मोदी सरकार ने लॉक डाउन के चलते केंद्रीय कर्मचारियों को झटका दिया है। देश की नाजुक वित्तीय हालत के चलते केंद्र सरकार ने इस साल पहली जनवरी से पहली जुलाई, २०२१ तक की अवधि के लिए केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता (डीए) फ्रीज कर दिया है। केंद्र सरकार के करीब ४८ लाख कर्मचारी और ६५ लाख पेंशनर इस फैसले से प्रभावित होंगे। चूँकि केंद्र के डीए को ही राज्य सरकारें भी लागू करती हैं, लिहाजा साफ़ है कि राज्य सरकारें भी केंद्र जैसा ही फैसला कर सकती हैं।
इसके लिए जारी अधिसूचना में कहा गया है कि कोरोना वायरस के कारण पैदा हुई स्थिति के कारण यह फैसला किया गया जिसका असर केंद्रीय कर्मचारियों के साथ-साथ पेंशनरों पर भी पड़ेगा। सरकार ने पहली जनवरी, २०२० से पहली जुलाई, २०२१ तक की अवधि का महंगाई भत्ता फ्रीज किया है।
केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों के इन भत्तों को फ्रीज करने से वित्तीय वर्ष २०२०-२१ और २०२१-२२ में केंद्र सरकार को करीब ३७,५३० करोड़ रुपये की बचत होगी। जाहिर है मोदी सरकार के इस फैसले से केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों को डीए की चार किस्तों से हाथ धोना पड़ेगा जिसके कारण अब उन्हें डीए की अगली किस्त जनवरी, २०२२ के बाद ही मिल पाएगी।
मोदी सरकार का लॉक डाउन के बाद कर्मचारियों से जुड़ा यह सबसे बड़ा फैसला है। इससे संकेत मिलता है कि देश की आर्थिक स्थिति संकट में है। इस फैसले से केंद्र सरकार के करीब ४८ लाख कर्मचारी और ६५ लाख पेंशनर प्रभावित होंगे। इस डीए को ही राज्य सरकारें भी लागू करती हैं, लिहाजा साफ़ है कि राज्य सरकारें भी केंद्र जैसा ही फैसला कर सकती हैं।