किसानों को नहीं मिला न्याय

योगेश

बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि उत्तम खेती, मध्यम बान, अधम चाकरी वाली कहावत सदियों पहले हमारे देश से उसी तरह से व्यर्थ हो गयी, जिस तरह से भारत को अब सोने की चिड़िया कहने वाली बात व्यर्थ हो गयी। अब तो उत्तम बान, मध्यम चाकरी और अधम खेती की कहावत सटीक लगती है। हमारे किसान अपनी फ़सलों के उत्पादों की बिक्री के उचित मूल्य के लिये सरकार से गुहार लगा रहे हैं। लेकिन उनकी माँग पर सरकार ध्यान नहीं देती है। हमने कुछ किसानों से फ़सलों के उचित मूल्य के बारे में पूछा, तो उनका जवाब था कि कई दशकों से किसानों की एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की माँगों को देश में बनने वाली हर सरकार ने नज़रअंदाज़ किया है। मौज़ूदा सरकार भी नज़रअंदाज़ कर रही है। गाँव-गाँव में किसान दोबारा आन्दोलन को मजबूर हो रहे हैं। कुछ दिन पहले किसानों ने इमलोटा से दादरी तक ट्रैक्टरों से किसान जन जागरण यात्रा निकाली और किसान महापंचायत में राष्ट्रीय किसान नेताओं ने एमएसपी गारंटी सहित कई माँगों को सरकार के सामने रखा।

किसान संगठनों ने एकजुट होकर एमएसपी गारंटी क़ानून लागू करवाने के लिए आर-पार की लड़ाई का ऐलान किया था। राष्ट्रीय नेता सरदार वी.एम. सिंह की अगुवाई में यह ट्रैक्टर रैली निकली थी। उन्होंने कहा कि अब गाँव-गाँव और घर-घर से एकजुट होकर देश भर के 272 किसान संगठन आन्दोलन करने के लिए फील्ड में उतरेंगे और पूरे देश में ‘एमएसपी का गारंटी क़ानून नहीं, तो वोट नहीं अभियान चलाएँगे। एक-दूसरे किसान नेता ने कहा कि फ़सलों के उत्पादों पर एमएसपी के अलावा बर्बाद होने वाली फ़सलों के उचित मुआवज़े और किसानों की दूसरी माँगों को सरकार पूरा करे, नहीं तो किसान संगठनों के विरोध को सहने के लिए तैयार रहे। किसान फिर से एक आन्दोलन करेंगे।

इस बीच दावा किया जा रहा है कि किसानों की एमएसपी की माँग कुछ हद तक सफल हो चुकी है। 19 अक्टूबर, 2023 को ख़बर मिली की सरकार ने गेहूँ, सरसों, मसूर, कुसुम, जौ ओर चने की कुल छ: रबी की फ़सलों पर एमएसपी बढ़ा दी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति की रिपोर्ट के अनुसार अब रबी विपणन सत्र 2024-25 के लिए 150 रुपये प्रति कुंतल की बढ़त के साथ गेहूँ की नयी एमएसपी मूल्य 2,275 रुपये प्रति कुंतल, 200 रुपये प्रति कुंतल की बढ़त के साथ सरसों का नयी एमएसपी मूल्य 5,650 रुपये प्रति कुंतल, 425 रुपये प्रति कुंतल की बढ़त के साथ मसूर की नयी एमएसपी मूल्य 6,425 रुपये प्रति कुंतल, 115 रुपये की बढ़त के साथ जौ की नयी एमएसपी मूल्य 1,850 रुपये प्रति कुंतल, 105 रुपये प्रति कुंतल की बढ़त के साथ चना की नयी एमएसपी मूल्य 5,440 रुपये प्रति कुंतल और 150 रुपये प्रति कुंतल की बढ़त के साथ कुसुम की नयी एमएसपी मूल्य 5,800 रुपये प्रति कुंतल होगी। ये सभी मूल्य 01 अप्रैल, 2024 से लागू होंगे।

विपणन सीजन 2024-25 के लिए अनिवार्य रबी फ़सलों के लिए एमएसपी में ये बढ़त केंद्रीय बजट 2018-19 की घोषणा के अनुसार है। इसमें एमएसपी को अखिल भारतीय औसत उत्पादन लागत (एआईवीएसी) के कम-से-कम डेढ़ गुना के स्तर पर एमएसपी तय करने की घोषणा की गयी थी। सरकार का दावा है की एआईवीएसी पर गेहूँ के लिए 102 प्रतिशत, रेपसीड और सरसों के लिए 98 प्रतिशत, मसूर दाल के लिए 89 प्रतिशत, चने के लिए 60 प्रतिशत, जौ के लिए 60 प्रतिशत ओर कुसुम के लिए 52 प्रतिशत लाभ है।

अभी तक वर्तमान में गेहूँ का एमएसपी मूल्य 2,125 रुपये प्रति कुंतल, जौ का एमएसपी मूल्य 1,735 रुपये प्रति कुंतल, चने का एमएसपी मूल्य 5,335 रुपये प्रति कुंतल, मसूर का एमएसपी मूल्य 6,000 रुपये प्रति कुंतल, सरसों का एमएसपी मूल्य 5,450 रुपये प्रति कुंतल ओर कुसुम का एमएसपी मूल्य 5,650 रुपये प्रति कुंतल है। छ: फ़सलों की नयी एमएसपी मूल्य पर हमने कई किसानों से बात की, तो उन्होंने कहा कि पहली बात तो यह सरकार की बैठक में मौखिक घोषणा है, वो भी सिर्फ छ: फ़सलों पर; और यह भी मामूली बढ़त है, जो अगले साल अप्रैल से लागू होगी। दूसरी बात सरकार एमएसपी गारंटी क़ानून बनाने से बच रही है, जो कि देश में पैदा होने वाली सभी फ़सलों पर लागू होगा ओर किसानों को उचित मूल्य मिल सकेगा। जब तक सरकार सभी फ़सलों पर एमएसपी गारंटी क़ानून नहीं बनाती है, तब तक ये 100-200 रुपये बढ़ाकर सरकार किसानों का विश्वास नहीं जीत सकती।