70 साल की आज़ादी में पूछे नहीं सवाल
तेरे टूटे लित्तर पाटय कुरता क्यूं हो गया फटेहाल सूनो।
भरी दोपहरी खेत कमाया भरके पेट कदै खाया ना
रात दिना तनै मिल चलाया तन पै कपड़ा पाया ना
भट्टे पे ला खिया ईट काद दो घरों खोरिया लाया ना
कमा कमा के हाड गला दिए कदै जुड़ी धन भाया ना
ढाली बैठया का सैंसेक्स चढरया होरया किया कमाल सूनो।
तेरे टूटे लित्तर-
अनपढ़ सादा मानस था थारो चाल समझ में आई ना
भेडा का मिले भेडिय़ा या खाल समझ में आई ना
थारे चाल चरित्र के ई ढाल समझ में आई
गिणत गिणता लहर तुल या झाल समझ में आई ना
महंगाई बेरोजगारी का आया किसा भूचाल सूनो।
तेरे टूटे लित्तर –
धाले पासे अडै कई तरह के चूसै खून गरीबा का
मंदिर जा के टाल बजावे कहरे खेल नसीबां का
जग बीती ना कहरया सूं यो कहरया हाल करीबां का
जात धर्म और गोत नात के बुणरे जाल रेबा का
तेरे एक ढर्रे में डूंढ उजड़ जावे व्हिस्की पी मालामाल सुनो।
तेरे टूटे लित्तर-
गरीब अमीर की यारी ना हो कहती दुनिया सारी है
करमो का यो लेख बता कै म्हारी अकिल मारी है
कठटे होकै सोच जरा ओ दुनिया के नर नारी रै
अपणे हक में लडऩे का ऐलान करो तुम जारी रै
कह मुकेश तू चेत साथियां माच्चै के धमाल सुणो
तेरे टूटे लित्तर पाटया कुरता क्यूं होग्ये फटेहाल सूणो।
प्रस्तुति : दिगंबर
राजनीति केर दाव
में मारु धोबिया पाट
ग्ंागेश गुंजन
जत्तेक कहबनि कहि दिय नु ओ नहि देता कान
अपने स्वार्थक ध्यान में ओ छथि बनल अकान।
भोर-सांझ दुपहर भने रहू अहां बेचैन
ओ पुछताह औ बंधुगण किनका भोट देबैन?
अहोंक पसेना अहोंक देह हुनकर की छनि हानि
सब विचार बनि गेल अछि सत्ताक पएर धोआइनि।
सौंसे गायक भुखमरी सौंसे गायक आहि
छथि नेता एहि क्षेत्र केर मुदा कोन पर वाहि?
वाणी में किछु कहि दियै बढ़़ दिव थिक पाखण्ड
सयम सुतारू राजनीतिक नेते बनल अबंड।
राजनीति केर दाव में मारु धोबिया पाट
खसय चित्त जे खसि पड्यो अहोंक खूजय बाट
‘दु:खक दुपरिया’ (मगही कविताएं)
क्रांति पीठ प्रकाशन