पिछले सात महीने से पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर चीन के साथ जारी तनाव के बीच भारत ने महत्वपूर्ण रणनीतिक फैसला लिया है। इसके तहत अब सुरक्षा बलों को 10 दिन के बजाय 15 दिन की जंग के लिए हथियारों और गोला बारूद रखने का अधिकार दे दिया गया है। इस कदम को चीन और पाकिस्तान के साथ दो मोर्चों पर एक साथ युद्ध की आशंकाओं को देखते हुए तैयारी माना जा रहा है।
हथियारों के भंडारण और आपातकालीन खरीद की वित्तीय शक्तियों का इस्तेमाल कर सुरक्षाबल कुछ महीनों में 50,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि की खरीदारी करेंगे। इससे देसी और विदेशी कंपनियों से रक्षा उपकरण और गोला बारूद खरीदा जाएगा। रक्षा बलों के लिए भंडारण की सीमा बढ़ाने का निर्णय कुछ समय पहले लिया गया था।
बता दें कि इससे पहले सेनाओं को 40 दिन की लड़ाई के लिए भंडारण की अनुमति थी, लेकिन युद्ध के बदलते तरीकों और भंडारण में दिक्कतों के चलते इसे कम करके 10 दिन कर दिया गया था। पिछली एनडीए सरकार के समय के बदलाव कर सेना को रक्षा खरीद से जुड़े कई अधिकार दिए गए थे। पहले जहां 100 करोड़ तक के हथियारों की खरीद के सेना प्रमुखों को अधिकार थे, उसे बढ़ाकर 500 करोड़ कर दिया था।