दिल्ली विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नज़दीक आ रहे हैं, सभी पाॢटयों के नेता जनता को लुभाने के लिए दावों और वादों की राजनीति करने में जुट गये हैं। लेकिन सभी पाॢटयों के नेताओं को एक डर भी सता रहा है। एक तरफ सभी सर्वे रिपोट्र्स यह बता रही हैं कि आम आदमी पार्टी जीत रही है और दिल्ली के वर्तमान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ही दोबारा मुख्यमंत्री बनेंगे। वहीं भाजपा और कांग्रेस के जीत के अपने-अपने दावे हैं। पेश है पार्टी नेताओं के इन्हीं दावों और वादों पर राजीव दुबे की रिपोर्ट
दिल्ली विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नज़दीक आते जा रहे हैं, पूरी दिल्ली चुनावी रंग में रंगती जा रही है। एक तरफ जहाँ आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस ने अपनेे-अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी है, वहीं सभी पाॢटयों के नेता एक-दूसरे पर आरोपों-प्रत्यारोपों की झड़ी लगाने में जुट गये हैं। सभी पाॢटयों के नेता रैलियों के अलावा सोशल मीडिया पर प्रतिद्वद्वियों पर निशाना साध रहे हैं। इतना ही नहीं अपने-अपने दावे और वादे भी जनता के सामने कर रहे हैं।
तहलका संवाददाता ने जब दिल्ली के लोगों से प्रत्याशियों से बात की, तो उन्होंने बताया कि इस बार दिल्ली के चुनाव परिणाम चौंकाने वाले होंगे। मतलब इस बार पिछली बार की तरह एकतरफा चुनाव परिणाम नहीं आएँगे। माना जा रहा है पिछले विधानसभा चुनावों में ज़ीरो पर रही कांग्रेस का इस बार न केवल खाता खुलेगा, बल्कि कई सीटें उसके पाले में जाएँगी। वहीं भाजपा को इस चुनाव में बड़ी जीत की उम्मीद है। इस चुनाव में सभी पाॢटयों के दिग्गज भी अपने-अपने प्रत्याशियों का समर्थन कर रहे हैं। इन दिग्गजों में एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अलावा भाजपानीत एनडीए सरकार के कई केंद्रीय मंत्री हैं, तो दूसरी ओर कांग्रेस के कई दिग्गज नेता और सांसद हैं, वहीं तीसरी ओर अपने कामों के लिए दुनिया भर में वाहवाही लूट रहे आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के अलावा राज्यसभा सांसद संजय सिंह हैं। इसलिए यह चुनाव जीतने की ज़िद के साथ दिग्गजों की प्रतिष्ठा का सवाल बन चुका है। इसी के चलते सभी पाॢटयों के नेता और प्रत्याशी अपने-अपने दावे और अपने-अपने वादे करके मतदाताओं को लुभाने का प्रयास कर रहे हैं। इस चुनाव में जनता को गिनाने के लिए जहाँ आम आदमी पार्टी के नेताओं के पास दिल्ली सरकार के कामों की लम्बी लिस्ट है, वहीं भाजपा और कांग्रेस नेताओं के पास सिवाय दावों और आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार की कमियाँ गिनाने के अलावा कुछ नहीं है। इस बार शाहीन बाग धरने का असर भी विधानसभा चुनावों पर पड़ेगा। बता दें कि शाहीन बाग में सीएए के विरोध में शाहीन बाग की महिलाएँ भारी पुलिस बल की तैनाती के बीचकेंद्र सरकार के िखलाफ धरने पर बैठी हैं।
दिल्ली में अगले पाँच साल कौन शासन करेगा, यह तो बाद की बात है, िफलहाल तो आम आदमी पार्टी के नेताओं का दावा है कि दिल्ली में दोबारा आम आदमी की ही सरकार बनेगी। इधर, भाजपा नेताओं का कहना है कि आम आदमी पार्टी की डुगडुगी बज चुकी है; इस बार दिल्ली में भाजपा की सरकार बन रही है। तो कांग्रेस नेता कह रहे हैं कि आम आदमी पार्टी और भाजपा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जनता भी यह बात अच्छी तरह समझ चुकी है और इस बार कांग्रेस का जनाधार उसे वापस मिलेगा। क्योंकि कांग्रेस के कमज़ोर होने से आप पार्टी बनी थी; लेकिन कांग्रेस अब मज़बूती के साथ चुनाव मैदान में है और निर्णायक भूमिका में दिखेगी।
