मध्य प्रदेश में व्यापमं घोटाले के बाद अब महाकालेश्वर कॉरिडोर में भी उजागर हुआ शिवराज सरकार का घपला
आस्था के नाम पर महाकालेश्वर कॉरिडोर में हुआ कथित घोटाला हिन्दुत्व की अगुवा पार्टी भारतीय जनता पार्टी का हिन्दुओं से एक बड़ा छल है। मध्य प्रदेश के उज्जैन में जब श्री महाकालेश्वर लोक का लोकार्पण हुआ, तब भारतीय जनता पार्टी ने इसे हिन्दुओं के वोट बैंक पाने के लिए खुलकर प्रचार का ज़रिया बनाया और वर्षों से महाकालेश्वर में आस्था रखने वालों से छल किया। ख़ुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 अक्टूबर, 2022 को इसका लोकार्पण किया।
856 करोड़ रुपये की लागत से तैयार होने वाले इस कॉरिडोर का महिमामंडन करने वाले भाजपाई अब ख़ामोश हैं, क्योंकि बीती 28 मई को हल्की-सी आँधी ने इस कॉरिडोर में हुए कथित घोटाले की पोल खोल दी। व्यापमं घोटाले में सने शिवराज सिंह के चेहरे पर महाकालेश्वर कॉरिडोर के कथित घोटाले की सियाही आ गिरी है।
भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की एक ख़ासियत है कि जब उनकी सरकारों में कुछ ग़लत होता है, तो उस पर चुप्पी साध लेते हैं। यहाँ शिवराज सिंह सरकार की जब विधानसभा से लेकर आम जनता तक में इस कथित घोटाले पर उँगलियाँ उठीं, तो मध्य प्रदेश के लोकायुक्त ने उज्जैन कलेक्टर और दो आईएएस समेत 15 लोगों- उज्जैन कलेक्टर और स्मार्ट सिटी के अध्यक्ष आशीष सिंह, उज्जैन स्मार्ट सिटी के तत्कालीन सीईओ क्षितिज सिंह और तत्कालीन आयुक्त अंशुल गुप्ता, उज्जैन स्मार्ट सिटी के नामित निदेशक सोजन सिंह रावत, दीपक रत्नावत, स्वतंत्र निदेशक श्रीनिवास नरसिम्हा राव पांडुरंगी, स्मार्ट उज्जैन के मुख्य परिचालन अधिकारी आशीष पाठक, तत्कालीन मुख्य परिचालन अधिकारी जितेंद्र सिंह चौहान एवं अन्य अधिकारियों समेत कुछ इंजीनियरों को नोटिस जारी करके इतिश्री कर ली।
इस घपले की जाँच तो होनी ही चाहिए। 10 से 25 फुट ऊँची मूर्तियाँ एक हल्की आँधी में चकनाचूर क्यों हो गयीं? यह ख़ुलासा अब हुआ। दरअसल फाइबर रेनफोर्स प्लास्टिक इन मूर्तियों को बनाया गया था। इन मूर्तियों को बनाने का ज़िम्मा गुजरात की एमपी बाबरिया फर्म को मिला था, पर शिवराज सिंह सरकार इस फर्म के नाम कार्रवाई करने के बजाय आँधी को ही दोष देने की कोशिश कर रही है।
भारतीय जनता पार्टी हर काम में किस तरह घपले करती है, यह महाकालेश्वर कॉरिडोर में मूर्तियों के क्षतिग्रस्त होने ने ही नहीं बता दिया, बल्कि नये संसद भवन के उद्घाटन वाले दिन वहाँ भी मूर्तियों के गिरना भी इसका एक अनोखा उदाहरण है। पहले तो संसद भवन में मूर्ति लगाने का कोई औचित्य एक लोकतांत्रिक देश में है ही नहीं। पर ऐसा किया भी, तो उसमें भी घपले से न चूकना यह बताता है कि भारतीय जनता पार्टी ने हर जगह लूट मचा रखी है।
