, जबकि कई आदिवासी बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि भाजपा सरकार को इसका परिणाम आनेवाले नवंबर-दिसंबर के विधानसभा चुनाव में भुगतने पड़ेंगे। आदिवासी समाज उनके ख़िलाफ़ वोट करेगा।

विगत दिनों मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार में स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा था- ‘भारत में विश्व आदिवासी दिवस मनाना विदेशी संस्कृति है। इंग्लैंड ने अमेरिका के आदिवासियों पर अत्याचार किया, जिसके प्रायश्चित स्वरूप संयुक्त राष्ट्र ने इस दिवस की शुरुआत की। भारत में इसे मनाने का कोई औचित्य नहीं है।’

मंत्री के इस बयान पर जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) संगठन के राष्ट्रीय संरक्षक एवं मध्य प्रदेश के मनावर विधानसभा क्षेत्र से विधायक डॉ. हिरालाल अलावा ने अफ़सोस जताया और कहा कि विश्व आदिवासी दिवस और संयुक्त राष्ट्र के बारे मे मंत्री महोदय को कुछ भी ज्ञान नहीं है। डॉ. अलावा ने आगे कहा- ‘संयुक्त राष्ट्र ने विश्व आदिवासी दिवस की घोषणा की है और विश्व योग दिवस की भी। जब मंत्री महोदय विश्व योग दिवस में बढ़-चढक़र भाग लेते हैं और वह दिवस उनके लिए विदेश संस्कृति नहीं है, तो विश्व आदिवासी दिवस कैसे विदेशी संस्कृति है? दरअसल मंत्री महोदय आदिवासी विरोधी हैं।’

डॉ. अलावा ने कहा- ‘मध्य प्रदेश देश का सर्वाधिक आदिवासी जनसंख्या बहुल प्रदेश है। प्रदेश के अलग-अलग आदिवासी समुदाय अपनी विशेष संस्कृति, अनूठी परम्पराओं एवं रीति-रिवाज़ों के कारण अपनी एक विशिष्ट संवैधानिक पहचान रखते हैं, जिसे संरक्षित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा दिसंबर, 1994 में प्रतिवर्ष 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गयी। तबसे ही देश के विभिन्न क्षेत्रों में निवासरत आदिवासी समाज 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के रूप में वृहद् स्तर पर हर्षोल्लास के साथ मनाता आ रहा है। विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर पूर्व में ख़ुद मुख्यमंत्री एवं कई मंत्री भी इस कार्यक्रम में शामिल हो चुके हैं। इस प्रकार स्कूल शिक्षा मंत्री ने न सिर्फ़ अपने सरकार पर ही सवाल खड़ा कर रहे हैं, बल्कि देश-प्रदेश के सभी आदिवासी समुदाय का अपमान किये हैं। उन्हें देश-प्रदेश के समस्त आदिवासी समुदाय से माफ़ी माँगना चाहिए। मध्य प्रदेश के शिवराज सिंह चौहान सरकार आदिवासी विरोधी है। शिवराज सरकार ने विश्व आदिवासी दिवस के सार्वजनिक अवकाश को ख़त्म कर दिया और अब उनके मंत्री आदिवासियों के बारे में अपमानजनक बयानबाज़ी कर रहे हैं।’

वहीं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा- ‘आदिवासियों को विदेशी बताना आदिवासियों का अपमान है। केंद्र सरकार के आँकड़े बताते हैं कि मध्य प्रदेश में आदिवासियों पर सबसे ज़्यादा अत्याचार हो रहा है। आदिवासी हमारे मध्य प्रदेश के मूल निवासी हैं। उन्हें विदेशी या अलग-अलग नाम से पुकारना आदिवासियों का अपमान है। आज विश्व आदिवासी दिवस है; लेकिन ये दु:ख की बात है कि देश में सबसे ज़्यादा अत्याचार मध्य प्रदेश के आदिवासियों पर हो रहे हैं। ये हालत किसी से भी छुपे हुए नहीं हैं।’

