उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हलाल प्रमाण पत्र वाले खाद्य उत्पादों के भंडारण, उत्पादन, वितरण एवं बिक्री पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाते ही प्रदेश में राजनीतिक पारा चढ़ गया है। उत्तर प्रदेश सरकार के नये आदेश में कहा गया है कि अब प्रदेश में हलाल प्रमाण पत्र वाले उत्पाद प्रतिबंधित कर दिये गये हैं। अगर कोई हलाल उत्पादों की बिक्री करेगा, तो उसके विरुद्ध दण्डात्मक कार्रवाई की जाएगी। सरकार को कुछ कम्पनियों द्वारा नियमित उपयोगी उत्पादों को हलाल प्रमाणन करके बेचने की शिकायत मिली थी।
यह शिकायत शैलेंद्र शर्मा नाम के व्यापारी ने पहले लखनऊ के हज़रतगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराकर दी। उसके बाद सरकार तक इसकी शिकायत पहुँची। शिकायत में कहा गया है कि ये कम्पनियाँ डेयरी उत्पाद, साबुन, मसाले एवं कुछ अन्य दैनिक उपयोग की वस्तुओं को हलाल प्रमाण पत्र के साथ लोगों को बेच रही हैं, जो कि हलाल प्रमाण पत्र का अनुचित दुरुपयोग है। जन-भावना एवं जनता की आस्था से खिलवाड़ है। शिकायत में यह भी कहा गया कि ऐसा करने के पीछे कम्पनियों की मंशा विशेष प्रकार के उत्पादों की बिक्री बढ़ाने एवं अधिक लाभ कमाने की है।
एफआईआर के आधार पर हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड चेन्नई, जमीयत उलेमा-ए-हिन्द हलाल ट्रस्ट दिल्ली, हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया मुंबई एवं जमीयत उलेमा-ए-महाराष्ट्र मुंबई समेत कुछ अन्य कम्पनियों के विरुद्ध मुक़दमा दर्ज किया गया। इसके उपरांत हिन्दू सेना ने इन कम्पनियों के विरुद्ध दिल्ली में रिपोर्ट दर्ज करायी है। उत्तर प्रदेश में हलाल प्रमाणन वाले उत्पाद ज़ब्त किये जा रहे हैं। विदित हो कि भारत में पहली बार सन् 1974 में हलाल प्रमाणन का आरम्भ हुआ था।
आरोप-प्रत्यारोप
हलाल प्रमाण पत्र के दुरुपयोग से प्रदेश में राजनीतिक भूचाल आ गया है। राजनीतिक पार्टियों की ओर से प्रतिक्रियाएँ सामने आने लगी हैं। स्वयं भारतीय जनता पार्टी ने हलाल प्रमाण पत्र को धोखा बताया है। भारतीय जनता पार्टी के नेता एवं ग्राम पंचायत सदस्य संतोष कहते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ किसी भी तरह के धोखे, अपराध एवं अत्याचार के विरुद्ध क़ानून व्यवस्था दुरुस्त रखने वाले मुख्यमंत्री हैं। कुछ कम्पनियों द्वारा हलाल प्रमाण पत्र के दुरुपयोग का पता जैसे ही प्रदेश सरकार को चला, तत्काल हलाल प्रमाण पत्र पर रोक लगा दी गयी। इससे अधिक त्वरित कार्रवाई कहीं पर नहीं होती है। मगर फिर भी विपक्षी पार्टियाँ इसे लेकर राजनीति कर रही हैं, जो उनकी ओछी मानसिकता का प्रमाण है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासन में किसी भी नागरिक की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने की अनुमति किसी भी कम्पनी अथवा व्यक्ति को नहीं है। धार्मिक भावनाओं की रक्षा करना भारतीय जनता पार्टी का मूल मंत्र है।