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने ट्वीट में लिखा कि ‘भगवान महाकाल समस्त हिन्दू समाज की आस्था का केंद्र हैं। जिस तरह से महाकालेश्व लोक में सप्त ऋषि की मूर्तियाँ गिरीं और अब अन्य देव प्रतिमाओं को नुक़सान पहुँचने के समाचार भी सामने आ रहे हैं, वैसे में शिवराज सरकार का रवैया पूरी तरह मामले की लीपापोती करने का नज़र आ रहा है। मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जाँच कराने के बजाय शिवराज सरकार के मंत्री बिना जाँच के ही अपनी सरकार को क्लीन चिट दे रहे हैं। कांग्रेस पार्टी ने पहले ही अपना रुख़ स्पष्ट कर दिया है कि महाकालेश्वर लोक घोटाले की जाँच हाईकोर्ट के किसी वर्तमान न्यायाधीश से करायी जाए। अगर सरकार कांग्रेस की यह माँग स्वीकार नहीं करती, तो जनता में स्पष्ट संदेश जाएगा कि शिवराज सरकार की मानसिकता हिन्दुओं की आस्था पर चोट करने की और घोटालेबाज़ों को पूर्ण संरक्षण देने की है।’
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने ट्वीट में लिखा कि ‘ऐसी कोई योजना नहीं है, जिसमें भाजपा ने भ्रष्टाचार न किया हो। उज्जैन के महाकुंभ में घटिया निर्माण किया और अब 750 करोड़ रुपये से बना महाकालेश्वर लोक कॉरिडोर, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री ने किया, उसकी मूर्तियाँ तेज़ हवा में ही गिर गयीं। अब इससे बड़ा प्रमाण क्या हो सकता है? क्या मोदी जी प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह से घटना का स्पष्टीकरण लेंगे? मध्य प्रदेश में कोई भी योजना नहीं है, जिसमें भ्रष्टाचार न हुआ हो। अब महाकालेश्वर के नाम पर भी भाजपा पैसे खा गयी।’ इस घटना के बाद में महाकालेश्वर कॉरिडोर का एक कलश गिरने के बाद दिग्विजय सिंह ने एक दूसरे ट्वीट में लिखा- ‘अब महाकाल मंदिर का कलश भी अपने आप गिर गया!! बिना हवा के झोके के!! और कितना प्रमाण दें ञ्चक्कड्ड4ष्टरू रूह्म् ८०त्न के भ्रष्टाचार के? हमारी माँग है ठेकेदार को गिरफ़्तार करो।’
पर्दा डालने की कोशिश
महाकालेश्वर कॉरिडोर में मूर्तियाँ टूटने पर यह प्रचार किया जा रहा है कि इन मूर्तियों को गुजरात, ओडिशा तथा राजस्थान के कलाकारों ने बनाया था। पर न तो उस फर्म का नाम लिया जा रहा है, जो गुजरात की थी और न यह कहा जा रहा है कि कारीगर इसमें क्या कर सकते हैं। उन्हें जो प्लास्टिक मैटेरियल उपलब्ध कराया गया, उन्होंने उस मैटेरियल की मूर्तियाँ तैयार कर दीं। कार्रवाई तो मूर्तियों को बनाने के लिए ज़िम्मेदार एमपी बावरिया फर्म और शिवराज सिंह सरकार पर होनी चाहिए।
कुल 856 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले श्री महाकालेश्वर लोक में लगभग 160 मूर्तियाँ लगायी गयीं, जिनमें प्रांगण में लगी सात ऋषियों की मूर्तियों में से छ: गिरकर टूट गयीं। मूर्तियाँ इतनी हल्की हैं कि इतनी बड़ी मूर्तियों को कोई भी उठा सकता है। यही नहीं महाकालेश्वर कॉरिडोर में घटिया गुणवत्ता की एक पार्किंग भी बनी है। इस पार्किंग को जाँच अधिकारियों ने जाँच के बिना ही मंज़ूरी दे दी।
हास्यास्पद यह है कि लोकायुक्त ने जिन लोगों को नोटिस जारी किया है, उनसे 28 अक्टूबर तक जवाब देने को कहा गया है। इसका अर्थ है कि इस घपले से बचने के लिए नोटिस पाने वालों के पास कहानी गढऩे के लिए पर्याप्त समय है और शिवराज सिंह सरकार को घपले के सुबूत मिटाने का मौक़ा मिल गया है।
