सब्जियों के हर रोज बढ़ते दामों से गरीबों की थाली से हरी सब्जियां और टमाटर गायब होते जा रहे है। सब्जियों के बढ़े दामों के पीछें क्या कारण है?
इस पर तहलका संवाददाता ने सब्जी व्यापारियों से बात की तो उन्होंने बताया कि, कई बार फसल की कमी होती तो कई बार जमाखोरी (कालाबाजारी) भी जिसके कारण सब्जियों के दामों में इजाफा होता है।
सब्जी व्यापारी पवन कुशवाहा ने बताया कि, एक ओर तो पेट्रोल-डीजल के दाम बढे है। फिलहाल जरूर थोड़ी कम हुये है। जिसके चलते सब्जियों के दामों में बढ़ोत्तरी हुई है। वहीं कुछ व्यापारी जो मोटे पैसे वाले है। वे जमकर काला बजारी कर जमाखोरी कर रहे है। जिसके कारण सब्जियां सही मात्रा में बाजार में नहीं आ पाती है।
आजादपुर मंड़ी के व्यापारी संतोष अग्रवाल का कहना है कि, थोक मंडियों में तो टमाटर 37, 40 और 30 रूपये किलों है। लेकिन छोटी मंडियों में किराया-भाड़ा लगने से 70, 80 और 100 रूपये किलो तक बिक रहा है।
दिल्ली के पांडव नगर में सब्जी खरीद रही गृहणी सुनीता ने बताया कि, ये सब सरकार की लापरवाही का नतीजा है। जिसके कारण सब्जियों के दामों में इजाफा हो रहा है। उनका कहना है कि कोरोना काल के बाद गरीब और मध्यम परिवार को वैसे ही आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा है।
महगांई के कारण लोगों को खान-पान की वस्तुओं को खरीदने में दिक्कत हो रही है। उनका कहना है कि टमाटर, प्याज और आलू सहित हरी सब्जियो के दाम बढ़ रहे है। जबकि सर्दी का मौसम तो सब्जियों का मौसम ही माना जाता है।
फिर भी अगर सर्दी के मौसम में सब्जियों के दाम बढ़ रहे है। तो सरकार की लापरवाही का नतीजा है। जिसके कारण गरीबों को हरी सब्जियां नहीं मिल पा रही है।