दूसरी ओर दिल्ली का मतदाताओं का कहना है कि गत कुछ महीनों से दिल्ली और देश का जो माहौल अफरातफरी वाला बना है, वह पूरी तरह से राजनेताओं की देन है। इसलिए इस बार वे अच्छी पार्टी के साथ-साथ ऐसे प्रत्याशियों को चुनेंगे, जो बिना सियासत किये विकास करें, काम करें। बातचीत में पता चला है कि दिल्ली के अधिकतर लोगों की पहली पसंद आम आदमी पार्टी है।
नेताओं के बयानों की बात करें, तो आम आदमी पार्टी के नेताओं और उनके मुखिया अरविन्द केजरीवाल ने दिल्लीवासियों से साफ कहा है कि यदि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में ईमानदारी से काम किया है, जनता के हित में काम किये हैं, तब ही मतदाता पार्टी उम्मीदवारों के पक्ष में वोट दें अन्यथा वोट न दें। केजरीवाल ने कहा कि कोई भी राजनीतिक दल काम के आधार पर वोट नहीं माँगता पर आम आदमी पार्टी काम के आधार पर ही वोट माँग रही है। केजरीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार देश और दिल्ली को गुमराह करने वाली राजनीति कर रही हैै। केजरीवाल का कहना है दिल्ली सरकार ने दिल्लीवासियों को तमाम सुविधाएँ सस्ती दरों पर मुहैया करायी गयी हैं, इसके बावजूद दिल्ली सरकार घाटे में नहीं रही है। इसका मतलब साफ है कि आप पार्टी में कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ है। इसलिए आम आदमी पार्टी की दिल्ली में फिर से सरकार बनेगी। यह आम आदमी की सरकार है। आम आदमी पार्टी से राज्यसभा सांसद व दिल्ली चुनाव के प्रभारी संजय सिंह का कहना है कि केन्द्र्र सरकार ने जामिया, जेएनयू और सीएए को लेकर जो भी किया है, उससे दिल्ली ही नहीं देशभर के लोग भाजपा सरकार से नाराज़ हैं। लोग अब भाजपा सरकार की नीतियों को जान गये हैं और भाजपाइयों के झाँसे में दिल्ली के लोग नहीं आने वाले हैं। उन्होंने कहा कि छात्रों, अभिभावकों के अलावा देश-दुनिया ने भी माना है कि दिल्ली में शिक्षा व्यवस्था सुधार हुआ है। जबकि केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाले कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में राजनीति हो रही है, छात्र-छात्राओं की पिटाई की जा रही है।
इधर, भाजपा के आलाकमान से लेकर पार्टी के सहयोगी संगठन इस बार दिल्ली की सत्ता पर काबिज़ होने के लिए एड़ी-चोटी तक का ज़ोर लगाये हुए हैं। उनका कहना है कि अब की बार दिल्ली में भाजपा की सरकार बनेगी। माना जा रहा है कि भाजपा भले ही खुले तौर पर धु्रवीकरण की राजनीति को स्वीकार नहीं करे, मगर सियासत में सब जायज़ है की नीति पर चुनाव लड़ेगी। भाजपा का कहना कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने जो हाल दिल्ली में सीएए को लेकर जामिया और जेएनयू में किया है, उससे आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के प्रति लोगों विश्वास उठ गया है। भाजपा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी का कहना है कि वह दिल्ली में बाइक रैली निकालकर सीएए के समर्थन में लोगों से भाजपा को जिताने की अपील कर चुके हैं, जिसका नतीजा 11 फरवरी को आएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली को गुमराह कर लोगों को भडक़ाने का काम आम पार्टी कर रही है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल चुनाव के पहले दिल्ली वालों से अपनी नाकामी छिपाने के लिए केन्द्र सरकार पर आरोप लगाते थे कि केन्द्र सरकार कोई काम नहीं करने दे रही है। इसके लिए वे सबकुछ फ्री करते जा रहे हैं। वे अब नहीं कहते कि केंद्र सरकार उन्हें काम करने से रोक रही है। पालम विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी विजय पंडित का कहना है कि दिल्ली में अनधिकृत कॉलोनियों की पक्की रजिस्ट्री का काम सालोंसाल से लटका हुआ था, जिसे एनडीए की केन्द्र सरकार ने किया है।
