भील जनजाति के अपमान पर बवाल

एमपीपीएससी परीक्षा के एक प्रश्न पत्र के एक अनसीन पैसेज में भील जनजाति को शराब में डूबी हुई आपराधिक जाति के साथ-साथ धन कमाने के लिए गैर-वैधानिक तथा अनैतिक कामों में संलिप्त बताया गया है। इस पर भील जनजाति के लोगों में आक्रोश है। संवैधानिक तौर पर किसी समुदाय का अपमान गलत है।

मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा दिनाँक 12 जनवरी, 2020 को आयोजित प्रारम्भिक परीक्षा-2019 के द्वितीय सत्र अपराह्न 2.15 से 4.15 तक सामान्य अधिरुचि परीक्षण (सी-सेट) के प्रश्न पत्र में मध्य प्रदेश एवं भारत की सबसे बड़ी जनजाति भील समुदाय के बारे में पूछे गये विवादित सवाल से बवाल मच गया। उक्त प्रश्न पत्र के एक अनसीन पैसेज में, भील जनजाति को शराब में डूबी हुई आपराधिक प्रवृत्ति का और धन कमाने के लिए गैर-वैधानिक तथा अनैतिक कामों में संलिप्त बताया गया।

इस पर मध्य प्रदेश के आदिवासी संगठनों समेत भाजपा-कांग्रेस के नेताओं ने भी तीखी प्रतिक्रिया की है। इंदौर में 13 जनवरी, 2019 को जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) संगठन के बैनर तले हज़ारों युवाओं ने लोक सेवा आयोग कार्यालय का घेराव कर सार्वजनिक रूप से लिखित माफी माँगने की माँग की; जबकि भोपाल, धार, बड़वानी, झाबुआ, खरगोन, अलीराजपुर, खंडवा, देवास समेत अनेक ज़िलों में आदिवासी संगठनों ने प्रदर्शन कर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपे। इंदौर जयस प्रेसिडेंट एवं आदिवासी छात्र नेता रविराज बघेल ने कहा कि एमपीपीएससी द्वारा भील जनजाति के सम्बन्ध में दुर्भावना वश अपमानजनक बात कही गयी है, जिससे भील समुदाय के समस्त लोगों के मान-सम्मान को गहरा आघात पहुँचा है, जिसके जलते इस समुदाय के लोगों में आक्रोश व्याप्त है। यदि एमपीपीएससी के ज़िम्मेदार अधिकारियों के िखलाफ एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई नहीं की जाती है, तो पूरे प्रदेश में बड़े स्तर पर आन्दोलन किया जाएगा। जयस के संरक्षक एवं मनावर से विधायक डॉ. हिरालाल अलावा ने मुख्यमंत्री और राज्यपाल को पत्र लिखकर म.प्र. लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष भास्कर चौबे और सचिव रेणु पंत को बर्खास्त किये जाने एवं अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत एफआईआऱ दर्ज किये जाने की माँग की। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के पूर्व विधायक एवं आदिवासी नेता मनमोहन शाह वट्टी ने कहा कि लोक सेवा आयोग के पदाधिकारियों द्वारा भील जनजाति के सम्बन्ध में इस तरह की घृणास्पद टिप्पणी अक्षम्य है। पेपर सेट करने के दौरान सभी प्रश्नों की जाँच की जाती है, ताकि कोई विवादस्पद प्रश्न न पूछा जाए। इसके बावजूद भी लोक सेवा आयोग जैसी प्रतिष्ठित संस्था के परीक्षा में ऐसा सवाल आया है, तो यह जान-बूझकर पूछा गया प्रतीत होता है। साथ ही लोक सेवा आयोग में बैठे अधिकारियों की भील जनजाति के प्रति घृणित मानसिकता का परिचय देता है। मामले को तूल पकड़ता देख मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 13 जनवरी की शाम ट्वीट किया कि मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा 12 जनवरी 2020 को आयोजित मध्य प्रदेश राज्य सेवा परीक्षा 2019 के प्रारंभिक परीक्षा में भील जनजाति के सम्बन्ध में पूछे गये प्रश्नों को लेकर मुझे काफी शिकायतें प्राप्त हुई हैं। इसकी जाँच के आदेश दे दिये गये हैं। इसके बाद उन्होंने दो ट्विट और किये और लिखा कि इस निंदनीय कार्य के लिए निश्चित तौर पर दोषियों को दंड मिलना चाहिए, उन पर कड़ी कार्रवाई होना चाहिए, ताकि इस तरह की पुनरावृति भविष्य में दोबारा न हो। मैंने जीवन भर आदिवासी समुदाय, भील जनजाति व इस समुदाय की सभी जनजातियों का बेहद सम्मान किया है, आदर किया है। अगले ट्विट में उन्होंने लिखा कि मैंने इस वर्ग के उत्थान व हित के लिए जीवन पर्यन्त कई कार्य किये हैं। मेरा इस वर्ग से शुरू से जुड़ाव रहा है। मेरी सरकार भी इस वर्ग के उत्थान व भलाई के लिए वचनबद्ध होकर निरंतर कार्य कर रही है।