युवा आदिवासी नेता एवं जयस संगठन भोपाल संभाग के अध्यक्ष बंटी उईके ने कहा- ‘विश्व आदिवासी दिवस को शिक्षा मंत्री द्वारा विदेशी संस्कृति या ईसाइयों का त्योहार कहने वाले बयानों से लगता है कि उन्हें इतिहास का कोई ज्ञान नहीं है। अगर यह इतिहास पढ़ लेते, तो इनको पता चलता कि आदिवासी कौन हैं? और आदिवासी दिवस क्यों मनाया जाता है? ऐसे लोग शिक्षा के नाम पर कलंक हैं। सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि 8 प्रतिशत आदिवासी ही इस देश के मूल-निवासी हैं, तो शिक्षा मंत्री परमार किस आधार पर आदिवासियों से भी पहले आर्यों के इस भूमि पर रहने की बात कर रहे हैं? आर्य तो बाहर से आये हैं। यह बात तो ख़ुद सुप्रीम कोर्ट कहता है। इतिहासकार भी यही बात कहते हैं।’

बंटी उईके ने कहा- ‘भाजपा और आरएसएस के लोग आदिवासियों को वनवासी कहकर उनका अपमान करते हैं। मध्य प्रदेश में आदिवासियों पर सबसे ज़्यादा अत्याचार करने वाले यही लोग हैं। विश्व आदिवासी दिवस की छुट्टी भी समाप्त कर दी और अब आदिवासियों पर अपमानजनक टिप्पणी कर रहे हैं। यह आदिवासी विरोधी सरकार है। इसका ख़ामियाज़ा सरकार को विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा। आदिवासी समाज अब इनको वोट नहीं देगा। इसके लिए गाँव-गाँव में जागरूकता फैलायी जा रही है। मैं ख़ुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा क्षेत्र बुधनी से हूँ। और अगले महीने से हर गाँव-गाँव आदिवासी अधिकार यात्रा निकाली जाएगी, जिसमें भाजपा सरकार के आदिवासी विरोधी नीतियों का पर्दाफाश किया जाएगा। बुधनी में 50 प्रतिशत से ज़्यादा आदिवासी हैं। आदिवासियों के अपमान करने के कारण इस बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी इसका ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ेगा।’

मध्य प्रदेश के धार ज़िले के आदिवासी कार्यकर्ता देवेंद्र सिंह बबलू दरबार ने कहा- ‘भाजपा के लोगों द्वारा आर्यों को मूलनिवासी कहना और आदिवासियों को वनवासी कहना आदिवासी समुदाय का अपमान है। आने वाले विधानसभा चुनाव में इसका ख़ामियाज़ा उन्हें भुगतना पड़ेगा। आदिवासी समाज के लोग उनका विरोध करेंगे।’

मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार का सोशल मीडिया में भी काफ़ी विरोध देखने को मिला। धन सिंह गोंड नामक एक यूजर ने सोशल मीडिया में लिखा- ‘स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने विश्व आदिवासी दिवस पर जो ग़लत बयान दिया, उसका मैं पुरज़ोर विरोध करता हूँ। भाजपा नेताओं की हमेशा से आदिवासियों के प्रति घटिया सोच रही है।’

घनश्याम मरकाम नामक एक यूजर ने लिखा- ‘भाजपा के लोगों को न आदिवासियों का अधिकार पसंद है और न उनका विश्व आदिवासी दिवस। ऐसा प्रतीत होता है कि आदिवासियों के असली दुश्मन यहीं लोग हैं।’ अरविंद मुझाल्दा नामक एक अन्य यूजर ने लिखा कि यूएनओ द्वारा घोषित दूसरे दिवसों का ये लोग विरोध नहीं करते हैं, सिर्फ़ विश्व आदिवासी दिवस से दिक़्क़त है। आदिवासियों की एकता देखकर इनकी हवा निकल गयी है।’

विश्व आदिवासी दिवस पर कमलनाथ ने अपने संदेश में कहा- ‘कांग्रेस पार्टी आदिवासी हितैषी पार्टी है और विश्व आदिवासी दिवस और भारत छोड़ो आन्दोलन दिवस मना रही है। पार्टी पूरे प्रदेश में कई बड़े कार्यक्रम आयोजित कर रही है। भोपाल के साथ-साथ इंदौर में बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग एकजुट हुए हैं। समुदाय के लोग महारैली निकाल रहे हैं। इंदौर के लाल बाग़ से शुरू हुई रैली 2:00 बजे राजीव गाँधी चौराहे पर समाप्त होगी। राजीव गाँधी चौराहा स्थित गार्डन में सामाजिक विषय और मुद्दों पर समुदाय चर्चा करेगा। यहाँ क्रान्ति सूर्य जननायक टंट्या भील मामा की प्रतिमा पर माल्यार्पण भी किया जाएगा।