इधर, कंाग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा का कहना कि अब तक के इतिहास में कांग्रेस के शासनकाल में कभी भी दिल्ली में हिंसा और आगजनी की घटनाएँ नहीं घटी हैं, जिस तरह कि आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार और केंद्र की भाजपा की सरकार के शासनकाल में घटी हैं। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी और भाजपा एक ही सिक्के के दो पहलू है; क्योंकि ये दोनों दल के नेता एक-दूसरे पर आरोप लगाकर अपनी ज़िम्मेदारी से बच रहे हैं। इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। सुभाष चोपड़ा का कहना है कि आम आदमी पार्टी और भाजपा जो दावे कर रही हैं, उनमें कोई दम नहीं है। दिल्ली में कांग्रेस का परचम लहराएगा। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार झारखंड और महाराष्ट्र में जनता ने कांग्रेस को बहुमत दिया उसी तरह दिल्ली में कांग्रेस को बहुमत मिलेगा। आम आदमी पार्टी चुनाव पूर्व जिस तरह वादे करने के अलावा यह फ्री और वो फ्री करके जनता के आगे जो दाने डाल रही है, वो केवल चुनाव भर के लिए हैं। पर कांग्रेस विकास और सौहार्द की राजनीति करती है। वहीं दिल्ली के लोगों का कहना है कि दिल्ली में अफरातफरी का जो माहौल बनाया जा रहा है, उसमें बड़े सियासी दलों की भूमिका है। इस बार चुनाव में उन नताओं को सबक सिखाया जाएगा, जो दिल्ली को सियासी आग में जलाने की कोशिश कर रहे हैं। जनता का कहना है कि कुछ नेता दिल्ली को सियासी अड्डा बनाकर दिल्ली का विकास रोकना चाहते हैं। एमबीए के छात्र ओम प्रकाश अग्रवाल का कहना है कि दिल्ली की अब वह छवि नहीं रही, जो हुआ करती थी।
क्या गठबन्धन डालेगा असर?
दिल्ली विधान सभा चुनाव में सपा, बसपा के साथ-साथ कांग्रेस और भाजपा भी कुछ सीटों पर गठबन्धन के सहारे चुनाव लड़ रही है। बसपा पार्टी के नेता संजय चौधरी ने बताया कि दिल्ली के नगर निगम के चुनाव हो या विधानसभा के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के मत-प्रतिशत में इज़ाफा हो रहा है। पिछले निगम के चुनाव में 17 निगम पार्षद जीतकर अपनी शानदार उपस्थिति दर्ज करा चुकी है। इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में बसपा पूरे दमखम के साथ चुनाव मैदान में है। वहीं समाजवादी पार्टी (सपा) के चन्द्रशेखर का कहना है कि सपा की इस बार अच्छा प्रदर्शन करेगी। जेडीयू के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष दयानंद राय का कहना है कि दिल्ली में भाजपा के साथ तीन सीटों पर गठबन्धन कर चुनाव जीतेगी। क्योंकि दिल्ली में पूर्वांचली मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं। जेडीयू भी पहले अपनी दर्ज करा चुकी है। कांग्रेस पार्टी भी इस बार राजद के साथ 4 सीटों पर मिलकर चुनाव लड़ रही है। राजद के नेता मनोज झा का कहना है कि दिल्ली के चुनाव में पूर्वांचली मतदाता कांग्रेस का वोट और सपोर्ट करेंगे। आप पार्टी के नेता नवीन जैन का कहना है कि कांग्रेस और भाजपा दिल्ली में इसलिए गठबन्धन कर रही हैं, ताकि मिलकर सरकार बना सकें। लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनाव में कोई गठबन्धन काम आने वाला नहीं है; यहाँ पर आम आदमी पार्टी की ही सरकार बनेगी।