जम्मू कश्मीर में कांग्रेस और नैशनल कांफ्रेंस में लोक सभा चुनाव के लिए चुनाव-पूर्व समझौता हुआ है। हालाँकि समझौते के बावजूद दोनों पार्टियां तीन सीटों पर ”फ्रेंडली कांटेस्ट” के लिए भी उतरेंगी। जम्मू-कश्मीर की छह लोकसभा सीटों पर पांच चरणों में चुनाव होना है।
पिछले विधानसभा चुनाव से पहले सूबे में एनसी और कांग्रेस की गठबंधन सरकार थी लेकिन चुनाव में भाजपा-पीडीपी को ज्यादा सीटें मिलने के बाद इन दोनों ने चुनाव बाद गठबंधन बनाकर सरकार बनाई थी। इस समझौते में पीएम मोदी ने भी बड़ी भूमिका निभाई थी। हालाँकि २०१८ में भाजपा ने अचानक पीडीपी से समर्थन वापस ले लिया और सरकार तोड़ दी। अब अगले लोक सभा चुनाव में एनसी और कांग्रेस पीडीपी और भाजपा को धूल चटाने के लिए फिर इक्कट्ठे हुए हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता घुलम नबी आज़ाद और अम्बिका सोनी बुधवार को श्रीनगर पहुंचे और नैशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला से बैठक की। जम्मू-कश्मीर में ६ संसदीय सीटें हैं। गठबंधन के बाद श्रीनगर लोकसभा सीट पर नेशनल कॉन्फ्रेंस कांग्रेस के सहयोग से पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला को मैदान में उतारेगी। कांग्रेस जम्मू और उधमपुर सीटों पर नैशनल कांफ्रेंस के साथ गठबंधन से लड़ेगी। कांग्रेस का जोर चार सीटों के लिए था जिसमें लद्दाख और अनंतनाग सीटें भी हैं। हालाँकि वहां अब दोनों ”फ्रेडंली मुकाबला” करेंगे। फ्रेडंली मुकाबला बारामुला में भी होगा। वैसे लद्दाख में हो सकता है दोनों में समझौता हो जाये और कांग्रेस वहां से लड़े।
सूबे में छह संसदीय सीटें अनंतनाग, उधमपुर, बारामुला, श्रीनगर, जम्मू और लददाख हैं। कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के अलावा पीडीपी और भाजपा भी मैदान में होंगे। गौरतलब है कि २०१४ की मोदी लहर में जम्मू, उधमपुर और लद्दाख सीटें भाजपा ने जीत ली थीं। बाद में लद्दाख से भाजपा एमपी तुपस्तन छेवांग ने भाजपा छोड़ दी थी। इस बार मोदी लहर जैसी कोइ बात नहीं लिहाजा भाजपा को कड़ा मुकाबला झेलना होगा।