हरिद्वार से दिल्ली चली किसान क्रांति यात्रा को दिल्ली पुलिस ने गाजीपुर बॉर्डर पर रोक लिया। दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल ने किसानों को दिल्ली आने से रोके जाने की कड़ी निंदा की। वे किसान चाहते थे कि उन्हें किसान घाट जाने दिया जाए। जहां वे पूर्व किसान नेता चौधरी चरण सिंह को श्रद्धांजलि देकर अपनी मांगों को रखेंगे। दिल्ली पुलिस कमिश्नर खुद पुलिसिया बदोबस्त देख कर लौटे। अतिरिक्त पुलिस आयुक्त ने लाउडस्पीकर से तैनात जवानों से कहा, किसान बैरीकेड तोडऩे की कोशिश करेंगे। हर परिस्थिति से निपटने के लिए अलर्ट रहें।
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के बैनर तले शुरू यात्रा 23 अक्तूबर को हरिद्वार से चली। राह में जितने भी गांव पड़े उनसे भी किसान उठे और जुलूस में शरीक हो गए। दिल्ली बॉर्डर पर पहुंचे। किसानों की तादाद लाख के आसपास बताई गई। बादलों की तरह आगे बढ़ते, डंडे-झंडे लिए किसानों ने नाराज होकर बैरीकेड तोड़े। दिल्ली पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। लाठीचार्ज भी किया और हवाई फायर भी किया।
दिल्ली बार्डर पर रोके जाने पर भाकियू के अध्यक्ष और पूर्व किसान नेता महेेंंद्र सिंह टिकैत के पुत्र नरेश टिकैत ने पुलिस कार्रवाई का विरोध किया। उन्होंने कहा कि किसान को दिल्ली यानी अपने ही देश की राजधानी मेें प्रवेश करने से क्यो रोक रही है यह सरकार। किसानों की रैली 23 सितंबर से लगातार दिल्ली सीमा तक पूरी तौर पर शांति से आई है। अब इसे रोक दिया गया है। समस्याओं और मांगों को यदि किसान अपनी सरकार से बात करके नहंी कहेंगे तो किससे कहेंगे? क्या हम बांग्लादेश या पाकिस्तान जाएं।
पूरा देश दो अक्तूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती हर साल मनाता है। इस साल तीसरी बार किसानों ने दो अक्तूबर को दिल्ली में लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर उन्हें उनकी समाधि किसान घाट पर श्रद्धांजलि देने और केंद्र सरकार को अपनी मांगें सौंपने आ रहा था। वे किसान घाट इसलिए जाना चाहते थे क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री ने ही पाकिस्तान के साथ हुई लड़ाई के दौरान जय जवान और जय किसान का नारा दिया था। जवानों ने पाकिस्तान पर जीत हासिल की और किसानों ने कृषि में खूब मेहनत की।
आज उन्हीं किसानों को देश की राजधानी में अपने पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि देने से रोकने का हुक्मनामा जारी करने वाली सरकार का जम कर विरोध किया। किसान क्रांति मोर्चा की एक बुलेटिन में दिल्ली पुलिस की कार्रवाई की निंदा की गई है। केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री और किसान कल्याण विभाग देखने वाले गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से किसान नेताओं ने अपनी मांगों के संबंध में बात कर ली है। उनकी सात मांगें मान ली गई हैं।
किसान आंदोलन आयोजित करने वाले भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के अनुसार किसानों और मंत्री से बात तो हुई लेकिन उनकी किसी मांग को माना नहीं गया। सिर्फ आश्वासन मिला जिसे वे नहीं मानते। खास कर न्यूनतम बिक्री दर (एमएसपी) और एक बारगी तमाम कजऱ् ऋणों की माफी। कुल 11 मुद्दों पर बात हुई। सरकार ने सात पर विचार करने की बात कही। उन्होंने कहा कि चूंकि वित्त का मामला मांग के साथ जुड़ा हुआ है इसलिए यह वित्तीय मामला है। उन्होंने बताया कि इन मुद्दों पर वे आपस मेें बात करके ही फिर बात करेंगे।
अहिंसा के अंतरराष्ट्रीय दिन, महात्मा गांधी की 150वीं जयंती समारोह, पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर किसानों पर पुलिस अत्याचार की कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने निंदा की है। अब किसान भी अपनी पीड़ा नहीं जता सकते। शांतिपूर्ण तरीके से ये निहत्थे किसान राजघाट और किसानघाट जाना चाह रहे थे। लेकिन दिल्ली उत्तरप्रदेश सीमा पर गाजीपुर में ही उन्हें रोक दिया गया। उन्हें तितर बितर करने के लिए उन पर लाठियां बरसाई गई। पानी की बौछारें छोड़ी गई, हवाई फायर किए गए। बूढ़े, और बच्चों पर भी रहम नहीं किया गया। जनता दल (एकी) के केसी त्यागी ने भी निंदा की।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा किसानों को दिल्ली मे जाने देना चाहिए। किसान भी इसी देश के नागरिक हैं। दिल्ली हर किसी की है। किसानों को दिल्ली में न घुसने देना गलत है। उनकी मांगें वैध हैं। उन्हें माना जाना चाहिए। हम किसानों के साथ हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी किसानों की रैली को समर्थन दिया।
इसी साल मार्च में 35 हजार से ज्य़ादा किसानों ने इसी साल कड़ी धूप मेें अपनी मांगों के पक्ष में नासिक से मुंबई तक की पद यात्रा की थी। उन्हें राज्य सरकार से भरोसा दिला कर वापस भेज दिया गया। लेकिन वह युद्ध अब भी जारी है।
जय जवान, जय किसान सारी सीमाएं सील, कब तक?
निहत्थे किसानों पर हवाई फायर, आंसू गैस, पानी की बौछार और लाठी चार्ज उस दिन किया गया जब किसान गांधी-शास्त्री जंयती पर श्रद्धांजलि देने किसान घाट पर जाना चाहते थे। पहले से तय इस आंदोलन में शामिल किसानों को दिल्ली सीमा पर ही रोक दिया गया।
नाराज किसानों ने बैरीकेड तोडे। कई घायल हुए। आंदोलन जारी रखने का फैसला लिया।
पश्चिमी उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब से आए 70 हजार से ऊपर दिल्ली में विरोध जताने पहुंचे किसानों को पुलिस ने दिल्ली उत्तरप्रदेश सीमा पर आंसू गैस, वाटर कैनन से पानी की तेज बौछारें फंैक कर, लाठी चार्ज करके रोक दिया।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की जंयती के मौके पर वे किसान घाट जाकर अपना प्रदर्शन शुरू करना चाहते थे। क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री ने जय जवान,जय किसान का नारा दिया था। लेकिन भाजपा नेतृत्व की एनडीए सरकार अपने ही वादे पूरे नहीं कर पा रही। विपक्षी दलों ने राष्ट्रपिता और पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के जन्मदिन पर निहत्थे किसानों पर दिल्ली में न आने देने के लिए पुलिस कार्रवाई उत्तरप्रदेश और केंद्र सरकार की मिलीजुली साजिश मानते हुए निंदा की है। किसानों में गोंडा, बस्ती, गोरखपुर और पूर्वी उत्तरप्रदेश और बिहार से भी किसान आए थे। पश्चिम उत्तरप्रदेश के गन्ना उत्पादक किसान इस आंदोलन में थे।