क़ानून बदलने पर माता-पिता की सहमति के बिना नहीं होगी कोर्ट मैरिज
जिप्यार हो जाता है, उन्हें जाति, धर्म, घर, समाज और सीमाओं से कोई लेना-देना नहीं होता। प्रेमियों को वह सब कुछ अच्छा लगता है, जो उनका मन कहता है; लेकिन समाज में प्यार और लव मैरिज को आज के आधुनिक युग में भी सहज मान्यता नहीं है। ज़्यादातर माता-पिता भी बच्चों के प्यार को स्वीकार नहीं करते। इन्हीं सब हालात को देखते हुए गुजरात सरकार एक ऐसा क़ानून लाना चाहती है, जिसमें कोर्ट मैरिज में भी माता-पिता की सहमति ज़रूरी होगी।
अभी तक प्यार करने वाले माता-पिता, परिजनों या समाज की धमकियों, उनके डर से निजात पाने के लिए क़ानून की मदद लेते थे। लेकिन अब क़ानून में ही यह हो सकता है कि कोर्ट प्यार करने वालों से कहे कि आपके माता-पिता की इच्छा के ख़िलाफ़ जाकर आपकी शादी नहीं करा सकते। अगर ऐसा हुआ, तो फिर लव मैरिज करने के इच्छुक जोड़ों की शादी कैसे हो सकेगी? क्योंकि उन्हें क़ानून की मदद तभी मिल सकेगी, जब उनके माता-पिता राज़ी होंगे।
दरअसल, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने पिछले महीने की 30 जुलाई को मेहसाणा में स्नेहमिलन नाम के कार्यक्रम में लव मैरिज के क़ानून में फेरबदल के संकेत दिये थे। माना जा रहा है कि गुजरात में लव मैरिज एक्ट में बदलाव के बाद राज्य में लव मैरिज करने वाले जोड़ों को अपने माता-पिता की अनुमति लेनी ज़रूरी होगी। माना जा रहा है कि गुजरात में पटेल यानी पाटीदार समाज की माँग पर ऐसा किया जा रहा है।
बता दें कि गुजरात में पाटीदार समाज की संख्या काफ़ी ज़्यादा है और इसके वोटर 21 फ़ीसदी हैं। मुख्य रूप से किसान इसी पाटीदार समाज ने आरक्षण और राजनीति में भागीदारी को लेकर नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भाजपा की गुजरात सरकार के ख़िलाफ़ मोर्चा खड़ा कर दिया था। पहले तो सरकार ने पाटीदार समाज को कुचलने की कोशिश की; लेकिन जब सत्ता हाथ से खिसकती देखी, तो पाटीदार नेताओं को साधना पड़ा। पाटीदार आन्दोलन के चलते ही नरेंद्र मोदी ने भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाकर पाटीदारों में दो-फाड़ करना चाहा था; लेकिन बाद में पाटीदार आन्दोलन के सूत्रधार हार्दिक पटेल को भी भाजपा में शामिल करना पड़ा। हालाँकि ऐसा नहीं है कि इससे सभी पाटीदार भाजपा के साथ खड़े हो गये। अभी भी 40-42 फ़ीसदी पाटीदार कांग्रेस के साथ खड़े हैं। कुछ पाटीदार अब हार्दिक पटेल से नाराज़ हैं। उनका मानना है कि हार्दिक पटेल ने सत्ता के लालच में उसी भाजपा से हाथ मिला लिया, जिसने हमेशा पाटीदारों के साथ नाइंसाफ़ी की है।
