उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अगर भाजपा को जीत मिलती है तो आगामी दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के चुनाव में भाजपा साधु-संतों को अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा के प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार में उतार सकती है। सूत्रों की माने तो एमसीडी के चुनाव में भाजपा हर हाल में जीत हासिल करना चाहती है।
बताते चलें एमसीडी में भाजपा का 15 साल से कब्जा है। इस लिहाज से भाजपा एमसीडी में जीत को लेकर काफी सक्रिय है। भाजपा का मानना है कि दिल्ली में तामाम मुद्दों पर आम आदमी पार्टी को घेरा जा सकता है। क्योंकि आप पार्टी का मौजूदा समय में कई मोर्चों पर विरोध चल रहा है। ऐसे में भाजपा कोई कोर कसर छोड़ना नहीं चाहती है।
वैसे तो आप पार्टी भी पिछले चुनाव में भाजपा की तर्ज पर ध्रुवीकरण की राजनीति कर चुकी है। सियासी दांव-पेंच में भाजपा को मात देने के लिये आप पार्टी के नेता मंजे हुये नेताओं की चालें चल रहे है। क्योंकि् आप पार्टी मानती है कि जिस अंदाज में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को अचानक खालिस्तान समर्थक आरोपों में घेरा जा चुका है। और अब आप पार्टी नपे-तुले ब्यान दे रही है।
एमसीडी की राजनीति के जानकार के डी पांडेय का कहना है कि एमसीडी का चुनाव दिल्ली में दिल्ली सरकार से कम नहीं होता है। इसलिये इस चुनाव प्रचार में सभी दलों के राष्ट्रीय स्तर के नेता अपने -अपने प्रत्याशियोें के चुनाव प्रचार में आते है। अगर इस बार कोई भी पार्टी धार्मिक गुरूओं को प्रचार के लिये उतारती है। कोई नई बात नहीं होगी।