उत्तर प्रदेश की सियासत का असर दिल्ली एमसीडी चुनाव पर

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के साथ ही दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के चुनाव होने है। ऐसे में उत्तर प्रदेश में जो भी सियासी दांव पेंच चले जा रहे है। उनका सीधा असर दिल्ली नगर के चुनाव पर जरूर पड़ना है।

राजनीति के विश्लेषकों का मानना है। अगर समाजवादी पार्टी और आप पार्टी उत्तर प्रदेश में गठबंधन करती है। तो दिल्ली के एमसीडी के चुनाव में भाजपा ही नहीं बल्कि कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे को चुनाव में उठा सकती है। क्योंकि आप पार्टी का जो जन्म हुआ है वो, भ्रष्ट्राचार के विरोध में हुआ है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने तो कई बार भ्रष्ट्र नेताओं की सूची जारी कर कहा कि आप पार्टी का कभी भी भ्रष्ट्र पार्टी के साथ गठबंधन नहीं हो सकता है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अमरीश का कहना है कि, सियासत में कब कौन किसका दोस्त बन जाये और कब विरोधी ये कहा नहीं जा सकता है। लेकिन आप पार्टी के मुखिया ने तो अन्ना आंदोलन के समय से ही मुख्यमंत्री बनने तक कई मर्तबा कहा है कि वे उन राजनातिक दलों के साथ समझौता नहीं करेगे जिन पर भ्रष्ट्राचार के आरोप है।

यदि आप पार्टी उत्तर प्रदेश में अपने लाभ के लिये उन राजनीतिक दलों के साथ समझौता करती है। जिन पर भ्रष्ट्राचार के आरोप है। तो केजरीवाल की राजनीति से जनता का विश्वास उठ जायेगा।

उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में केजरीवाल की राजनीति पूरी तरह से असफल हो जायेगी। भाजपा के नेता राजकुमार सिंह का कहना है कि, सियासत में सब चलता की राजनीति अब ज्यादा दिन चलने वाली नहीं है। जनता और मतदाता जागरूक है। वो भली- भाँति जानती है कि कौन नेता देश का विकास कर सकता है। क्योंकि अब जनता विकास चाहती है। उन्होंने कहा कि, उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के साथ ही दिल्ली में एमसीडी के चुनाव है। जो दिल्ली की सियासत में बड़े महत्व रखते है।

दिल्ली के एमसीडी के चुनाव में राष्ट्रीय स्तर के नेता चुनावी सभायें भी करते है। ऐसो में आप पार्टी की राजनीति और कथनी और करनी को जरूर मुद्दा बनाया जायेगा।