पाटीदार समाज के भूपेंद्र पटेल पिछले साल हुए गुजरात चुनाव में भाजपा की बड़ी जीत के बाद दोबारा मुख्यमंत्री बने हैं। मुख्यमंत्री ने मेहसाणा के स्नेहमिलन कार्यक्रम में कहा कि हम क़ानून के मुताबिक कोई अच्छे रिजल्ट वाली व्यवस्था बनाएँगे। गुजरात सरकार एक ऐसी व्यावहारिक प्रणाली लागू करने के लिए जाँच करेगी, जो लव मैरिज के लिए माता-पिता की मंज़ूरी को अनिवार्य बनाती है। लेकिन यह सिर्फ़ तभी होगा, जब यह संविधान के अनुरूप होगा। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि संवैधानिक रूप से अगर सम्भव हुआ, तो सरकार लव मैरिज में माता-पिता की मंज़ूरी को ज़रूरी बनाने वाली व्यवस्था को लेकर क़ानून बनाएगी।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के इस संकेत से पहले ही लव मैरिज में माता-पिता की सहमति पर क़ानून बनाने की चर्चा गुजरात विधानसभा में हो चुकी है। मार्च, 2023 में विधानसभा में भाजपा विधायक फतेहसिंह चौहान और कांग्रेस विधायक गेनी ठाकोर ने लव मैरिज पर इस तरह के क़ानून बनाने की माँग की थी। कहा जा रहा है कि गुजरात में कई माता-पिता इस तरह का क़ानून बनाने को लेकर माँग करते रहे हैं, जिनमें पाटीदार समाज के लोग शामिल हैं। मेहसाणा ज़िले में पाटीदार समाज ही राजनीतिक प्रतिनिधित्व करता है।
स्नेहमिलन कार्यक्रम सरदार पटेल ग्रुप ने आयोजित किया था। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री को निमंत्रित किया गया था। मुख्यमंत्री को राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने ही विवाह के लिए लड़कियों को भगाने की घटनाओं का अध्ययन कराने का सुझाव दिया है। इसी के मद्देनज़र ऐसी व्यवस्था बनाने की माँग उठ रही है, जिसमें लब मैरिज के लिए माता-पिता की अनुमति अनिवार्य हो। इस क़ानून बनाने के संकेत को लेकर कांग्रेस विधायक इमरान खेड़ावाला ने अपनी सहमति जताते हुए कहा है कि अगर राज्य सरकार विधानसभा में इस सम्बन्ध में कोई विधेयक लेकर आती है, तो वह उसका समर्थन करेंगे। विधायक ने कहा कि लव मैरिज में माता-पिता की अनुमति को अनिवार्य बनाने को लेकर मुख्यमंत्री ने अध्ययन का भरोसा दिलाया है। अगर ऐसा होता है, तो वह उसका समर्थन करेंगे।
बता दें कि गुजरात सरकार ने साल 2021 में गुजरात धार्मिक स्वंतत्रता अधिनियम में संशोधन किया गया था। इस दौरान लव मैरिज करके विवाह के नाम पर जबरदस्ती और ग़लत तरी$के से धर्मांतरण कराने को दण्डनीय अपराध बनाया गया था। तब गुजरात सरकार ने यह क़ानून बनया था कि अगर कोई लडक़ा या लडक़ी किसी से लव मैरिज या परिवारों की सहमति से विवाह करने के बाद अपने जीवनसाथी का जबरन या छलपूर्वक तरी$के से धर्म परिवर्तन कराएगा, तो संशोधित अधिनियम के तहत दोषी / दोषियों को 10 साल की जेल का प्रावधान होगा। लेकिन बाद में इस क़ानून को गुजरात हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी और हाईकोर्ट ने इसके अमल पर रोक लगा दी। इसके बाद हाईकोर्ट के इस फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी, जो अभी तक वहाँ विचाराधीन है। क़ानून के मुताबिक, शादी के लिए कम से कम 21 साल लडक़े की उम्र और कम से कम 18 साल लडक़ी की उम्र होनी चाहिए। मैरिज एक्ट-1954 अधिनियम के मुताबिक, कोई भी प्यार करने वाला शादी के योग्य जोड़ा समाज या माता-पिता या परिजनों के भय से अगर शादी के लिए कोर्ट में जाता है, तो अलग-अलग मैरिज एक्ट के तहत, जिसमें वो जोड़ा फिट बैठता है; कोर्ट शादी करा देता है। इसमें अंतर-धर्म विवाह के लिए भी क़ानूनी व्यवस्था है।
