इस वर्ष रबी की फ़सलों का बेमौसम की वर्षा एवं ओलावृष्टि ने तो बर्बाद किया ही, अब किसानों को गेहूँ का कम भाव रुला रहा है। इस वर्ष गेहूँ का सरकारी भाव 110 रुपये प्रति कुंतल के साथ 2,125 रुपये प्रति कुंतल खुला है। सरकारी क्रय केंद्रों पर 15 जून, 2023 तक गेहूँ की ख़रीद की जाएगी, जो 01 अप्रैल से चल रही है। मगर समस्या यह है कि इसत बार गेहूँ का दाना मर गया है। केवल 40 प्रतिशत गेहूँ ही ठीक हुआ है।
इसके चलते सरकारी ख़रीद केंद्रों पर जहाँ मरे हुए दाने का गेहूँ लेने में आनाकानी हो रही है, वहीं उसे व्यापारी भी 1,600 रुपये से लेकर 1,650 रुपये प्रति कुंतल ही लेने पर राज़ी हो रहे हैं। हालाँकि सरकार की ओर से सरकारी क्रय केंद्रों के लिए मरे हुए दाने का गेहूँ न ख़रीदने का कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं हुआ है, जिसके चलते किसानों को कुछ राहत है। मगर जिन किसानों को मजबूरी में निजी व्यापारियों को गेहूँ बेचना पड़ रहा है, उन्हें अच्छे दाने के गेहूँ के भाव तो सरकारी क्रय केंद्रों से भी अच्छे 2,200 रुपये प्रति कुंतल के मिल रहे हैं। मगर जिस गेहूँ का दाना मरा हुआ है, उसके भाव व्यापारी मनमाने लगा रहे हैं।
इधर सरकारी क्रय केंद्रों पर तौल में देरी एवं कहीं-कहीं गड़बड़ी की शिकायतें मिली हैं। हालाँकि क्रय केंद्र के कर्मचारियों का कहना है कि किसानों का हर तरह से सहयोग किया जा रहा है। हर प्रकार के गेहूँ को सरकार द्वारा तय भाव में ख़रीदा जा रहा है। इस बार पारदर्शिता के लिए किसानों के मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी पिन आ रहा है, जिससे उन्हें पता चल सके कि उनकी उपज की ख़रीदी हो चुकी है। इसके साथ ही उन्हें यह भी सुनिश्चित कराया जा रहा है कि उनके गेहूँ की तौल उनके सामने हो।
ओमपाल नाम के एक निजी गेहूँ क्रेता व्यापारी ने बताया कि किसानों को जो भाव सरकारी क्रय केंद्र पर मिल रहा है, उससे अच्छा भाव गेहूँ के निजी क्रेता नक़द दे रहे हैं, जिसके चलते किसान सरकारी क्रय केंद्र पर नहीं जा रहे हैं। इस बार अधिकतर मरे हुए दाने का गेहूँ सरकारी क्रय केंद्र पर अधिक पहुँच रहा है, क्योंकि उसका भाव निजी स्तर पर क्रय करने वाले व्यापारी कम दे रहे हैं। अभी हम लोग अच्छा गेहूँ 2,200 रुपये प्रति कुंतल से लेकर 2,250 रुपये प्रति कुंतल तक ख़रीद रहे हैं। मरे हुए दाने के गेहूँ का भाव 1,500 रुपये प्रति कुंतल से लेकर 1,800 रुपये प्रति कुंतल चल रहा है। इस गेहूँ को सरकारी क्रय केंद्रों पर तो सरकार द्वारा तय भाव पर ख़रीदा जा रहा है, मगर हम अगर उस भाव में लेंगे, तो हमें हानि होगी।
भौजीपुरा क्षेत्र के ग्राम बलिया के किसान तुलसी राम कहते हैं कि किसान होना अपराध जैसा हो गया है। किसानों को एक ओर से प्रकृति मारती है, तो दूसरी ओर से सरकार एवं व्यापारी मारते हैं। सरकार कृषि उपज का सही मूल्य तय नहीं करती, वहीं व्यापारी उससे भी कम में उपज का भाव देते हैं। यह केवल गेहूँ की बात नहीं है, हर उपज के भाव इसी तरह किसानों को रुलाते हैं।
ग्राम जालिम नगला निवासी नत्थूलाल किसान कहते हैं कि बड़ी किसानी में तो लाभ है, मगर छोटे किसानों को सदैव परेशानी का सामना करना पड़ता है। मगर उत्तर प्रदेश में छोटी जोत के किसानों की संख्या अधिक है। जब कोई प्राकृतिक आपदा आती है, तो छोटे किसानों को कुछ नहीं बचता। बड़े किसानों को हानि तो बड़ी होती है, मगर फिर भी उन्हें कुछ-न-कुछ पैदावार मिल जाती है। इस बार गेहूँ एवं दूसरी रबी की फ़सलों में जो हानि हुई, उससे भी छोटी जोत के किसानों की दशा बिगड़ी है। किसानों को अगर इस हानि के बदले कुछ मुआवज़ा मिल जाता, तो किसानों को रोना नहीं पड़ता।