श्रमिकों, किसानों और आम लोगों को प्रभावित करने वाली केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ सोमवार और मंगलवार के ‘भारत बंद’ का मिला जुला असर देश में दिख रहा है। अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ ने भी बंद को समर्थन दिया है। बंद का आह्वान केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने किया है। इधर राजधानी दिल्ली में बंद का कोई ख़ास असर देखने को नहीं मिला है।
बंद को लेकर केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल को सफल बताते हुए दावा किया है कि विभिन्न ट्रेड यूनियनों और आम जनता से बंद को समर्थन का दावा किया है। मंच ने कहा है कि केंद्र सरकार की नीतियां श्रमिकों, किसानों और आम लोगों की विरोधी हैं और उन्हें मुश्किल ज़िंदगी जीने को मजबूर होना पड़ रहा है।
यह बंद दो दिन के लिए बुलाया गया है और पहले दिन इसका असर देश के ज्यादातर हिस्सों में साफ दिख रहा है। बंद को अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ का भी समर्थन मिल रहा है। हाल में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद केंद्र सरकार के खिलाफ यह देश में यह पहला बंद है। उधर किसान भी अपने आंदोलन को दोबारा शुरू करने की तैयारी में दिख रहे हैं।
बंद में बैंक कर्मचारी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की सरकार की योजना के साथ-साथ बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक 2021 के खिलाफ विरोध दर्ज कराने के लिए हिस्सा ले रहे हैं। बैंक यूनियन भविष्य निधि संगठन पर कम ब्याज दर, ईंधन की बढ़ती कीमतों का भी विरोध कर रहे रहे हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक केरल में भारत बंद का व्यापक असर है और वहां सड़कें सुनसान हैं। भारत बंद के दौरान आपातकालीन सेवाओं को हड़ताल से बाहर रखा गया है। पश्चिम बंगाल में, भले ही ट्रेड यूनियनों को सड़कों पर विरोध करते देखा जा सकता है, लेकिन राज्य सरकार ने सभी कार्यालयों को खुले रहने और कर्मचारियों को ड्यूटी पर आने के लिए कहा है। राजधानी दिल्ली में बंद का कोई ख़ास असर देखने को नहीं मिला है।