क़ानून तो लिव इन रिलेशनशिप को भी ग़लत नहीं ठहराता। हालाँकि इस मामले पर भी अभी कई लोग याचिका दायर कर चुके हैं। इस सम्बन्ध में कहा गया है कि अपनी मर्ज़ी से शादी यानी लव मैरिज करने या किसी के साथ अपनी मर्ज़ी यानी लिव इन रिलेशन में रहने की आज़ादी और अधिकार हर बालिग़ को है और इसे अनुच्छेद-21 से अलग नहीं माना जा सकता।
भारत में विशेष विवाह अधिनियम-1954 के मुताबिक, कोर्ट मैरिज एक बालिग़ पुरुष और एक बालिग़ महिला के बीच हो सकती है। लव मैरिज क़ानून का मुख्य भाग कहता है कि कोई भी बालिग़ (लडक़ा 21 और लडक़ी 18 या इससे ऊपर का) जोड़ा कोर्ट मैरिज कर सकता है। कोर्ट मैरिज की ज़रूरत समाज के विरोध के बाद महसूस हुई, जिसमें अगर किसी एक या दोनों के परिजनों के राज़ी न होने पर तब यह शादी हो सकती है, जब दोनों बालिग़ एक-दूसरे के साथ वैवाहिक जीवन गुज़ारने के लिए सहमत हों।
कोर्ट मैरिज की शर्तें भी हैं। इसकी पहली शर्त है कि किसी एक या दोनों की वैवाहिक जीवन किसी दूसरे के साथ नहीं चल रहा हो। यानी दोनों पहले से कहीं और शादीशुदा न हों और अगर वे पहले से शादीशुदा हैं, तो दोनों का तलाक़ या फ़ैसला हो चुका हो। प्यार करने वालों के बीच भारत में लव मैरिज की लोकप्रियता समाज या परिजनों के विरोध के चलते बढ़ी है और इसमें आज भी बढ़ोतरी हो रही है। कोर्ट मैरिज के चलन को देखते हुए अब कई माता-पिता और परिजन भी इसे अनुमति देने लगे हैं। कई शादियों में तो यह तक देखने को मिलता है कि परिवारों की मर्ज़ी से शादी होने के बावजूद परिजन नवविवाहित जोड़े की शादी को मज़बूत बनाने के लिए कोर्ट मैरिज भी कराने लगे हैं। अभी तक देश में क़ानून है कि बालिग़ लडक़े-लडक़ी की राज़ी होने पर समाज, माता-पिता या परिजन उन्हें विवाह से नहीं रोक सकते। हालाँकि इस तरह की शादी में क़ानूनी मदद और सुरक्षा की ज़रूरत रहती है, जिसके न मिलने या पुलिस की लापरवाही के चलते हर साल कई प्रेमी जोड़ों की हत्याएँ आज भी हो जाती हैं। आज भी कई माता-पिता या परिजन या समाज के लोग प्रेमी जोड़ों को उनकी अपनी इच्छा से शादी की छूट नहीं देते।
ऐसे में सवाल उठता है कि अगर गुजरात सरकार माता-पिता की सहमति वाला लव मैरिज क़ानून बना पायी, तो क्या सभी प्रेमी जोड़ों की शादी सम्भव हो सकेगी? ज़ाहिर है कि माता-पिता की पसन्द जहाँ नहीं होगी, वहाँ वो शादी होने ही नहीं देंगे। लव मैरिज का मतलब ही यही है कि दो बालिग़ प्रेमी अपनी मर्ज़ी से अपना जीवन साथी चुन सकें। लेकिन इस क़ानून के बनने से गुजरात के कई प्रेमी जोड़ों की शादी उनकी मर्ज़ी से नहीं हो सकेगी। प्यार करने वाले अक्सर दिल से सोचते हैं। ऐसे में कोई बड़ी बात नहीं कि प्यार करने वाले किसी लडक़े या लडक़ी की शादी में अड़चन पडऩे से उनके अवसादग्रस्त होने या आत्महत्या करने के मामले बढ़ें। इस पर भी सरकार को विचार करना होगा।