कोविड-१९ के कारन लॉक डाउन के मद्देनजर सरकार ने शुक्रवार को लगातार तीसरे दिन कुछ और ऐलान किये जो सेक्टोरल रियायतों से जुड़े हैं। कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए एक लाख करोड़ रुपए दिए जाएंगे। इससे कोल्ड चेन, फसल कटाई के बाद प्रबंधन की सुविधाएं मिलेंगी और किसान की आय भी बढ़ेगी। माइक्रो फूड एंटरप्राइजेज के लिए १० हजार करोड़ रुपये दिया जाएगा। लोकल स्तर पर उत्पादों की ब्रांडिंग होगी और भंडारण में आपूर्ति में फंड का इस्तेमाल किया जाएगा
तीसरी कांफ्रेंस को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने संबोधित की। सीतारमण ने कहा फूड एंटरप्राइजेज माइक्रो साइज के लिए १० हजार करोड़ रुपये दिया जाएगा। डेयरी के लिए कर्ज पर ब्याज में दो प्रतिशत की छूट दी जाएगी। इससे दो लाख खाद्य संस्करण इकाइयों को फायदा होगा। लोकल स्तर पर उत्पादों की ब्रांडिंग होगी और भंडारण में आपूर्ति में फंड का इस्तेमाल किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य क्लस्टर आधार पर उन्हें ग्लोबल स्टैंडर्ड के प्रोडक्ट बनाने का अवसर देना है। इससे वेलनेस, हर्बल, ऑर्गनिक प्रोडक्ट करने वाले लगभग दो लाख माइक्रो फूड एंटरप्राइजेज को फायदा होगा। आंध्र में मिर्च और तेलंगाना में हल्दी और बिहार में मखाना, कश्मीर में केसर, और कर्नाटक में रागी का उत्पादन इससे ख़ास तौर पर लाभान्वित होंगे।
सरकार के इस ऐलान के लगभग दो लाख सूक्ष्म इकाइयों को फायदा होगा। सूक्ष्म इकाइयों के लिए १० हजार करोड़ रुपये आवंटित होगा। भंडारण की सुविधा के लिए भी फंड का इस्तेमाल होगा। सरकार किसानों की आमदनी बढ़ाने की कोशिश करेगी।
मत्स्य संपदा योजना की घोषणा बजट के दौरान घोषित की गई थी। इसे लागू कर रहे हैं। इससे ५० लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। भारत का एक्सपोर्ट बढ़ेगा। मत्स्य पालन बढ़ाने के लिए मछुआरों को नावें और नावों के बीमा की सुविधा देंगे।
समुद्री और अंतरदेशीय मत्स्य पालन के लिए ११ हजार करोड़ रुपए और नौ हजार करोड़ रुपए इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए जारी किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि खुरपका-मुंहपका से पीड़ित जानवरों को वैक्सीन नहीं लग पा रहे। इससे किसानों को नुकसान हो रहा है। सभी भैंसों, भेड़ों और बकरियों का वैक्सिनेशन किया जाएगा। वैक्सिनेशन में १३,३४३ करोड़ रुपए खर्च होंगे। इससे ५३ करोड़ पशुधन को बीमारी से मुक्ति मिलेगी। जनवरी से अब तक डेढ़ करोड़ गाय और भैंसों को अब तक वैक्सीन लगाए जा चुके हैं। पशुपालन के इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए १५ हजार करोड़ रुपए का फंड दिया जाएगा।
कहा कि हर्बल खेती के लिए ४ हजार करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं। अगले दो साल में १० लाख हेक्टेयर जमीन पर हर्बल खेती होगी। हर्बल खेती से किसानों को ५ हजार करोड़ की आय होगी। हर्बल प्लांट की मांग दुनियाभर में बढ़ रही है। कोविड-१९ के समय हमारे हर्बल प्लांट बहुत काम आए हैं।
दो लाख मधुमक्खी पालकों के लिए ५०० करोड़ रुपए की योजना है। उनकी आय बढ़ेगी और लोगों को अच्छा शहद मिल पाएगा। ऑपरेशन ग्रीन के तहत टमाटर, आलू, प्याज योजना में बाकी सब्जियों को भी लाया गया है। टीओपी योजना के लिए ५०० का प्रावधान किया है। ट्रांसपोर्टेशन में ५० फीसदी सब्सिडी दी जाएगी। भंडारण के लिए भी ५० फीसदी सब्सिडी दी जाएगी।
इसके अलावा कृषि क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा और निवेश बढ़ाने के लिए १९५५ के जरूरी कमोडिटी एक्ट में बदलाव किया जा रहा है। इससे किसानों की आय बढ़ने की संभावना ज्यादा रहेगी। किसान अपने उत्पाद उचित दामों पर बेच सकें, इसके लिए राज्यों के बीच आने वाली खरीद-बिक्री से जुड़ी मुश्किलें दूर की जाएंगी। ई-ट्रेडिंग की सुविधा दी जाएगी।