काफी कुछ खो बैठते हैं जब सब बताने में होती है देर

हम काफी कुछ खो बैठते हैं जब हम खुद पर हुए सेक्सुअल एसाल्ट (यौनिक हमलों) की बातें बताने में लंबा समय बिता देते हैं।

मैं तब 16 साल की थी। मैंने लॉस एंजेल्स के एक उपकरण के पुएंटे हिल्स मॉल में एक नौजवान से मिलना-जुलना शुरू किया था। मैं स्कूल में पढ़ाई के बाद राबिन्सन एक्सेसरीज की एक दूकान में काम करती थी। वह पुरुषों की एक दूकान में काम करता था। वह भूरे सिल्क का सूट पहने होता और मेरे साथ गप्पें मारता। वह कालेज में पढ़ता था। मुझे वह अच्छा और आकर्षक लगता था। वह 23 साल का था।

हम जब कहीं बाहर जाते तो वह एक किनारे कार खड़ी कर देता और घर में हमारे कोच के एक किनारे बैठ कर मेरी मां से गप्पें मारता। स्कूल मेें जब रात के आयोजन होते तो वह मुझे कभी घर देर में न लाता। हम खासे करीब थे। उसे पता था कि मैं तब कुंआरी थी। उसे इस बात पर यकीन नहीं था कि मैं सेक्स के लिए तैयार होऊंगी या नहीं।

नए साल की शाम थी। हमने मेल-जोल बढ़ाया ही था कि उसने एक दिन मेरे साथ बलात्कार किया।

उस घटना को मैं लगभग भूल चुकी थी। इस साल सितंबर के आखिरी सप्ताह में मेरे दिमाग में यह कौंधने लगा जहां दो महिलाओं ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के लिए मनोनीत ब्रेट कावनाव के खिलाफ ब्यौरे बार आरोप लगाए। क्रिस्टीन ब्लैसे फोर्ड ने बताया कि वह कैसे उस पर चढ़ गया और उसने उसके मुंह पर हाथ रख दिया और बलात्कार करने लगा। यह घटना तब हुई जब वे दोनों हाई स्कूल में थे।

वह शुक्रवार था जब राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्वीट किया कि यदि डा. ब्लैसी ने जो कुछ कहा, वह सही है तो उन्हें सालों पहले पुलिस में रिपोर्ट करनी थी। लेकिन मैं समझ सकती हूं क्योंकि उन दोनों महिलाओं ने इतने साल तक सारी जानकारी खुद तक रखी। पुलिस को कुछ भी नहीं बताया। सालों तक मैंने भी वही किया। शुक्रवार को मैंने ट्वीट किया जो मुझे इतने बरसों पहले हुआ।

शायद आप यह जानना चाहें कि क्या मैंने उस रात शराब पी थी जब मेरे साथ बलात्कार हुआ। यह कोई मायने नहंी रखता लेकिन मैंने पी नहीं थी। आप शायद यह जानना चाहें कि मैंने क्या पहन रखा था या कि मैं कितनी उलझी हुई थी। अपनी इच्छाओं को लेकर। लेकिन यह भी बेमतलब ही है। मैंने जो पहन रखा था वह लांग स्लीव ब्लैक बेट्सी जॉनसन मैक्सी ड्रेस थी। इसमें सिर्फ मेरे कंधे ही दिखते थे।

हम दोनों कई पार्टियों में गए थे। इसके बाद हम उसके अपार्टमेंट में गए। हम आपस में बातचीत ही कर रहे थे। मैं बहुत थक गई थी। मैं बिस्तर पर लेट गई और सो गई।

दूसरी बात जो मुझे याद आती है वह यह कि मेरी टांगों के बीच एक छुरे के घुसने जैसी पीड़ा हो रही थी। वह मेरे ऊपर था। मैंने पूछा, ‘तुम क्या कर रहे हो।Ó उसने कहा, ‘यह दर्द कुछ ही देर होगाÓ। मैं चीखी, ‘ऐसा मत करो।Ó

दर्द बढ़ रहा था। लेकिन वह जारी था। डर से मेरे आंसू निकल रहे थे। उसके बाद उसने कहा, मुझे लगा कि तुम जब सो रही है तो दर्द कम होगा। वह मुझे घर लाकर छोड़ गया।

मैंने किसी से कुछ नहीं कहा। न तो अपनी मां से, न अपने दोस्तों से और पुलिस तो बहुत तो दूरी थी। मैं बहुत सदमे में थी। उस शाम मैंने घर आकर बताया फिर मैं सोने चली गई। मैं वह रात भूलना चाह रही थी।