विपक्षी समाजवादी पार्टी ने योगी आदित्यनाथ सरकार पर मिलावट करवाने का आरोप लगाते हुए कहा है कि योगी सरकार की नाक के नीचे हो रहे इस घपले पर क्या कार्रवाई हुई है? समाजवादी पार्टी के टिकट पर पिछले विधानसभा में चुनाव लड़ चुके ओम प्रकाश कहते हैं कि जिन कम्पनियों ने हलाल प्रमाण पत्र का दुरुपयोग किया है, उनके विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। इन कम्पनियों के कार्य प्रणाली की जाँच की जानी चाहिए। समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता विकास कहते हैं कि यह सब कुछ न्यायिक शासन चलाने का दावा करने वाली उस सरकार के नाक के नीचे से हो रहा था, जिसने अपने ऊपर स्वयं ही ईमानदारी की ठप्पा लगा रखा है। योगी सरकार की इस ईमानदारी की चादर में भ्रष्टाचार के बड़े-बड़े छेद हैं, जो दूर से ही दिखायी देते हैं; मगर योगी सरकार को वे दिखायी नहीं देते। क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के इन्हीं बड़े-बड़े छेदों से छनकर कालाधन आता है। मुख्यमंत्री योगी को सरकार चलानी नहीं आती। उन्हें एक ही काम आता है कि जब भी कोई आवाज़ उनके विरुद्ध उठे अथवा कोई दूसरे धर्म का व्यक्ति कहीं कुछ अनुचित मार्ग पर चलता मिले, तो उसके घर पर, व्यवसाय पर बुलडोजर चलवा दो। योगी सरकार को आम जनता की समस्याओं से कोई लेना-देना नहीं है। किसानों को न्याय नहीं मिलता है। छोटे एवं मध्यम दर्जे के व्यापारियों के धंधे चौपट पड़े हैं। प्रदेश के युवा रोज़गार को तरस रहे हैं। मनरेगा के तहत भी काम मिलना कम हो गया है। सडक़ों में गड्ढे-ही-गड्ढे हैं। औद्योगिक क्षेत्रों पर ताले लगते जा रहे हैं। गोवंश की कमी होती जा रही है। प्रदेश में दरिद्रता बढ़ रही है। सरकार के द्वारा केवल चंद पूँजीपतियों को लाभ पहुँचाया जा रहा है आमजन के हित में कोई कार्य नहीं हो रहा है।
अवहेलना पर होगी जेल
उत्तर प्रदेश में अब हलाल प्रमाण पत्र व्यर्थ हो चुका है। अगर अब कोई व्यापारी अपने किसी उत्पाद को हलाल प्रमाणन के साथ बेचता है, तो उसे जेल होने के अतिरिक्त आर्थिक दण्ड भी भरना पड़ सकता है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य की सीमा के भीतर हलाल प्रमाणन वाले उत्पादों पर हर प्रकार से संपूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है।
उत्तर प्रदेश सरकार के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रसाधन विभाग की आयुक्त अनीता सिंह द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि हलाल प्रमाण पत्र किसी उत्पाद की गुणवत्ता से सम्बन्धित नहीं है। ये उत्पाद की गुणवत्ता को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति ही पैदा करता है। आदेश में कहा गया है कि डेयरी उत्पादों, बेकरी उत्पादों, चीनी, खाद्य तेलों, पिपरमिंट तेल, तैयार खाद्य पदार्थों आदि की बिक्री के लिए हलाल प्रमाणन का उल्लेख किया जाना ग़लत है एवं इसे अवैध माना जाएगा। आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि उत्तर प्रदेश राज्य की सीमा में हलाल प्रमाणन युक्त खाद्य उत्पादों के निर्माण, भण्डारण, वितरण एवं विक्रय पर (दूसरे देशों में निर्यात हेतु उत्पादित खाद्य पदार्थ को छोडक़र) तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया गया है।
बिहार में गरमायी राजनीति
उत्तर प्रदेश में हलाल प्रमाणन वाले उत्पादों पर प्रतिबंध लगने के उपरांत पड़ोसी राज्य बिहार में हलाल प्रमाण पत्र वाले उत्पादों को लेकर राजनीति गरमा गयी है। आमजनों का एक वर्ग एवं भारतीय जनता पार्टी के लोग हलाल प्रमाणन वाले उत्पादों को प्रतिबंधित करने की माँग कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के नेता एवं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर इसकी माँग की है।
