किसान संगठनों ने सरकार के बातचीत के प्रस्ताव को शनिवार को स्वीकार कर लिया है। किसानों ने सरकार को 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे बैठक का प्रस्ताव दिया है। किसानों की मांग है कि सरकार के साथ होने वाली बैठक में तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को क़ानूनी दर्जा देने पर चर्चा की जाए।
इसके अलावा वायु गुणवत्ता और विद्युत संशोधन बिल को लेकर भी चर्चा हो। संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रस्ताव में कहा कि सरकार किसानों की सुविधा के समय और किसानों द्वारा चुने मुद्दों पर वार्ता करने को तैयार है, इसलिए सभी संगठनों से बातचीत कर प्रस्ताव रख रहे हैं। किसान मोर्चा ने कहा कि हम फिर दोहराना चाहते हैं किसान संगठन खुले मन से वार्ता करने के लिए हमेशा तैयार रहे हैं और आगे भी रहेंगे।
इससे पहले किसानों और सरकार के बीच अब तक 6 दौर की बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन सभी बेनतीजा रहीं। पिछली बैठक 9 दिसंबर को होनी थी, मगर ठोस नतीजे निकलते न देख सरकार ने ही टाल दिया था। दो दिन पहले ही एक बार फिर सरकार ने किसानों को बातचीत का प्रस्ताव दिया था। इसी प्रस्ताव पर शनिवार को 40 किसान संगठनों ने बैठक कर चर्चा का फैसला किया।
किसान संगठनों का एजेंडा
◆ तीनों नए केंद्रीय कृषि कानूनों को रद्द/निरस्त करने के लिए पक्रिया शुरू की जाए।
◆ सभी किसानों और कृषि वस्तुओं के लिए राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा सुझाए लाभदायक MSP की कानूनी गारंटी देने की प्रक्रिया और प्रावधान;
◆ एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश, 2020 में ऐसे संशोधन जो अध्यादेश के दंड प्रावधानों से किसानों को बाहर करने के लिए ज़रूरी हैं ।
◆ किसानों के हितों की रक्षा के लिए ‘विद्युत संशोधन विधेयक 2020’ के मसौदे में ज़रूरी बदलाव किया जाए।