फिर मुझे लगने लगा कि यह मेरी ही गलती है। 1980 के दशक में हम नहीं जानते थे कि बलात्कार क्या होता है। मैं सोचती, ‘बड़े लोगे कहेंगे कि तुम उसके अपार्टमेंट में करने ही क्या गई थी? तुम उसके साथ क्यों घूम रही थी जो तुमसे कितना बड़ा है।Ó

मुझे नहीं लगता कि मैं इस घटना को बलात्कार कह सकती हूं – मैं उसे सेक्स भी नहीं कह पाती। यह सब मेरे दिमाग में घूम रहा था। मैं हमेशा सोचती जब मैं अपनी कौमार्य तोड़ंूगी तो वह एक बड़ी बात होगी – समझ बूझ कर लिया गया फैसला। खुद पर काबू रख पाना मुझे परेशान कर रहा था। मेरे दिमाग में आता जब मैंने इंटरकोर्स किया तो क्या यह प्यार की अदायगी थी थोड़ी खुशी बांटनी थी या बेबी की तैयारी थी। जाहिर है इनमें कुछ भी नहीं था हमारे बीच।

बाद में जब दूसरे लड़कों से मेरा मेलमिलाप हुआ जब मैं हाई स्कूल के अगले साल में पहुंची। यानी कालेज के पहले साल। मैंने उनसे झूठ कहा – मैं अब भी कुंआरी हूं। लेकिन भावनात्मक तौर पर तो थी ही।

अब मैं इसके बारे में सोचती हूं। मुझे याद आता है कि इस बलात्कार के पहले जब मैं सात साल की थी मेरे सौतेले बाप के एक संबंधी ने मेरी टांगों के बीच मुझे छुआ और मेरा हाथ अपने खड़े लिंग पर रखा। मैंने अपनी मां को बताया। उन्होंने मुझे साल भर के लिए मेरे दादा-दादी के पास भेज दिया।

इन अनुभवों से मुझे काफी असर पड़ा और भरोसा करने की अपनी योग्यता पर असर पड़ा। मुझे दशकों लग गए इसके बारे में अपने किसी अंतरंग से कुछ कहने मेेंं। यहां तक कि किसी चिकित्सक से भी।

कुछ लोग कहते हैं कि किसी आदमी को उस काम की कीमत नहीं अदा नहीं करनी चाहिए उसने जो किशोर अवस्था में की हो। लेकिन औरत तो ताजिंदगी कीमत अदा करती रहती है। इसमें वे भी सहयोगी होते हैं जो उसे प्यार करते हैं।

मुझे लगता है कि समय के साथ मेरे साथ जो कुछ हुआ वह बलात्कार है-दूसरे कहते है – मैंने शायद ज्य़ादा नहीं झेला। मैं जब पीछे देखती हूं। सोचती हूं कि अपने बलात्कारी को मैंने बचा लिया और 16 साल के अपने आस्तित्व को मारा दिया।

आज मेरी एक बेटी है। वह आठ साल की है। सालों से मैं उसे सहज साधारण शब्द सुनाती रहती हूं जिन्हेें जानने-समझने में ही मेरी जि़ंदगी का एक बड़ा हिस्सा निकल गया। अगर कोई तुम्हें छूता है। तुम्हारे निजी अंगों को छूता है। तुम्हें असहज सा लगता है। तुम जोर से चीखो। तुम वहां से बाहर निकलो और किसी से कहो। कुछ। किसी को भी इजाजत नहीं कि वह तुम पर अपने हाथ रखे। तुम्हारा शरीर तुम्हारा है।

अब अपने बलात्कार के 32 साल बाद मैं खुल कर यह कह पा रही हूं कि मेरे साथ क्या हुआ? मुझे यह सब कहने से न तो कुछ हासिल भी नहीं होगा।

आज चार लड़कियों में एक और छह लड़कों में एक सेक्सुअली एब्यूज्ड है जिसकी उम्र 18 साल से कम है। आज मैं ऐसा इसलिए कह रही हूं क्योंकि मैं चाहती हूं कि हम सब तैयार हों। हमारी बेटियां कभी शर्म या डर के कारण खामोश न रहें। हमारे बच्चे अच्छी तरह जान लें कि लड़कियों का शरीर उनकी मौज-मस्ती के लिए नहीं है। न मानने पर बुरे दुष्परिणाम हो सकते है।

ये संदेश बहुत ही साफ होने चाहिए क्योंकि हमने जिन्हें फैसला लेने की जिम्मेदारी है वे हमारे देश में सबसे बड़ी अदालत में बैठते हैं।

पद्मा लक्षमी

लव, लास एंड व्हाट वी एट की लेखक

साभार : द हिंदू, न्यूयार्क टाइम्स