केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को दिल्ली में नवनिर्मित राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान (एनटीआरआई) का उद्घाटन किया। एनटीआरआई आदिवासी विरासत और संस्कृति के संवर्धन और संरक्षण के लिए प्रमुख राष्ट्रीय संस्थान होगा और शैक्षणिक, कार्यकारी और विधायी क्षेत्रों में आदिवासी अनुसंधान मुद्दों और मामलों के तंत्रिका केंद्र के लिए प्रमुख राष्ट्रीय संस्थान केंद्र होगा।
यह संस्थान राज्यों के साथ समन्वय, अनुसंधान, कर्मचारियों के प्रशिक्षण, अन्य संस्थानों की कैपेसिटी बिल्डिंग, डाटा संग्रह और जो अच्छे कार्य हुए हैं उनका प्रचार-प्रसार करके लोगों के आत्मविश्वास को बढ़ाने का भी काम करेगा। यह आदिवासी जीवन शैली के सामाजिक-आर्थिक पहलुओं में सुधार करेगा। साथ ही जनजातीय मामलों के मंत्रालय के साथ-साथ राज्य कल्याण विभागों, डिजाइन अध्ययन और कार्यक्रमों को नीतिगत इनपुट भी प्रदान करेगा।
इस अवसर पर अमित शाह ने कहा कि, “आज का दिन बेहद महत्वपूर्ण है। पीएम मोदी जी के विजन के अनुसार राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान आखिरकार अस्तित्व में आ रहा है। हम सोच सकते हैं कि यह सिर्फ एक और संस्था है, लेकिन ऐसे संस्थानों की राष्ट्र निर्माण में भूमिका होती है।”
उन्होंने आगे कहा कि, “यह भवन आदिवासी मामलों में संस्थागत विकास में बड़ा योगदान देगा और आगे आने वाले 50 वर्षों में सभी आज की इस पहल की सराहना करेंगे। मोदी जी के नेतृत्व में सरकार आठ वर्ष में आदिवासियों के विकास पर पूरा जोर दिया है गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए मोदी जी ने जनजातीय समाज के समग्र विकास के लिए वनबंधु कल्याण योजना के रूप में एक ऐसी योजना शुरू की जिससे व्यक्ति, गाँव और क्षेत्र का समानांतर विकास हुआ। मोदी जी ने राष्ट्रीय स्तर पर भी अनेक प्रकार की विविधता वाले इस देश के 8 प्रतिशत जनजातीय समाज के विकास को एक सूत्र में पिरोने के लिए इस संस्थान की कल्पना की थी। जनजातीय त्यौहारों को, उनकी मूल भावना को संजोए रखते हुए, आधुनिक स्वरूप देकर लोकप्रिय बनाने का काम भी करेगा, जनजातीय संग्रहालयों की विविधता, रखरखाव पर भी काम करेगा।“
गृह मंत्री ने आगे बताया कि, “सरकार द्वारा पहले एक छात्र पर 42,000 रुपए खर्च किए जाते थे लेकिन अब 1,09,000 रुपये खर्च किए जा रहे हैं। साथ ही छात्रवृत्ति में भी वृद्धि की है। वर्ष 2014 में 978 करोड़ रुपए और अब 2,546 करोड रुपए खर्च किए जा रहे हैं। जनजातीय योजनाओं के लिए 2014 में 21,000 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे जिसे 2021-22 में बढ़ाकर 86,000 करोड़ रुपए किया गया और इसमें से 93% खर्च भी किया गया।
आदिवासियों के घर में जल जीवन मिशन के तहत हर घर जल योजना के तहत 1.28 करोड़ आदिवासी घरों में मोदी सरकार नल से जल पहुंच चुकी है, 1.45 करोड़ आदिवासियों के घर में शौचालय है, 82 लाख जनजातीय परिवारों को आयुष्मान कार्ड दिया गया है, प्रधानमंत्री आवास योजना में 40 लाख से ज्यादा जनजातीय परिवारों को घर देने का काम भी किया गया है।
सरकार ने अनुसंधान संस्थान और जन शिक्षा पर बल देते हुए वर्ष 2014 में सात करोड़ रुपए के बजट को वर्ष 2022 के बजट में बढ़ाकर 150 करोड़ रुपए कर दिया है। साथ ही एनटीआरआई की पहली के बाद स्ट्रक्चरल तरीके से देशभर की जनजातियों को, छोटी से छोटी जनजाति को समाहित करके, उसके कल्याण की योजना यह अनुसंधान केंद्र बनने के बाद बनने की यह पहल की गयी है।“