कांग्रेस और विपक्षी दलों के नेताओं की पहली बैठक से मिले सकारात्मक संकेत
विपक्ष एकता की तैयारी में जुट गया है। अप्रैल के दूसरे हफ़्ते वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने विपक्ष के बड़े नेताओं से अपील की कि 2024 के आम चुनाव में भाजपा का मुक़ाबला करने वाले किसी भी गठबंधन के केंद्र में कांग्रेस को होना चाहिए।
अभी तक कांग्रेस से विदक रहे दल या नेता कांग्रेस को लेकर अपने तेवर बदलते दिख रहे हैं। सिब्बल की सलाह के तीन दिन के ही भीतर 12 अप्रैल को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद नेता तेजस्वी यादव सहित कई नेता दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े के घर राहुल गाँधी की उपस्थिति में जुटे। एकता का मुद्दा केंद्र में रहा। ज़ाहिर है बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया है।
नीतीश कुमार की राहुल गाँधी से यह मुलाक़ात इसलिए भी मायने रखती है कि गाँधी की लोकसभा सदस्यता जाने के बाद देश की राजनीति अचानक नयी करवट लेती दिख रही है। यह मुलाक़ात कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े के घर पर हुई, जिसमें जद(यू) अध्यक्ष ललन सिंह के अलावा बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, मंत्री संजय झा, कांग्रेस नेता सलमान ख़ुर्शीद और मुकुल वासनिक भी मौज़ूद रहे। मुलाक़ात का महत्त्व इस बात से समझा जा सकता है कि नीतीश कुमार की अगवानी खडग़े और राहुल गाँधी ने दरवाज़े पर आकर की।
अभी यह तय नहीं है कि क्या आने वाले समय में टीएमसी प्रमुख और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.सी. राव और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल भी इस तरह की बैठकों का हिस्सा बनेंगे? लेकिन नीतीश कुमार की राहुल गाँधी और मल्लिकार्जुन खडग़े के साथ बैठक से एक बात तो ज़ाहिर हो जाती है कि एकता के प्रयासों की शुरुआत हो गयी है और कांग्रेस की भूमिका आने वाले समय में एकता के केंद्र के रूप में हो सकती है। इस दौरान कर्नाटक के चुनाव भी हैं और यदि कांग्रेस वहाँ भाजपा को हराने में सफल हो जाती है, तो न सिर्फ़ कांग्रेस, बल्कि विपक्ष के लिए भी यह संजीवनी का काम करेगी।
बैठक को लेकर राहुल गाँधी ने कहा- ‘विपक्ष को एक करने में एक बेहद ऐतिहासिक क़दम उठाया गया है। यह एक प्रक्रिया है। विपक्ष का देश के लिए जो विजन है, हम उसे विकसित करेंगे। जितनी भी विपक्षी पार्टियाँ हमारे साथ चलेंगी, हम उन्हें साथ लेकर चलेंगे और लोकतंत्र और देश पर जो आक्रमण हो रहा है, हम उसके ख़िलाफ़ एक साथ खड़े होंगे और लड़ेंगे।’
इस बैठक के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बयान भी काफ़ी मायने रखता है। उन्होंने कहा- ‘अभी बात हो गयी है। हमने काफ़ी देर चर्चा की है। अधिक-से-अधिक पार्टियों को पूरे देश में एकजुट करने का प्रयास करना है। हम आगे एक साथ काम करेंगे, यह तय हो गया है।’
अभी तक विपक्ष को लेकर जो तस्वीर काफ़ी धुँधली दिख रही थी, उस पर से थोड़ा कोहरा इस बैठक के बाद छँटा ही है। निश्चित ही अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में विपक्षी एकता के प्रयास के लिहाज़ से इस मुलाक़ात को अहम माना जा सकता है। देखा जाए, तो हाल के महीनों में यह इस तरह की पहली ही बैठक है।
