अफगानिस्तान में 20 साल के बाद तालिबान के कब्जे के बीच राजधानी काबुल के एयरपोर्ट पर अमेरिका की सेना की फायरिंग में कम से कम पांच लोगों की मौत होने की रिपोर्ट्स हैं। फायरिंग के बाद एयरपोर्ट पर अफरा-तफरी मचने वाले वीडियो सामने आए हैं। देश पर तालिबान के सम्पूर्ण कब्जे के बाद हजारों लोग काबुल छोड़कर भागने की कोशिश कर रहे हैं। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के सहयोगियों के साथ रविवार को ही देश छोड़कर कज़ाख़िस्तान चले जाने की रिपोर्ट्स हैं। इस बीच काबुल एयरपोर्ट पर विमान संचालन पर रोक लगा दी गयी है।
काबुल एयरपोर्ट पर सोमवार को हजारों लोगों की भीड़ के चलते हंगामा हुआ जिसके बाद अमेरिकी फौज ने गोलियां चलाई। गोलीबारी में कम से कम 5 लोगों की जान चले जाने की रिपोर्ट्स हैं। एयरपोर्ट पर मची अफरातफरी को देखते हुए यहां से फ्लाइट्स बंद करने की घोषणा की गयी है। फिलहाल एयरपोर्ट पर अमेरिका सेना का कब्ज़ा है और तालिबान वहां कब्ज़ा जमाने की कोशिश कर रहे हैं। तालिबान ने लोगों से अपने घरों में रहने को कहा है, लेकिन दहशत से भरे लोग घर छोड़कर भाग रहे हैं। अमेरिकी सेना हवा में गोलियां चला रही है जिससे लोगों में खौफ भरा है।
अमेरिका ने राजधानी काबुल स्थिति अपने दूतावास को पूरी तरह से खाली कर दिया है। हालांकि दूतावास के कार्यक्रम सभी जरूरी काम काज काबुल एयरपोर्ट से किए जाएंगे जहाँ अमेरिका और फ्रांस समेत कई देशों ने अपने दूतावास बनाए हैं। उधर अमेरिका ने कहा है कि अपने नागरिकों, अपने मित्रों और सहयोगियों की अफगानिस्तान से सुरक्षित वापसी के लिए वह काबुल हवाईअड्डे पर 6,000 सैनिकों को तैनात करेगा। विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने महत्वपूर्ण सहयोगी देशों के अपने समकक्षों से बात की है।
अमेरिका और यूरोपीय संघ के नेतृत्व में 60 से अधिक देशों ने संयुक्त बयान जारी करके अफगानिस्तान में शक्तिशाली पदों पर आसीन लोगों से अनुरोध किया गया है कि वे मानवीय जीवन और संपत्ति की रक्षा की जिम्मेदारी और जवाबदेही लें और सुरक्षा और असैन्य व्यवस्था की बहाली के लिए तुरंत कदम उठाएं। फिलहाल भारत खुद को इन तमाम गतिविधियों से अलग रखे हुए हैं।
इस बीच अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का ब्यान भी सामने आया है। इसमें ट्रम्प ने कहा है – ‘तालिबान का विरोध किए बिना काबुल का पतन होना अमेरिकी इतिहास की सबसे बड़ी हार के रूप में दर्ज होगा। जो बाइडन ने अफगानिस्तान में जो किया वह अपूर्व है। इसे अमेरिकी इतिहास की सबसे बड़ी हार के रूप में याद रखा जाएगा।’ उधर संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की पूर्व राजदूत निक्की हेली ने भी इसे बाइडन प्रशासन की विफलता करार दिया है।
याद रहे तालिबान के काबुल में राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लेने और इसके निर्वाचित नेता अशरफ गनी के अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ देश छोड़कर ताजिकिस्तान चले जाने के बाद ट्रंप का यह ब्यान सामने आया है। अफगान सुरक्षा बलों के तालिबान के सामने इस बुरी तरह और जल्दी बिना प्रतिरोध के हारने को दुनिया भर में हैरानी से देखा जा रहा है। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भी अफगान सेना का जिक्र करते हुए कहा – ‘हमने देखा कि बल देश की रक्षा करने में असमर्थ है और यह हमारे पूर्वानुमान से बहुत ज्यादा जल्दी हुआ है।’
उधर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने अफगानों की जान बचाने और मानवीय सहायता पहुंचाने के मकसद से तालिबान और सभी अन्य पक्षों से संयम बरतने का आग्रह किया है। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने – ‘संयुक्त राष्ट्र एक शांतिपूर्ण समाधान में योगदान करने, सभी अफगानों, विशेषकर महिलाओं और लड़कियों के मानवाधिकारों की रक्षा करने और जरूरतमंद नागरिकों को जीवन रक्षक मानवीय और महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करने के लिए दृढ़ संकल्प है।’