डबल इंजन सरकार की हक़ीक़त
भारतीय जनता पार्टी के लोग अक्सर राज्यों में जाकर कहते हैं कि डबल इंजन की सरकार दोगुना विकास करेगी। बड़े-बड़े होर्डिंग और हर रोज़ अख़बारों में छपने वाले मध्य प्रदेश सरकार के विज्ञापन भी प्रदेश में विकास के अनेक दावे करते हैं, पर सच्चाई यह है कि शिवराज सरकार से प्रदेश की जनता ख़ुश नहीं है। एक महीने पहले तक जिस महाकालेश्वर कॉरिडोर को देख देखकर हिन्दू ख़ुश हो रहे थे, वहाँ अपनी आस्था के फूल अर्पित कर रहे थे, शिवराज सिंह सरकार ने हिन्दुओं की उसी आस्था से छल किया है।
देश के सबसे बड़े कॉरिडोर में से एक 900 मीटर (लगभग एक किलोमीटर) लम्बे श्री महाकालेश्वर लोक का निर्माण इतनी जल्दबाज़ी में हुआ कि यहाँ लगे कई बिजली के खम्भे भी इस हल्की-सी आँधी में उखड़ गये थे। मुख्य द्वार भी क्षतिग्रस्त हुआ। नक़्क़ाशीदार कमूरे टूटकर गिर गये। डबल इंजन की शिवराज सरकार के विकास का हाल यह है कि जिस नल से जल योजना के प्रचार-प्रसार में सरकार ने करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा दिये, उस योजना के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। दर्ज़नों गाँवों के लोगों को पीने का पानी तक ठीक से नहीं मिल रहा है।
कथित घोटालों की लम्बी फ़ेहरिस्त
शिवराज सरकार पर दो-चार नहीं, बल्कि दर्ज़नों घोटालों के आरोप हैं। शिवराज सिंह पर आरोप है कि उन्होंने अपने कुल 18 साल के कार्यकाल में जमकर घोटाले किये हैं। इन घोटालों में महिला एवं बाल विकास विभाग में हुआ पोषण आहार घोटाला शामिल है, जिसमें 2,8,39,68,000 (2 अरब, 8 करोड़, 29 लाख, 68 हजार) रुपये का ख़र्च किया गया।
इसी तरह टेक होम राशन वितरण में भी शिवराज सरकार पर घोटाले का आरोप है। इसके अलावा व्यापमं घोटाला, डंपर घोटाला, सिंहस्थ घोटाला, गृह निर्माण समिति घोटाला, ई-टेंडर घोटाला, रेत घोटाला, नर्मदा परिक्रमा घोटाला, प्याज घोटाला, बुंदेलखंड पैकेज घोटाला, उद्यानिकी घोटाला, प्लांटेशन घोटाला, चावल घोटाला, आटा घोटाला, त्रिकूट चूर्ण घोटाला, खासगी होलकर ट्रस्ट घोटाला, बिजली ख़रीदी घोटाला, फ़र्ज़ी बिजली बिल घोटाला, ट्रांसफर-पोस्टिंग घोटाला, शराब घोटाला, शासकीय ख़रीदी में घोटाला, पीपीई किट घोटाला, मध्याह्न भोपाल घोटाला, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि घोटाला, सौभाग्य योजना घोटाला, प्रधानमंत्री कृषि विकास योजना घोटाला, बायो-फर्टिलाईजर घोटाला, किसानों की सब्सिडी हड़पने का घोटाला और प्रवासी मज़दूर खाना घोटाला जैसे अनेक घोटालों के कथित आरोप भी शिवराज सिंह सरकार पर लग चुके हैं। कांग्रेस विधायक और पूर्व वित्त मंत्री तरुण भनोट ने पिछले दिनों कहा था कि उन्होंने शिवराज सरकार के लगभग 400 घोटालों की सूची बनायी है, इस फ़ेहरिस्त को विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस जनता तक पहुँचाएगी।