साधु-संतों और मंदिर निर्माण पक्षकारों की तरफ से लगातार बढ़ रहे दवाब के परेशान मोदी सरकार ने मंगलवार को आयोध्या मामले में एक बड़ा कदम उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर अयोध्या में विवादित जमीन छोड़कर बाकी जमीन को लौटने और इस पर जारी यथास्थिति हटाने का आग्रह किया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार ने अपनी अर्जी में ६७ एकड़ जमीन में से कुछ हिस्सा सौंपने की अर्जी दी है। ये ६७ एकड़ जमीन २.६७ एकड़ विवादित जमीन के चारो ओर स्थित है। सर्वोच्च अदालत ने विवादित जमीन सहित ६७ एकड़ जमीन पर यथास्थिति बनाने को कहा था। केन्द्र सरकार ने अर्जी मे कोर्ट से १३ मार्च, २००३ का यथास्थिति क़ायम रखने का आदेश रद करने की मांग की है। कहा है कि विवादित ज़मीन जिसका मुक़दमा लंबित है उसे छोड़कर बाकी अधिग्रहीत ज़मीन उसके मालिकों रामजन्मभूमि न्यास और अन्य को वापस करने की सरकार को इजाज़त दी जाए।
गौरतलब है कि अयोध्या जमीन विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर सुनवाई टल गई है। पांच जजों की बेंच में जस्टिस एसए बोबडे के अवकाश पर होने के कारण इस मामले की सुनवाई आज (२९ जनवरी) को अब नहीं होगी। सुनवाई की नई तारीख के बारे में अभी कोई सूचना नहीं है। पांच जजों की इस बेंच में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोवडे, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अब्दुल नजीर हैं।
इस बीच भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर कहा – ”राम जन्मभूमि मामले में केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। राम जन्मभूमि विवाद मामले में केंद्र सरकार ने बड़ा दांव चला है। केंद्र इस केस में आज सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। सरकार ने अयोध्या विवाद मामले में विवादित जमीन छोड़कर बाकी जमीन को लौटने की मांग की है और इस पर जारी यथास्थिति हटाने की मांग की है।” सरकार के इस कदम का हिंदूवादी संगठनों ने स्वागत किया है।