चीन से दो-दो हाथ

गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर असल में क्या हुआ, जिसमें हमारे 20 जवान शहीद हो गये? यह अब भी एक रहस्य बना हुआ है। इसे लेकर भी परस्पर विरोधी खबरें हैं कि क्या भारतीय क्षेत्र में कोई घुसपैठिया मौज़ूद नहीं था? क्या घातक मुठभेड़ के समय भारतीय सैनिक सशस्त्र या निहत्थे थे? भ्रम तब और बढ़ गया, जब चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की ओर से भारत के अफसरों सहित 10 जवानों की रिहाई को लेकर खबर आयी। यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि ये बहादुर जवान 15 जून की घटना के बाद से लापता थे। इसके अलावा यह भी नहीं बताया गया था कि तीन दिन से उनकी सुरक्षित वापसी के लिए बातचीत चल रही थी। यह उन घटनाओं की कड़ी में पारदॢशता की कमी की ओर इशारा करता है, जिनसे केवल अटकलों और गलत सूचनाओं को हवा मिली। इसमें कोई संदेह नहीं है कि मीडिया या जनता के साथ हर घटनाक्रम को साझा करना सम्भव नहीं है; खासकर जब बात राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी हो। लेकिन पूर्ण गोपनीयता भी किसी उद्देश्य की पूर्ति नहीं होती।

राष्ट्र को एक आक्रामक चीन की नीयत और महत्त्वाकांक्षाओं का एहसास करना चाहिए। खासकर ऐसे समय में, जब कोविड-19 तेज़ी से फैल रहा है और अर्थ-व्यवस्था पर ग्रहण लग चुका है। चीन लम्बे समय से भारत को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर दबदबा बनाने से रोक रहा है और भारत के खिलाफ पाकिस्तान का समर्थन कर रहा है। चीन को न सिर्फ विश्वास, बल्कि दम्भ है कि वह अकेले या एक साथ किसी भी बड़ी शक्ति के साथ टकराव का सामना कर सकता है। ऐसे में भारत के लिए सामरिक, सैन्य और कूटनीतिक तरीकों का उपयोग करना आवश्यक है। साथ ही भारत को पड़ोसी देशों- पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल के साथ लम्बित मुद्दों को सुलझाने की भी ज़रूरत है। यह समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सर्वदलीय बैठक के बाद एक-दूसरे पर प्रभुता दिखाने या राजनीतिक तूफान खड़ा करने का नहीं है; जिसे पीएमओ ने भ्रामक व्याख्या के रूप में वॢणत किया है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि गलत सूचना कूटनीति का विकल्प नहीं है और यह भी उल्लेखित किया कि चीन बेशर्मी और अवैध रूप से भारतीय क्षेत्र के कुछ हिस्सों, जैसे- गलवान घाटी और पैंगोंग त्सो झील पर अपना दावा जताने के लिए अप्रैल से लेकर आज तक कई बार घुसपैठ कर चुका है। उनके इस बयान के बाद भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री (मनमोहन सिंह) ने सैकड़ों वर्ग किलोमीटर भूमि चीन के आगे समर्पित कर दी थी और 2010 से 2013 के बीच 600 से अधिक घुसपैठ उनके समय में हुईं; जबकि उनकी पार्टी ने असहाय रूप से 43,000 किलोमीटर भारतीय क्षेत्र चीन के लिए समर्पित कर दिया था।

उन्होंने कहा कि इसका स्वागत किया जाना चाहिए कि प्रधानमंत्री ने 20 प्रमुख राजनीतिक दलों की बैठक में आश्वासन दिया कि चीन ने किसी भी भारतीय क्षेत्र का अतिक्रमण नहीं किया है। भारतीय सैनिक एलएसी पर गश्त कर रहे हैं; जो चीन को भारत से अलग करती है और सीमा पर भारतीय क्षेत्र में बेहतर बुनियादी ढाँचा है। सर्वदलीय बैठक सही दिशा में एक कदम था; लेकिन भ्रमित करने वाले बयानों ने केवल गम्भीर मुद्दे की भयावहता को व्यक्त किया और सरकार की दुविधा को सार्वजनिक किया।

जैसे, शेक्सपियर ने कहा है- ‘हो सकता है, अथवा नहीं हो सकता है!’