दिल फंटूश, दीपिका संतुष्ट
एक लेखक की यूरोप में जरूरत है. जोया अख्तर की ‘दिल धड़कने दो’ के सेट्स पर.‘ऑन-लोकेशन’ प्यार-मोहब्बत पर इतनी हाहाकार कहानी वहीं मिलेगी. व्यस्त दीपिका बार-बार सिक लीव लेकर जोया के क्रूज पर अपने प्यार रणवीर सिंह से मिलने जो जा रही हैं. क्योंकि क्रूज पर रणवीर की पुरानी गर्लफ्रेंड अनुष्का शर्मा भी हैं, जो फिल्म में उनकी हीरोइन हैं और महीनों तक दोनों साथ रहेंगे. दीपिका को डर है कि कहीं पुराना प्यार रिन्यू न हो जाए और उनके साथ रणबीर कपूर वाला धोखा फिर न हो जाए. इसलिए वे हमसाये की तरह रणवीर के साथ हैं. लेकिन लेखक की कहानी में रोमांच तब आया जब रोमांस करने अनुष्का के अभी के प्रेमी विराट कोहली भी क्रूज पर पहुंच गए. नये-पुराने-टूटे-बिखरे-लड़ते-झगड़ते रिश्तों के बीच के फ्रिक्शन पर इससे रियल कहानी कहां मिलेगी. जोया वैसे रणवीर की जगह पहले रणबीर कपूर को हीरो लेना चाहती थीं. तब क्या दीपिका क्रूज पर जातीं? पता नहीं. लेकिन अगर जातीं, तो लेखक को कहानी लिखने में जबर मजा आता.
दर्शकों को दिए जख्मों का क्या?
अजय देवगन को वक्त-बेवक्त ‘जख्म’ याद आती है. जख्म के बाद ढेरों खराब फिल्में कर दर्शकों को दिए जख्म वे याद नहीं रखते, बस कहते-फिरते हैं कि जख्म के बाद से आज तक उन्होंने जख्म जैसी स्क्रिप्ट नहीं देखी. अब नए-नवेलों से मिलेंगे नहीं तो उनकी अच्छी स्क्रिप्ट कहां से देखेंगे, रोहित शेट्टी की ही फिल्में करेंगे. वहीं सैफ अली खान हमशकल्स के बाद शर्म से लाल हुए चेहरे को छुपाने के लिए चेहरे पर दाढ़ी बढ़ा रहे हैं और अगली फिल्म को जल्द से जल्द रिलीज करने की कोशिश कर रहे हैं. हमशकल्स, जिसके बारे में सभी फिल्म ग्रंथों के नए संस्करण में ये जोक लिखा जाएगा, ‘कोई हिम्मतवाला ही देख सकता है हमशकल्स’ में सैफ ने इतनी खराब एक्टिंग (कॉमेडी) की है, कि राम कपूर भी उनके आगे गोविंदा लगे हैं और वे शक्ति कपूर. अब हो चुके इस पाप पर गंगाजल डालने के लिए सैफ राज-कृष्णा की अगली हैप्पी एंडिंग्स से उम्मीद पाले हैं, ताकि घर से निकलें, तो इज्जत तो न निकले.
अठ्ठारह सौ तेतीस चांद की रातें
एकता कपूर के दफ्तर में इन दिनों हंगामा बरपा है. पावर प्वॉइंट प्रजेंटेशन्स की बाढ़ आई है. उनका हर कारीगर उन्हें समझाने की कोशिश में है कि जो आप टीवी पर देख रही हैं वह असत्य है, जो हम बना रहे हैं वही परमसत्य है. सुना है एकता उस नए चैनल को देखकर भौचक्क हैं जिसपर चार पाकिस्तानी धारावाहिक दिखाए जाने अभी-अभी शुरू हुए हैं. ये कैसे लोग हैं, कैसे घर, कैसे रिश्ते, ये किस तरह का अभिनय करते कलाकार हैं, कैसा अंदाज-ए-गुफ्तगू है, बैकग्राउंड स्कोर इतना मंद्दा क्यों है और ये मेरी तुलसी-पार्वती-प्रिया जैसी सशक्त महिलाएं इनमें क्यों नहीं हैं, मैंने जो मध्यम वर्ग सपने में देख धारावाहिकों में बनाया, वैसा इनमें क्यों नहीं है. चच्चा पंचायती ने बताया कि जवाबों से असंतुष्ट एकता अब ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ के सभी 1833 एपिसोड की लाखों डीवीडी बनवाकर पाकिस्तान में बंटवाने का मन बना चुकी हैं. कहती हैं, वहां के लोगों को भी तो पता चले, असल धारावाहिक क्या होते हैं.