किसान आंदोलन के मामले में सुप्रीम कोर्ट का केंद्र और पंजाब-हरियाणा की सरकारों को नोटिस जारी

मोदी सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर आंदोलन कर रहे लाखों किसानों का आंदोलन बुद्धवार को 21वें दिन भी जारी है। इस बीच आज सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले पर केंद्र सरकार, पंजाब और हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किया है। अदालत ने कहा कि इस मामले पर एक कमेटी गठित की जाएगी, जो मामले को सुलझाएगी क्योंकि राष्ट्रीय मुद्दा सहमति से सुलझना जरूरी है।  अब इस मामले पर 17 दिसंबर (कल) सुनवाई होगी।

इस मामले पर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को सर्वोच्च अदालत की प्रधान न्यायाधीश (सीजीए) एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने केंद्र सरकार, पंजाब और हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किया है। दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का प्रदर्शन जारी रहेगा या उन्हें कहीं और भेजा जाएगा, इस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है। बता दें क़ानून के छात्र  ऋषभ शर्मा ने एक अर्जी लगाकर कहा है कि किसान आंदोलन के चलते सड़कें जाम होने से जनता परेशान हो रही है।

चीफ जस्टिस ने अदालत में कहा कि जो याचिकाकर्ता हैं, उनके पास कोई ठोस दलील नहीं है। ऐसे में रास्ते किसने बंद किए हैं। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि किसान प्रदर्शन कर रहे हैं और दिल्ली पुलिस ने रास्ते बंद किए हैं। इस पर प्रधान न्यायाधीश  ने कहा कि जमीन पर मौजूद आप ही मेन पार्टी हैं। अदालत ने कहा है कि वो किसान संगठनों का पक्ष सुनेंगे, साथ ही सरकार से पूछा कि अब तक समझौता क्यों नहीं हुआ।

अदालत की ओर से अब किसान संगठनों को नोटिस दिया गया है। अदालत का कहना है कि ऐसे मुद्दों पर जल्द से जल्द समझौता होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और किसानों के प्रतिनिधियों की एक कमेटी बनाने को कहा है, ताकि दोनों आपस में मुद्दे पर चर्चा कर सकें।

आज सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता से पूछा कि आप चाहते हैं बॉर्डर खोल दिए जाएं। जिस पर उनके वकील ने कहा कि अदालत ने शाहीन बाग मामले में कहा था कि सड़कें जाम नहीं होनी चाहियें। बार-बार शाहीन बाग का हवाला देने पर प्रधान न्यायाधीश ने वकील को टोका और कहा कि वहां पर कितने लोगों ने रास्ता रोका था ? कानून व्यवस्था के मामलों में मिसाल नहीं दी जा सकती है।

प्रधान न्यायाधीश ने सुनवाई के दौरान पूछा कि क्या किसान संगठनों को केस में पार्टी बनाया गया है। प्रधान न्यायाधीश ने पूछा – ‘आप बताइए कौन की किसान एसोसिएशन ने रास्ता रोका है ?’ इस पर याचिकाकर्ता ने जानकारी नहीं होने की बात कही। इसके बाद सर्वोच्च अदालत ने किसानों को दिल्ली बॉर्डर से हटाने की अर्जी पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।

याचिकाकर्ता ने अर्जी में यह भी कहा है कि किसान आंदोलन के प्रदर्शन वाली जगहों पर आपसी दूरी नहीं होने से कोरोना का खतरा भी बढ़ रहा है। याचिका में कहा गया है कि किसानों को दिल्ली की सीमाओं से हटाकर सरकार की तरफ से आवंटित तय स्थान पर स्थानांतरित किया जाना चाहिए और उन्हें कोरोना इ जुड़े दिशा निर्देशों का भी पालन करना चाहिए।