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने अपने पत्र में कहा है कि जिन उत्पादों का इस्लाम से कोई सम्बन्ध नहीं है, हलाल प्रमाणन के माध्यम से उन वस्तुओं का इस्लामीकरण हो रहा है। इसलिए इसे प्रदेश में शीघ्रता से रोका जाना चाहिए। हलाल एक अरबी शब्द है, जिसे मुस्लिम वैध मानते हैं एवं हराम शब्द को मुस्लिम अवैध मानते हैं। हलाल शब्द मांस के संदर्भ में अधिक प्रचलित हुआ है; मगर मुस्लिम समाज चाय, पनीर, चीनी, नमकीन, टीवी तक को हलाल प्रमाणन के साथ बेच रहा है, जो बाज़ार का इस्लामीकरण करने का प्रयास है। मीडिया सर्वेक्षण बताते हैं कि मुस्लिम लोग हलाल प्रमाणन में केवल एक उत्पाद पर 50,000 से 1,00,000 रुपये तक लेते हैं। इस प्रकार ये लोग हलाल प्रमाणन के माध्यम से 2.5 मिलियन रुपये का आर्थिक लाभ अनैतिक रूप से ले रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के बयान पर जद(यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा है कि गिरिराज सिंह को कोई काम नहीं है। गिरिराज सिंह ने जो लिखा है, वही जानें। बिहार में सभी धर्मों का सम्मान होता है और सभी धर्मों का सम्मान होगा। बिहार में सांप्रदायिक और सामाजिक सद्भाव बना रहेगा। बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव इस बारे में कहते हैं कि कुछ लोग केवल हिन्दू-मुसलमान करते हैं। उनका हलाल प्रमाण पत्र वाले उत्पादों पर टीका-टिप्पणी करना ठीक है। यही तो फ़र्क़ है उन (भाजपा के) लोगों में एवं हम लोगों में। हम लोग ग़रीबी मिटाने, रोज़गार देने और विकास करने की बात करते हैं। लोगों का पेट नौकरी देने एवं विकास करने से भरेगा, राजनीति से नहीं।
न्यायालय जाएगा हलाल ट्रस्ट
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हलाल प्रमाणन वाले उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने से जमीयत उलेमा-ए-हिन्द हलाल ट्रस्ट एवं कई मुस्लिम संगठन सरकार से नाराज़ हैं। जमीयत उलेमा-ए-हिन्द हलाल ट्रस्ट ने इस मामले को लेकर न्यायालय में जाने का मन बनाया है। हलाल ट्रस्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी नियाज़ अहमद फ़ारूक़ी ने कहा है कि वह योगी सरकार के इस आदेश के विरुद्ध न्यायालय जाएँगे। उनका कहना है कि हलाल प्रमाण पत्र वाले उत्पादों पर प्रतिबंध लगाना ठीक नहीं है। यह व्यक्तिगत व उत्पाद बनाने वालों की इच्छा है कि वे जो उत्पाद बना रहे हैं, वो ग्राहकों के अनुरूप, किस तरह से सही हैं।
जमीयत उलेमा-ए-हिन्द हलाल ट्रस्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी नियाज़ अहमद फ़ारूक़ी ने कहा कि हलाल ट्रस्ट में प्रमाणन प्रक्रिया भारत में निर्यात के उद्देश्यों और घरेलू वितरण दोनों के लिए निर्माताओं की आवश्यकताओं के अनुरूप है। हलाल प्रमाणित उत्पादों की वैश्विक माँग मज़बूत है एवं भारतीय कम्पनियों के लिए ऐसा प्रमाणन प्राप्त करना अनिवार्य है। यह तथ्य हमारे वाणिज्य मंत्रालय द्वारा भी निर्दिष्ट है। हलाल प्रमाणन से उपभोक्ता अपनी इच्छा से निस्संकोच अपने मनपसंद उत्पादों का उपयोग कर पाते हैं। इससे देश को आर्थिक रूप से लाभ भी पहुँचता है। योगी सरकार द्वारा हलाल प्रमाणन वाले उत्पादों पर प्रदेश में प्रतिबंध से कई मुस्लिम संगठन भी सरकार से नाराज़ हैं। मुस्लिम संगठनों ने सरकार से प्रदेश में हलाल प्रमाणन वाले उत्पादों की बिक्री पर लगे प्रतिबंध को हटाने की माँग की है। समाजवादी पार्टी के सांसद डॉ. शफ़ीक़ुर्रहमान बर्क़ ने सरकार के इस आदेश को ईष्र्यापूर्ण बताया है। उन्होंने कहा है कि इनके (योगी के) फैसले हमेशा नफ़रत से भरे होते हैं। इनकी सरकार की योजना नफ़रत भरी है। ये मुसलमानों के ख़िलाफ़ हैं। मुसलमान इनसे डरेंगे नहीं। मुसलमान इनसे संतुष्ट नहीं हैं। यह देश सबका है; हमारा भी है।