किसान आंदोलन पर सर्वोच्च न्यायालय मंगलवार को अपना फैसला सुनाएगा। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे ने सोमवार की सुनवाई के दौरान कहा कि हम कृषि विशेषज्ञों की एक कमेटी बनाना चाहते हैं और कमेटी की रिपोर्ट आने तक नए कानून के लागू होने पर रोक लगाना चाहते हैं। सर्वोच्च अदालत ने कमेटी के लिए किसानों और सरकार से नाम मांगे हैं।
सर्वोच्च अदालत ने आज की सुनवाई में कहा कि हमारे लिए लोगों का हित जरूरी है। कमेटी ही बताएगी कि कानून लोगों के हित में हैं या नहीं। अब अदालत मंगलवार को इस मामले में फैसला सुनाएगी। सर्वोच्च अदालत कल ही कमेटी को लेकर भी कोई फैसला कर सकती है।
आज की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से अदालत में कहा गया कि वह सरकार के हाथ बांध रही है। सरकार ने कहा ‘हमें ये भरोसा मिलना चाहिए कि किसान कमेटी के सामने बातचीत करने आएंगे।’ उधर किसान संगठन की ओर से दुष्यंत दवे ने कहा कि हमारे 400 संगठन हैं, ऐसे में कमेटी के सामने जाना है या नहीं हमें ये फैसला करना होगा। इसपर अदालत ने कहा कि ऐसा माहौल न बनाएं कि आप सरकार के पास जाएंगे और कमेटी के पास नहीं। सरकार की ओर से कहा गया है कि किसानों को कमेटी में आने का भरोसा देना चाहिए। उधर किसान महापंचायत ने कहा कि उन्हें दिल्ली नहीं आने दिया जा रहा है। वो कमेटी के सुझाव का स्वागत करते हैं और प्रदर्शन को शांतिपूर्ण ढंग से ही जारी रखेंगे।
आज की सुनवाई में प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि प्रदर्शन जैसे चल रहा है, चलता रहे। हम बस ये अपील करेंगे कि सड़क की जगह किसी और स्थान पर बैठें। अगर किसी की जान जाती है या संपत्ति को नुकसान होता है, तो जिम्मेदारी कौन लेगा? जस्टिस बोबडे ने किसान संगठन के वकील से कहा कि आप प्रदर्शन में बैठे बुजुर्गों और महिलाओं को मेरा संदेश हैं, और कहें कि चीफ जस्टिस चाहते हैं कि आप घर चले जाएं।