पाकिस्तान में इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया है। साथ ही डिप्टी स्पीकर ने सदन की कार्यवाही को 25 अप्रैल तक स्थगित कर दिया गया है। संविधान का हवाला देते हुए इमरान खान पहले ही उनके खिलाफ विदेशी साजिश का हवाला दे चुके हैं। इमरान खान ने इसके बाद देश को सम्बोधित करते हुए कहा कि संसद सहित देश की सभी असेम्ब्लीज़ भंग कर दी जाएंगी। इमरान ने इसकी सलाह राष्ट्रपति को की है, जिससे नए चुनाव का रास्ता साफ़ हो जाएगा। सेना की तरफ से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। विपक्ष ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का ऐलान किया है।
पाकिस्तान की 342 सदस्यों वाली नेशनल असेंबली में बहुमत के लिए 172 सीटें चाहिए होती हैं। अविश्वास प्रस्ताव से पहले नवाज़ शरीफ की बेटी मरियम नवाज़ भी काफी सक्रिय दिखीं। उन्होंने दावा किया कि विपक्ष के पास 174 सांसदों का समर्थन है। अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले आज सुबह पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में हुई विपक्ष की मीटिंग में 177 सांसदों ने हिस्सा लिया था। बता दें सरकार में इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) की प्रमुख सहयोगी मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट-पाकिस्तान (एमक्यूएम-पी) ने उनसे किनारा कर लिया था। दो दर्जन के करीब सांसद पहले ही इमरान के खिलाफ वोट का संकेत दे चुके थे।
उधर अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले असेंबली स्पीकर को हटाने का प्रस्ताव विपक्ष की तरफ से पेश किया गया। इस बीच इमरान खान ने पंजाब के राज्यपाल चौधरी मोहम्मद सरवर को उनके पद से हटा दिया। राज्यपाल को हटाने की घोषणा इमरान खान की सरकार में सूचना मंत्री फवाद खान ने ट्विटर के जरिए की। हालाँकि, राज्यपाल को हटाने के उन्होंने कोई कारण नहीं बताया, लेकिन माना जा रहा है कि पंजाब विधानसभा में भी बहुमत साबित करने की प्रक्रिया चल रही है और इसी प्रभावित करने की उन्होंने कोशिश की है।
इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव से पहले संसद के आसपास के रेड जोन वाले इलाकों को सील कर हजारों सैनिकों की तैनाती कर दी गयी। आज सुबह इस्लामाबाद में एहतियातन धारा 144 भी लागू कर दी गयी।
याद रहे पाकिस्तान के 73 साल से ज्यादा के इतिहास में आधे से ज्यादा समय तक ताकतवर सेना हुकमूत पर काबिज रही है। यहाँ तक कि सेना के सत्ता में न होते हुए भी उसका देश की सुरक्षा और विदेश नीतियों में दखल रहता है।
इमरान खान ने शनिवार को देश के युवाओं से अपील की थी कि वे उनकी सरकार के खिलाफ कथित ‘विदेशी षड्यंत्र’ के खिलाफ ‘शांतिपूर्ण प्रदर्शन’ करें, लेकिन सेना के खिलाफ न बोलें। हालांकि, सड़कों पर उनकी अपील का कोई असर नहीं दिखा था। खान ने वर्तमान घटनाओं को देश के ‘भविष्य के लिए युद्ध’ करार देते हुए कहा था कि पाकिस्तान ‘निर्णायक मोड़’ पर खड़ा है और दश की सेना को फैसला करना होगा।