कोरोना वायरस के मामले फिर बढऩे की दुनिया भर में आशंका को लेकर लोगों में फिर से भय का माहौल देखा जा रहा है। कोरोना के नये वेरिएंट के यू-टर्न लेने से डॉक्टरों ने चिन्ता व्यक्त करते हुए सचेत किया है कि अगर जरा-सी लापरवाही हुई, तो चौथी लहर आ सकती है। क्योंकि कोरोना की चौथी लहर जून में आने की सम्भावना पहले ही आईआईटी के एक शोध में जतायी जा चुकी है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के पूर्व संयुक्त सचिव डॉ. अनिल बंसल का कहना है कि चीन, दक्षिण कोरिया सहित यूरोप में आने वाले कोरोना के नये वेरिएंट से तो लगता है कि केंद्र सरकार को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर अभी से सघन जाँच अभियान तेज़ कर देना चाहिए। क्योंकि अब तो कोरोना वायरस के मामले चीन के अलावा अन्य किसी देश से भी आ सकते हैं। ऐसे में अभी सचेत व सावधान रहने की ज़रूरत है, ताकि आने वाली मुसीबत को रोका जा सके।
नेशनल मेडिकल फोरम के चेयरमैन डॉक्टर प्रेम अग्रवाल का कहना है कि कोरोना के जन्मदाता चीन और यूरोपीय देशों में डेल्टा, ओमिक्रॉन के सब वेरिएंट बीए-2 के साथ दक्षिण कोरिया में कोरोना के नये वेरिएंट में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। इससे माना जा रहा है कि दुनिया में कोरोना की चौथी लहर आ सकती है। ऐसे में ज़रा भी लापरवाही घातक हो सकती है। इसलिए बचाव के लिए जारी दिशा-निर्देशों का पालन करना ही होगा। क्योंकि भारत में कोरोना को पैर पसारने में देर नहीं लगती है। मैक्स अस्पताल साकेत के कैथ लैब के डायरेक्टर डॉक्टर विवेका कुमार का कहना है कि पहले कोरोना वायरस, फिर डेल्टा और फिर ओमिक्रॉन आया। उसके बाद मामले कम होने लगे थे, जिससे लगा कि कोरोना लगभग ख़त्म होने के कगार पर है। लेकिन अब फिर से नये वेरिएंट ने चिन्ता बढ़ा दी है। ऐसे में कोरोना को हल्के में नहीं लेना चाहिए। हृदय, लीवर, किडनी और न्यूरो से जुड़ी बीमारियों से पीडि़त मरीज़ों को नियमित स्वास्थ्य जाँचें करानी चाहिए।
इधर बूस्टर डोज को लेकर छिड़ी बहस पर एम्स के डॉक्टर आलोक कुमार का कहना है कि कोरोना को लेकर अभी सावधानी ही ज़रूरी है। इस समय सर्दी-जुकाम और बुख़ार को भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। बूस्टर डोज को लेकर जो माहौल बनाया जा रहा है, वो ठीक नहीं है। टीकाकरण पर सरकार को ज़ोर देना चाहिए।
दिल्ली मेडिकल काउंसिल (डीएमसी) के वाइस प्रेसिडेंट डॉक्टर नरेश गोयल का कहना है कि इन दिनों देश में कोरोना का जौ हौवा बनाया जा रहा है, वह ठीक नहीं है। कोरोना पर भारत में क़ाबू पाया जा चुका है। रही बूस्टर की बात, तो क्योंकि अभी प्रीकॉशन के तौर पर 60 साल से अधिक आयु वालों को ही बूस्टर डोज की अनुमति दी गयी है। डॉक्टर दिव्यांग देव गोस्वामी का कहना है कि अमेरिका, ब्रिटेन सहित कई देश अपने नागरिकों को तीनों $खुराकें दे चुके हैं। इन देशों में कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनज़र वैक्सीन की अतिरिक्त चौथी ख़ुराक की अनुमति भी दी गयी है। लेकिन भारत में जनवरी, 2022 में 60 साल से अधिक उम्र के गम्भीर कोरोना मरीज़ और पैरामेडिकल कर्मचारियों को अतिरिक्त ख़ुराक के रूप में बूस्टर डोज देने की बात की है। लेकिन देश में अब बूस्टर डोज की अनुमति की ज़रूरत है, क्योंकि कोरोना टीके की शुरुआती दो ख़ुराकों से मिलने वाली रोग प्रतिरोधक क्षमता छ: से आठ महीने में कमज़ोर होने लगती है। ऐसे में उम्र ने देखकर हर उस व्यक्ति को बूस्टर ख़ुराक देनी चाहिए, जिसे ज़रूरत है। चाहे वह गम्भीर बीमारी से पीडि़त हो। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना सलाना संकट बन गया है। हमारे पास वैक्सीनेशन और जागरूकता के अलावा और कोई उपाय नहीं है। ऐसे में सरकार को देश में कोरोना विरोधी संसाधनों को बढ़ाना चाहिए। हमारे देश के कई नामचीन अस्पतालों में स्वास्थ्य व्यवस्थाएँ बेहद कमज़ोर हालत में हैं। जागरूकता के अभाव में आज भी लोग टीका नहीं लगवा रहे हैं। ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह उन लोगों को चिह्नित करे, जो कोरोना को हल्के में ले रहे हैं और टीका नहीं लगवा रहे हैं। विशेषज्ञों ने हैरानी जताते हुए कहा कि बीए-2 वायरस को लेकर सरकार लापरवाही बरत रही है। लगातार विदेशों से आने वालों की कोरोना जाँच होनी चाहिए, जो फ़िलहाल नहीं हो रही है। बाज़ारों में अधिक भीड़ पर रोक लगनी चाहिए। एम्स और मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज के संक्रमण विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वायरस के नाम पर हो रहे शोध से हम किसी मुकाम पर नहीं पहुँचे हैं। यही वजह है कि नये-नये वेरिएंट आ रहे हैं। ऐसे में हमें सावधानी के साथ टीकाकरण और बूस्टर डोज के सहारे ही अपना बचाव करना होगा।