जिस मुस्लिम देशों के संगठन ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन (ओआईसी) का पाकिस्तान फाउंडर सदस्य था, वही उसमें नहीं आया लेकिन भारत की प्रतिनिधि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस संगठन की बैठक में आतंकवाद का मुद्दा उठाकर साफ़ कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई किसी मजहब के खिलाफ नहीं है। पाकिस्तान को एक तरह से झटका देते हुए भारत को इस बैठक में बतौर ”गेस्ट ऑफ ऑनर” न्योता मिला था।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने शुक्रवार को अबू धाबी में ओआईसी की बैठक में जोर देकर कहा कि दुनिया आज आतंकवाद की समस्या से त्रस्त है और आतंकी संगठनों की टेरर फंडिंग पर रोक लगनी चाहिए। बगैर नाम लिए सुषमा ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का भी जिक्र किया, जिससे भारत लंबे वक्त से जूझ रहा है। ऋग्वेद का उद्धरण देते हुए सुषमा ने कहा – ”भगवान एक हैं और सभी धर्मों का मतलब है शांति।”
स्वराज ने कहा कि भारत आतंकवाद से जूझ रहा है। ”आतंकवाद का दंश बढ़ रहा है, दायरा बढ़ रहा है। आज आतंकवाद और अतिवाद एक नए स्तर पर है। आतंकवाद को संरक्षण और पनाह देने पर रोक लगनी चाहिए। आतंकी संगठनों की फंडिंग रुकनी चाहिए।”
भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई किसी मजहब के खिलाफ टकराव नहीं है। ”जिस तरह इस्लाम का मतलब शांति है, अल्लाह के ९९ नामों में से किसी भी नाम का अर्थ हिंसा नहीं है, उसी तरह हर धर्म शांति के लिए है।”
सुषमा ने कहा कि भारत के लिए बहुलता को अपनाना हमेशा से आसान रहा है क्योंकि यह संस्कृति के सबसे पुराने धार्मिक ग्रंथ ऋग्वेद में भी है और मैं वहां से उद्धरण ले रही हूं – ”एकम सत विप्र बहुधा वधंती अर्थात भगवान एक हैं लेकिन विद्वान लोग अलग-अलग तरह से उनका वर्णन करते हैं।” उन्होंने कहा कि यही वजह है कि भारत के बहुत कम मुस्लिम जहरीले प्रॉपगेंडा से प्रभावित हुए।
इस बैठक में सबसे बड़ी अनुपस्थिति पाकिस्तान की रही। उसने कोशिश की थी कि भारत को इस बैठक में न बुलाया जाए। जानकार इसे भारत की एक बड़ी कूटनीतिक जीत मान रहे हैं।