सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस रोहिंटन नरीमन ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के उच्च न्यायालय के फैसले पर हमला बोलते हुए कहा कि इस फैसले का संघवाद पर असर पड़ा है।
मुंबर्इ में भारत का संविधान नियंत्रण एवं संतुलन विषय पर व्याख्या देते हुए जस्टिस नरीमन ने आगे कहा कि, “राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदलने पर निर्णय लेने से इनकार करके शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को अनुच्छेद 356 को दरकिनार करने की अनुमति दी है, जिसके अनुसार किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन केवल एक साल के लिए संभव है।”
उन्होंने कहा कि, “अनुच्छेद 356 संवैधानिक विघटन से संबंधित है, जब केंद्र सत्ता संभालता है। किसी भी परिस्थिति में यह एक साल से अधिक नहीं हो सकता है। जब तक कि राष्ट्रीय आपातकाल न हो या चुनाव आयोग को यह न कहना पड़े कि चुनाव संभव नहीं हैं। तो आप अनुच्छेद 356 को कैसे दरकिनार कर सकते हैं? आप राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के इस सरल तरीके से इसे दरकिनार कर सकते हैं, जहां आपके पास सीधे केंद्रीय नियंत्रण है और समय/सीमा के बारे में कोई समस्या नहीं है।”
पूर्व न्यायाधीश ने आगे कहा कि, “इसमें कहा गया है कि हम फैसला नहीं करेंगे का मतलब है वास्तव में आपने फैसला कर लिया है। आपने इसे असंवैधानिक अधिनियम को अनिश्चित काल के लिए आगे बढ़ाने की अनुमति दी है और आपने अनुच्छेद 356 (5) को नजरअंदाज कर दिया है। ये सभी बहुत हैं परेशान करने वाली बातें।”