आखिरकार जिसका डर था वो ही बात अब सामने आने लगी है। दिल्ली के लिये सबसे महत्वपूर्ण दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के चुनाव टाले जाने की संभावना दिन व दिन प्रबल होती जा रही है। वैसे ही एमसीडी चुनाव को लेकर मामला अदालत में विचाराधीन है। आप पार्टी ने तो साफ आरोप भाजपा पर लगाया है कि वो चुनाव में हार के डर के कारण चुनाव से दूर भाग रही है। इसलिये चुनाव को टाला जा रहा है।
बताते चलें चुनाव को टाले जाने को लेकर असल में बात कुछ और ही है। क्योंकि चुनाव में आप पार्टी के अलावा अन्य पार्टियों ने चुनाव से पूर्व एमसीडी की सभी सीटों पर सर्वे करवाया तो आप पार्टी के अलावा अन्य पार्टियों की काफी हालत पतली है। इसकी वजह साफ है। लोगों का मानना है कि एमसीडी में कांग्रेस और भाजपा को मौका दिया है। क्यों न एक बार आप पार्टी को मौका देकर देखा जाये।
दिल्ली में गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों के बीच आप पार्टी की अच्छी-खासी पकड़ है। साथ ही बड़े वर्ग के बीच भी पकड़ बनती जा रही है। ऐसे में दिल्ली में एमसीडी के चुनाव में आप पार्टी को जनता मौका देना चाहती है। दिल्ली एमसीडी के जानकार नलिनी सिंह का कहना है कि एमसीडी की राजनीति कहने को तो छोटी है लेकिन इसके सियासी मायने काफी बड़े है। एमसीडी के चुने हुये पार्षद किसी भी मामलें विधायक से कम नहीं है। जनता का सीधा संपर्क पार्षद से होता है। इसलिये अब चुनाव जब तक टाले जाने की संभावना है। जब तक आप पार्टी के विरोध में कोई राजनीतिक माहौल नहीं बन जाता है।
जानकारों का कहना है कि जब से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने ये कहा कि एमसीडी में आप पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ जीत हासिल कर रही है। तब से विरोधी दलों में ये बड़ी बैचेनी है क्योंकि केजरीवाल ने जब भी कुछ भी चुनाव को लेकर कहा है। तब कुछ न कुछ सियासी बदलाव सामने आये है।बताते चले दिल्ली में नेताओं का कहना है कि एमसीडी के चुनाव एक साल तक के लिये टाले जा सकते है।