वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को अवमानना के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक रूपये जुर्माने की सजा सुनाई है। सुप्रीम कोर्ट ने भूषण को 15 सितंबर तक एक रुपये का जुर्माना जमा कराने को कहा है और ऐसा नहीं करने की सूरत में उन्हें तीन महीने की सजा हो सकती है और तीन साल तक वकालत पर रोक लग जाएगी।
सर्वोच्च न्यायालय की जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने कहा कि भूषण ने अपने बयान को पब्लिसिटी दिलाई उसके बाद कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लिया। कोर्ट ने फैसले में भूषण के कदम को सही नहीं माना। याद रहे 24 अगस्त को भूषण ने माफी मांगने से इंकार किया था।
अब बेंच ने वरिष्ठ वकील भूषण को अवमानना के मामले में एक रूपये जुर्माने की सजा सुनाई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सजा में भूषण को 15 सितंबर तक एक रुपये का जुर्माना जमा कराने को कहा है और ऐसा नहीं करने की सूरत में उन्हें तीन महीने की सजा हो सकती है और तीन साल तक वकालत पर रोक लग जाएगी।
प्रशांत भूषण ने अपना जवाब दाखिल करते हुए कहा था कि वह अपने ट्वीट के लिए माफी नहीं मांगेगे। अगले दिन बेंच ने फैसले से पहले प्रशांत को अपने फैसले पर पुनर्विचार के लिए 30 मिनट का समय दिया था।
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता केके वेणुगोपाल ने कोर्ट से भूषण को भविष्य के लिए चेतावनी देकर छोड़ने का सुझाव दिया था। दूसरी तरफ भूषण का पक्ष रख रहे राजीव धवन ने अपने मुवक्किल का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने कोई मर्डर या चोरी नहीं की है, लिहाजा उन्हें शहीद न बनाया जाए।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 14 अगस्त को भूषण को न्यायापालिका के खिलाफ उनके दो ट्वीट को आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रशांत भूषण ने पूरे सुप्रीम कोर्ट के कार्यप्रणाली पर हमला किया है और अगर इस तरह के हमले को सख्त तरीके से डील नहीं किया जाता है तो इससे राष्ट्रीय प्रतिष्ठा और ख्याति प्रभावित होगा।
इसके बाद देश भर में प्रशांत के पक्ष और खिलाफ लोगों और समूहों ने अपने विचार व्यक्त किये थे। बहुत से लोगों ने प्रशांत को लेकर कोर्ट के फैसले परसवाल उठाये थे जबकि अन्य ने कोर्ट का समर्थन किया था।