पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टल अमरिंदर सिंह ने यह स्पष्ट कर दिया है कि विशेष जांच दल द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और उनके बेटे व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल और अभिनेता अक्षय कुमार को बुलाए जाने में उनकी सरकार की कोई भूमिका नही थी। एसआईटी 2015 में हुई पवित्र गं्रथों के अपमान और पुलिस गोलीबारी की घटनाओं की जांच कर रही है। होमी भाभा अस्पताल का उद्घाटन करने के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि एसआईटी एक स्वतंत्र इकाई है और बिना किसी सरकारी हस्तक्षेप के काम कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार का काम एसआईटी को विधानसभा की सर्वसम्मति के निर्णय के अनुसार गठित करना था और अब जांच का दायित्व एसआईटी का है।
हालांकि अक्षय कुमार के बारे में चलती इन चर्चाओं के दौरान अभिनेता ने ट्वीटर पर एक बयान जारी कर राम रहीम के साथ उनकी भागीदारी के बारे से फैली सभी बातों से इंकार किया है। उन्होंने सुखबीर बादल के साथ मुलाकात को झूठ बताया। अक्षय कुमार ने कहा कि ‘मैं जीवन में कभी राम रहीम से नहीं मिला। मैंने सोशल मीडिय से जाना कि गुरमीत राम रहीम कुछ समय मुंबई में जुहू इलाके में मेरे घर के पास रहा लेकिन हम कभी एक दूसरे से नहीं मिले।
उनका पूरा बयान इस प्रकार है यह मेरी जानकारी में आया है कि सुखबीर बादल से जुड़ी एक फर्जी बैठक के बारे में और गुरमीत राम रहीम नामक व्यक्ति के साथ मेरी भागीदारी के बारे में सोशल मीडिया पर कुछ अफवाहें और झूठ व्यक्त किए जा रहे हैं। विनम्रता के साथ मैं निम्न तथ्यों को बताना चाहता हूं कि- (1) मैंने कभी भी अपने जीवन में गुरमीत राम रहीम से मुलाकात नहीं की। (2) मैंने सोशल मीडिया से जाना कि गुरमीत राम रहीम कुछ समय के लिए मुंबई में मेंरे घर के पास रहा। लेकिन हम कभी एक दूसरे से नहीं मिले। (3)पिछले कुछ सालों में मैंने पंजाबी संस्कृति और सिख धर्म के समृद्ध इतिहास और परंपरा को बढ़ावा देने वाली फिल्में जैसे सिंह इज किंग, केसरी (सारागढ़ी के युद्ध पर आधारित) बनाई। मुझे पंजाबी होने पर गर्व है और सिख धर्म के लिए बहुत सम्मान है। मैं ऐसा कुछ भी नहीं करूंगा जो मेरे पंजाबी भाइयों और बहनों की भावनाओं को ठेस पहुंचाए, जिनके लिए मेरे मन में बहुत सम्मान और प्यार है। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनका बयान पूर्ण सत्य है और चुनौतीपूर्ण है अगर कोई भी इसे गलत साबित कर सके। छानबीन से पता चला है कि विशेष जांच दल (एसआईटी) ने बेहबल कलां में पुलिस गोलीबारी की घटनाओं की जांच करते हुए 17 नवंबर को पूर्व मुख्यंमत्री प्रकाश सिंह बादल को बुलाया था। 19 नवंबर को पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल और अभिनेता अक्षयकुमार को 21 नवंबर को बुलाया था। अक्षय कुमार को 21 नवंबर को अमृतसर में सर्किट हाउस में आने के लिए कहा गया है। एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार एसआईटी के सदस्य और आईजी रैंक अधिकारी कुंवर विजय प्रताप सिंह द्वारा तीनों के लिए सम्मन आदेश अलग-अलग जारी किए गए थे।
एसआईटी 2015 में राज्य में पवित्र ग्रंथों के अपमान की शृंखला के बाद फरीदकोट में कोटकपुरा और बेहबल कलां में हुई पुलिस गोलीबारी की घटनाओं की जांच कर रही है। बेहबल कालां में हुई पुलिस गोलीबारी में दो व्यक्ति मारे गए थे।
विशेष रूप से पवित्र ग्रंथों के अपमान के मामले पर न्यायमूर्ति रंजीत सिंह आयोग की रिपोर्ट में अभिनेता के नाम का उल्लेख किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल और डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम के बीच एक बैठक फिल्म ”एमएसजी’’ के रिलीज के सिलसिले में मुंबई में अक्षय के फ्लैट में अयोजित की गई थी। रंजीत सिंह आयोग की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि बैठक गुरमीत राम रहीम को ईश निंदा के मामले में माफी मांगने से पहले आयोजित की गई थी। सीआरपीसी की धारा 160 के तहत सम्मन जारी किए गए हैं। जिसमे बरगारी में पवित्र ग्रंथों के अपमान के मामले और बेहबल कलंा और कोटकपुरा में पुलिस गोलीबारी की घटनाओं से संबंधित जांच में उपस्थिति ज़रूरी है।
नोटिस का कहना है कि अपराध की जांच के उद्देश्य से उस व्यक्ति की मौजदूगी ज़रूरी है जिस पर इल्जाम लगे हंै। उसे उस कथित अपराध से संबंधित सारी जानकारी देनी होगी जो भी उसके पास है। एसआईटी ने पहले एडीजीपी जितेंद जैन की जांच की फिर आईजी बठिंडा, आईजीपी परमराज सिंह उमरानंगल, तब आयुक्त लुधियाना, आईजीपी अमर चहल, फिर डीआईज्ी फिरोजपुर रेंज, एमएस जग्गी, फिर डीसी फरीदकोट, एसएस मान, फिर एसएसपी फरीदकोट, बीके स्याल तब एसडीएम फरीदकोट तत्कालीन कोटकपुरा विधायक मंतर सिंह बरार की। राज्य में पवित्र ग्रंथों के अपमान के मामलों की जांच के लिए गठित न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) रंजीत सिंह आयोग ने बरगारी में ग्रंथों के अपमान की घटना और बेहबल कलंा पुलिस गोलीबारी की घटना पर अंतिम रिपोर्ट 30 जून 2018 को सौंपी। उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को रिपोर्ट सौंपी थी जिन्होंने इसे समय पर राज्य गृह सचिव और अधिवक्ता जनरल को जांच के लिए भेजा था, ताकि दोषी जल्दी पकडें जा सकें।
बुर्ज जवाहर वाला, बरगारी, गुरूसर और मल्के में पवित्र गुस् गं्रथ साहब और अन्य धार्मिक ग्रंथों के अपमान के मामलों की जांच के लिए कांग्रेस सरकार द्वारा जांच अधिनियम 1952 की धारा 11 केे तहत अप्रैल 2017 में आयोग गठित किया था। घटनाओं के कारण राज्य के विभिन्न हिस्सों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए और बेहबल कलां और कोटकपुरा में पुलिस गोलीबारी में दो लोग मारे गए। मुख्यमंत्री ने पहले अकाली-भाजपा सरकार द्वारा गठित जोरा सिंह आयोग की जांच को खारिज कर दिया था।