इसी साल दिसम्बर माह में होने वाले गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव के साथ दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के चुनाव हो सकते है। एमसीडी चुनाव को लेकर दिल्ली में सियासी पारा गर्म रहा है। लेकिन 30 मार्च को संसद से मुहर लगने के बाद ये स्पष्ट हो गया है। कि एमसीडी की तीनों जोनों को हटाकर एक जोन किया जायेगा। और 272 निगम पार्षद की सीटों की जगह अब 250 सीटों पर ही चुनाव होंगे। 250 सीटों का जब परिसीमन हो जायेगा।
तब चुनाव की प्रक्रिया व चुनाव चुनाव की तारीख के बारे में पता चलेंगा। चुनाव में देरी और तीनों जोनों की जगह एक जोन का किया जाना और 272 की जगह 250 सीटों पर चुनाव कराने जाने के पीछे की बस एक ही सियासत है कि एमसीडी के चुनाव की आड़ में आप पार्टी को गुजरात और हिमाचल प्रदेश में कैसे रोका जाये। ताकि आप पार्टी दिल्ली की सियासत में फंस कर रह जाये।दिल्ली की राजनीति के जानकार राजन कुमार का कहना है कि कोई भी सत्ता धारी दल हो वो अपनी राजनीति अपने तरीके से करता है। जिसमें उसका और उसकी पार्टी का भला हो। क्योंकि आप पार्टी की सियासत का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है।
ऐसे में सियासी दांव -पेंच में आप पार्टी का उलझाकर रोकना जरूरी है। अन्यथा क्या फर्क पड़ता है 250 सीटों और 272 सीटों में।ये सब सियासी खेल है। क्योंकि आप पार्टी ने फ्री की राजनीति कर सब कुछ फ्री -फ्री की सुविधायें देकर अपनी राजनीति चमका रहे है। ऐसे मे आप पार्टी को रोकने के लिये ये सियासी खेल खेला गया है। भाजपा भली -भाँति जानती है जहां पर कांग्रेस का वोट बैंक है वहां पर आप पार्टी को चुनाव में जीत आसानी से हो रही है। क्योंकि कांग्रेसका जनाधार धीरे -धीरे खिसक रहा है।