अप्रैल के पहले हफ़्ते में खडग़े ने नीतीश कुमार, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन और शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे से फोन पर बात की थी। माना जाता है कि इसमें राहुल गाँधी का सन्देश उन्हें दिया गया था। बैठक को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष खडग़े ने कहा- ‘हमने यहाँ ऐतिहासिक बैठक की है। बहुत-से मुद्दों पर चर्चा हुई है। हमने तय किया कि सभी पार्टियों को एकजुट कर और एक होकर आगे के चुनाव लड़ेंगे। हम सभी उसी रास्ते पर आगे चलेंगे।’
‘तहलका’ को मिली जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस और अन्य दल आने वाले समय में ऐसी और बैठकें करने वाले हैं। कर्नाटक के चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस और ये विपक्षी दल एक साझा रैली कर एकता का सन्देश देंगे। कांग्रेस के एक नेता ने इस संवाददाता को बताया कि खडग़े के आवास पर हुई बैठक में यह माना गया कि अभी तक भाजपा एकतरफ़ा दबाव बनाये हुए थी; लेकिन अब समय आ गया है कि उस पर साझा विपक्ष का मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया जाए। यह पहली ऐसी बैठक है, जिसमें देश के मौज़ूदा राजनीतिक हालात और अगले लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र विपक्षी दलों को एकजुट करने के संदर्भ में चर्चा की गयी। तेजस्वी यादव और बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह भी बैठक में अपनी बात कही।
याद रहे नीतीश कुमार हाल के महीनों में कांग्रेस से एक से ज़्यादा बार कह चुके हैं कि उसे विपक्ष की एकता की पहल करनी चाहिए। अब इसके शुरुआत हो गयी है। नीतीश कुमार को भरोसा है कि एकजुट विपक्ष भाजपा को मात दे सकता है। फरवरी में नीतीश कुमार ने इस बात पर ज़ोर दिया था कि यदि कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दल 2024 का लोकसभा चुनाव एकजुट होकर लड़ते हैं, तो भाजपा 100 सीटों से कम पर सिमट जाएगी।
आगे क्या होगा?
यह सभी विपक्षी दल अप्रैल के आख़िर में एक और बैठक करेंगे। इस दौरान खडग़े और नीतीश सभी से बात करेंगे और उन्हें साझा मंच में जुटने की अपील करेंगे। जानकारी के मुताबिक, बैठक में यह कहा गया कि जल्दबाज़ी में कुछ नहीं करके एक ठोस आधार बनाकर विपक्ष को जोड़ा जाये। खडग़े ने कहा कि सभी पार्टियों को एकजुट करना और एक होकर आगे जो चुनाव आएँगे, उस चुनाव में एकजुटता दिखाकर लडऩा, यही निर्णय हुआ है। उन्होंने कहा- ‘हम सब उसी रास्ते पर काम करेंगे। तेजस्वी जी, नीतीश जी सभी हमारे नेतागण जो यहाँ बैठे हैं। हम सब उसी लाइन पर काम करेंगे।’
इन नेताओं की रणनीति यह है कि जो नेता अगले एक पखवाड़े सहमत होते हैं, उनके साथ भी बात की जाए। बैठक में जिस तरह राहुल गाँधी ने नीतीश की तारीफ़ की उसके भी कई मायने हैं। राहुल ने कहा कि नीतीश जी विपक्ष को जोडऩे के लिए जो कर रहे हैं, उसके अच्छे नतीजे निकलेंगे। राहुल का कहना यह एक प्रक्रिया है और इसे आने वाले समय में विकसित किया जाएगा। साझे मंच के ज़रियेे विपक्ष का जो नज़रिया है, उसे विकसित करने की योजना पर विपक्ष काम कर रहा है।
हाल के दिनों में एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कुछ ऐसी बातें कही हैं, जिनसे विपक्ष की एकता पर भाजपा सवाल उठा रही है। शरद पवार के भतीजे और महाराष्ट्र के मंत्री रहे अजीत पवार ने हाल में प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ़ की थी। इसके बाद ईडी ने उनका और उनकी पत्नी सुनेत्रा का नाम एमएससी बैंक घोटाले की चार्जशीट में नहीं रखा है। ख़ुद शरद पवार ने कांग्रेस और विपक्ष की 19 पार्टियों की गौतम अडानी मामले में जेपीसी की माँग को $गलत बताया था। इसके बाद पवार को लेकर कई तरह की चर्चाएँ शुरू हो गयी थीं। हालाँकि पवार भाजपा के साथ जाएँगे, यह नहीं कहा जा सकता।