मध्य प्रदेश के खंडवा ज़िले के पंधाना क्षेत्र के भाजपा विधायक राम दांगोरे (30), जो खुद भील जनजाति से हैं एवं एक उम्मीदवार के रूप में उसी एमपीपीएससी परीक्षा में शामिल हुए थे; ने कहा कि हम कांग्रेस के राज में भील जनजाति का अपमान सहन नहीं करेंगे। टंट्या भील, पुंजा भील, खाज्या नाईक सरीखे हमारे बहादुर पुरखों ने अंग्रेजों के िखलाफ स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राणों की आहुति तक दी है। मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और भाजपा नेता गोपाल भार्गव समेत कांग्रेस-भाजपा के कई विधायकों ने दोषियों पर कार्रवाई की माँग की। जबकि कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक लक्ष्मण सिंह ने कहा कि इस मामले में मुख्यमंत्री कमलनाथ को सदन में खेद व्यक्त करना चाहिए।

पेशे से वकील और भोपाल के आरटीआई कार्यकर्ता सिद्धार्थ गुप्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा सिर्फ जाँच के आदेश दिया जाना खानापूर्ति मात्र है। इसमें जाँच करने जैसा कुछ खास नहीं है, मामला पूरी तरह साफ है। लोक सेवा आयोग जैसी प्रतिष्ठित संस्था द्वारा बहादुर भील जनजातियों के बारे घृणित प्रश्न पूछा गया है, जिसकी पूरी ज़िम्मेदारी लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष भाष्कर चौबे, सचिव रेणु पंत और पेपर सेट करने वाले अधिकारियों की है। अत: मुख्यमंत्री कमलनाथ इस मामलें से जुड़े उक्त सभी अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त करें और उन सभी के िखलाफ एफआईआर दर्ज की जाए।

विवाद बढ़ता देख मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की सचिव रेणु पंत ने सोमवार 13 जनवरी को कहा कि प्रश्न-पत्र में भील जनजाति से सम्बन्धित यह मामला दुर्भाग्यपूर्ण है। प्रश्न पत्र में सम्बन्धित गद्यांश रखे जाने के पीछे किसी की भी कोई दुर्भावना नहीं थी। यह चूक कैसे हुई और इसे दुरुस्त कैसे किया जा सकता है, हम इसकी जाँच कर रहे हैं। यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि उक्त सम्बन्धित प्रश्न-पत्र में उल्लेखित समुदाय विशेष के सम्बन्ध में किसी प्रकार का दुष्चित्रण करना एवं आपराधिक प्रवृत्ति, गैर वैधानिक तथा अनैतिक कामों में संलिप्त बताना अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 का उल्लंघन है। साथ ही सांस्कृतिक विविधता में एकता का प्रतीक संविधान की मूल भावना समाजवादी-पंथनिरपेक्ष के िखलाफ है।  ज्ञात हो कि मध्य प्रदेश में भील जनजाति की जनसंख्या लगभग 60 लाख है एवं देश में लगभग 3 करोड़। भील जनजाति मध्य प्रदेश एवं देश में सबसे बड़ी आबादी वाली जनजाति है। पश्चिमी मध्य प्रदेश के धार, झाबुआ, अलीराजपुर, खरगोन, बड़वानी, देवास और खंडवा ज़िले में सबसे ज्यादा भील जनजाति का बसाहट है। मध्य प्रदेश के गृहमंत्री बाला बच्चन, वनमंत्री उमंग सिंघार, नर्मदा घाटी विकास एवं पर्यटन मंत्री सुरेंद्र सिंह बघेल समेत दो दर्जन से अधिक विधायक-सांसद भील जनजाति से हैं।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता हैं।)

मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा 12 जनवरी 2020 को आयोजित मध्य प्रदेश राज्य सेवा परीक्षा 2019 के प्रारम्भिक परीक्षा में भील जनजाति के सम्बन्ध में पूछे गये प्रश्नों को लेकर मुझे काफी शिकायतें प्राप्त हुई हैं। इसकी जाँच के आदेश दे दिये गये हैं।

कमलनाथ,

मुख्यमंत्री (मध्य प्रदेश)

भील समाज पर प्रदेश शासन के प्रकाशन पर अशोभनीय टिप्पणी से आहत हूँ। अधिकारी को तो सज़ा मिलना ही चाहिए, परन्तु मुख्यमंत्री को भी सदन में खेद व्यक्त करना चाहिए; आिखर वह प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। इससे अच्छा संदेश जाएगा।

लक्ष्मण सिंह,

विधायक (चाचोड़ा, ज़िला- गुना, मध्य प्रदेश)