केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) ने विज्ञापन और दृश्य प्रचार निदेशालय (डीएवीपी) के अज्ञात अधिकारियों और दो निजी व्यक्तियों के खिलाफ गैर-अस्तित्व वाले अखबारों में विज्ञापन जारी करने के मामले में प्रारम्भिक जाँच शुरू की है।
सीबीआई जाँच हमारे प्रतिद्वंद्वियों के लिए एक गम्भीर संकेत है कि इन वर्षों में वे क्या कर रहे थे? जबकि हमारे प्रकाशनों ने पूर्ण रूप से अपनी साख व पहुँच मज़बूत रखते हुए अपने मूल्यवान और आम पाठकों के सामने ईमानदारी के बूते साहस, उम्मीद और जनहित की पत्रकारिता को आगे बढ़ाने पर भरोसा किया है। अधिकारियों ने कहा कि प्रारम्भिक जाँच आरोपों का आकलन करने के लिए की जाती है, और अगर प्रथम दृष्टया अपराध स्थापित होता है, तो प्राथमिकी दर्ज की जाती है। सीबीआई के प्रवक्ता आर.के. गौड़ ने जाँच के बाद कहा- ‘यह कार्रवाई सीबीआई को भ्रष्टाचार निरोधी कार्य के खिलाफ मिले अधिकार के अनुरूप की गयी है।’
31 मार्च, 2018 को भारत में पंजीकृत प्रकाशनों की कुल संख्या, पंजीयक भारतीय समाचार पत्र के कार्यालय के अनुसार, 1,18,239 थी और सीबीआई की प्रारम्भिक जाँच एक बड़े घोटाले की ओर इशारा करती है। सीबीआई के सूत्रों के अनुसार, यह आरोप लगाया गया है कि डीएवीपी में कुछ अधिकारियों ने कुछ-कुछ अखबार मालिकों के साथ मिलकर ऐसे अखबारों को विज्ञापन जारी किये, जो अब केवल सरकारी रिकॉर्ड में मौज़ूद हैं। क्योंकि उन्होंने या तो बहुत पहले ही प्रकाशन बन्द कर दिया है या अपना अस्तित्व ज़ाहिर करने के लिए नाममात्र को न्यूनतम प्रतियाँ छापीं। इसके बाद इन विज्ञापनों के प्रकाशन के नाम पर भुगतान किया गया, जिससे सरकारी खज़ाने को चूना लगा।
सरकारी खज़ाने को नुकसान
सीबीआई सूत्रों के अनुसार, 2016 और 2019 की अवधि के बीच इन अखबारों में विज्ञापन लगाने को लेकर अनियमितताएँ पायी गयी हैं। ये ऐसे समाचार पत्र हैं, जिन्होंने यह बताने के लिए गलत तरीके अपनाये कि वह सरकारी विज्ञापनों के पात्र हैं। वे (अखबार मालिक) या तो अखबार का प्रकाशन ही नहीं कर रहे थे, या नाम भर के लिए 100 प्रतियाँ ही मुद्रित कर रहे थे। इन प्रतियों को वे सरकारी कार्यालयों को भेजते थे, ताकि यह प्रमाणित कर सकें कि वे लगातर अखबार निकाल रहे हैं। इस मामले में प्रारम्भिक जाँच शुरू कर दी गयी है। यदि और सबूत मिलते हैं, तो एफआईआर दर्ज कर नियमित मामला दर्ज किया जाएगा। प्रारम्भिक पूछताछ से ज़ाहिर होता है कि यह धोखाधड़ी करीब 65 लाख रुपये के आसपास है। चूँकि प्रकाशनों की संख्या ज़्यादा है, इसलिए धोखाधड़ी को पूर्ण रूप से बाहर लाने के लिए अभी काफी मशक्कत करनी पड़ेगी। सूत्रों ने कहा कि कई अखबारों ने जिस तरह प्रसार (सर्कुलेशन) के फर्ज़ी आँकड़े दिखाये, उससे लगता है कि घोटाले और सरकारी खज़ाने को लगे चूने से जुड़ी रकम कहीं ज़्यादा हो सकती है।
41 शहर, 27 कार्यालय, 150 छापे
यह खुलासा सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए पिछले साल अगस्त में की गयी राष्ट्रव्यापी छापेमारी का नतीजा है। पिछले साल 30 अगस्त को सीबीआई ने देश के 41 शहरों और कस्बों में औचक निरीक्षण किये थे, जिसमें 27 विभिन्न सरकारी विभागों के कार्यालयों में 150 से अधिक छापे मारे थे। ये छापे सम्बन्धित सरकारी विभागों के सतर्कता अधिकारियों के साथ एक साझे अभियान में मारे गये थे। उस समय जिन महकमों में छापे मारे गये थे, उनमें डीएवीपी भी था।
एजेंसी ने तब दावा किया था कि जाँच ऐसे बिन्दुओं और स्थानों पर की गयी थी, जहाँ आम नागरिक या छोटे व्यवसायी सरकारी मशीनरी में भ्रष्टाचार की सबसे ज़्यादा समस्या महसूस करते हैं। उसने कहा था कि छापेमारी ऐसे बिन्दुओं और स्थानों की पहचान उजागर करने की कोशिश के लिए थी, जो भ्रष्टाचार के मामले में सबसे ज़्यादा संवेदनशील थे।
सीबीआई के अनुसार, जिन विभागों पर यह साझा छापेमारी की गयी थी, उनमें रेलवे, कोयला खदान तथा कोयला क्षेत्र, चिकित्सा तथा स्वास्थ्य संगठन, सीमा शुल्क और भारतीय खाद्य निगम शामिल हैं। अन्य विभागों में बिजली, नगर निगम, ईएसआईसी, परिवहन, सीपीडब्ल्यूडी, सम्पदा निदेशालय, अग्निशमन सेवाएँ, उप-पंजीयक कार्यालय, जीएसटी विभाग, पोर्ट ट्रस्ट, राष्ट्रीय राजमार्ग, डीएवीपी, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया, सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कम्पनियाँ, विदेश व्यापार महानिदेशालय, पीएसयू बैंक, भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण, शिपिंग कॉर्पोरेशन, बीएसएनएल, स्टील सार्वजानिक उपक्रम (पीएसयू), खदान और खनिज शामिल हैं।
जिन शहरों और कस्बों में छापे मारे गये उनमें दिल्ली, जयपुर, जोधपुर, गुवाहाटी, शिलांग, चंडीगढ़, श्रीनगर, चेन्नई, मदुरै, कोलकाता, भुवनेश्वर, हैदराबाद, बेंगलूरु, मुम्बई, गाँधीनगर, भोपाल, रायपुर, नागपुर, जबलपुर, पटना, लखनऊ, गाज़ियाबाद, देहरादून, राँची, विशाखापट्टनम, गुंटूर, विजयवाड़ा, कोच्चि, कोल्लम, हनमाकोंडा, करीमनगर, चिरमिरी, सिकंदराबाद, कटनी-बीना, वडोदरा, हिम्मत नगर, धनबाद, कसौली, समस्तीपुर, दानापुर और मोकामा शामिल हैं।