देशभर में लॉकडाउन लागू है और कोरोना वायरस के मामले भी बढ़ रहे हैं, पर चिंता किसे है। कानून के जानकार से लेकर सत्ता के नशे और भक्ति में चूर लोग पाबंदियों की लगातर धज्जियां उड़ा रहे हैं। इसमें चाहे तब्लीगी जमाती हों, बीजेपी के सत्ताधारी हो या श्रद्धालु किसी को कमतर जिम्मेदार नहीं माना जा सकता।
अब लगता है प्रदेश की सरकारें भी अपनी-अपनी ताकत का इजहार कर रही हैं। पहले गुजरात सरकार गुजरातियों को लाने खास व्यवस्था करती है। इसके बाद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ लॉकडाउन तोड़ पूजा पाठ में भाग लेने के बाद दिल्ली से मजदूरों को लाने के लिए बसों का इंतजाम किए जाने का ऐलान करते हैं, पर तादाद कहीं ज़्यादा होने से उसपे पानी फिर जाता है।
फिर, शायद इसकी भरपाई के लिए राजस्थान के कोचिंग सेंटर कोटा से अमीरों के फंसे हज़ारों बच्चों को लाने के लिए एसी और गैर एसी बसों का इंतजाम किया जाता है। इसका बिहार के सीएम नीतीश कुमार विरोध भी करते हैं। पर उनको बिहार में ही विपक्ष घेर लेता है। उसके बाद छत्तीसगढ़ और दूसरे राज्य भी कोटा से अपने राज्य के बच्चों को वापस लाने का एलान करते हैं।
इन सबसे ज़्यादा भयावह है आम लोगों का श्रद्धालुओं के रूप में भीड़ का जुटना। पिछले हफ्ते ही कर्नाटक के कलबुर्गी में एक धार्मिक कार्यक्रम में भारी संख्या में लोग जुटे। ये लोग सिद्धालिंगेश्वर मेले में भाग लेने के लिए इकट्ठे हुए थे।
घटना का जो वीडियो सामने आया है, उसमें लोग एक रथ को खींच रहे हैं। वीडियो में लोगों को कंधे से कंधा मिलाकर रथ को खींचते हुए देखा जा सकता है। इस दौरान इसमें शामिल लोगों को और न ही शासन प्रशासन को न तो लॉकडाउन की फिक्र है और न ही सोशल डिस्टेंसिंग की। यह मेला कलबुर्गी जिले के चिट्टापुर तालुका में आयोजित हुआ।।
इससे पहले कर्नाटक में ही 10 अप्रैल को भाजपा विधायक एम जयराम का बर्थडे मनाने का वीडियो भी वायरल हुआ। उसके बाद कर्नाटक में ही पूर्व पीएम पीवी नरसिंह राव के पोते की शादी में भी बहुत से लोग जमा हुए, जिन्होंने कोरोना गाइडलाइंस की धज्जियां उड़ाईं।